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निमंत्रण पत्र

12 नवम्बर 2021

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नौकरीपेशा कर्मचारी के लिए रविवार साप्‍ताहिक अवकाश यानी कि आराम फरमाने का दिन । लेकिन इसके उल्‍ट शर्मा जी रविवार को ज्‍यादा व्‍यस्‍त रहते है । उनकी रविवारीय दिनचर्या में पहली प्राथमिकता होती है बागवानी । कार्यालय के साथ-साथ रविवार को प्रात:भ्रमण की भी छुटृी रहती है और मुंह अंधेरे ही व्‍यस्‍त हो जाते है बागवानी में । 

सवेरे के दस बज  चुके थे । रंग बिरंगे सुन्‍दर फूलों की क्‍यारियों के मध्‍य  सजे हरे कालीन पर  बैठे शर्मा जी, सहचरीजी के साथ बतिया रहे  थें कि दरवाजे की घंटी बजी । दो कदम चल कर देखा, मोती लाल जी खड़े है दरवाजे पर ।

“आइये सेठ साहब.....”, मोती लाल जी,  पिछली गली में रहते है । भले ही उनकी शिक्षा दीक्षा का सफर कक्षा आठवी से आगे न बढ़ पाया पर आज वे हमारे मौहल्‍ले के एक धनिक व सफल व्‍यापारी के रूप में प्रतिष्‍ठित है,  इसलिए हम मौहल्‍लेवासी उन्‍हें प्‍यार से सेठ जी कह कर पुकारते है ।

“रविवार का आनन्‍द लिया जा रहा है........” मेरे पहुचने से पुर्व ही स्‍वयम दरवाजा खोल अन्‍दर आते हुवे मोतीलाल जी बोले ।

अगवानी करते हुवे मैं उनको बैठक में ले आया । मैं, चायपानी के लिए पत्‍नी को बोलू उससे पहले ही, मेरे भावों को भांपते हुवे बोले- “भई, आज जल्‍दी में हूं । अगली पन्‍द्रह तारीख को पुत्र की शादि है । आपको सपरिवार पधारना है, ”कहते हुवे मोतीलाल जी ने तुरंत-फुरंत निमंत्रण पत्र मुझे सुपुर्द किया  और  विदा ली ।

सुबह की चाय को तीन घण्‍टें  से ज्‍यादा समय हो चुका था । कार्यालय जाने की भी आज  कोई जल्‍दी नहीं थी अत: पत्‍नी से चाय  का पुन: अनुरोध करते हुवे निमंत्रण पत्र का अवलोकन करने लगे । 

चाय की प्‍याली देते हुवे पत्‍नी बोली- “अरे, यह निमंत्रण पत्र तो अंग्रेजी में छपा है, मोतीलाल जी सेठ बनने के साथ साथ अंग्रेज भी बन गये क्‍या...!”

प्रश्‍न सुन मैं मुस्‍कराया और बोला- “आजकल हर कोई अपना निमंत्रण पत्र अग्रेजी में ही छपाता है, आधुनिकता की निशानी बन गया है अंग्रेजी में निमंत्रण पत्र छपवाना । अंग्रेजी में निमंत्रण पत्र छपवाने के लिए यह जरूरी नहीं कि निमंत्रण पत्र छपवाने वाला व्‍यक्‍ति अंग्रेजी लिखने-पढ़ने में भी पारंगत हो ।  दो पैसे कमा लिए  या दो कक्षा पास कर ली तो आ गयी अंग्रेजी में आमंत्रण पत्र छपाने की योग्‍यता और हो गयी अनिवार्यता।”

“मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आता कि क्‍या लिखा है कार्ड में । एक बात बताओं, सेठ जी के परिवार की  कितनी महिलाएं इस कार्ड को पढ़-समझ पायेगी...ॽ मेरी तरह उनके लिए भी अंग्रेजी का अक्षर भैस बराबर है । क्‍या फायदा ऐसे निमंत्रण पत्र छपवाने का । मै तो इसे  मानिसक दि‍वालियापन ही कहूंगी ।”

“अंग्रेजी में कार्ड छपवाने से प्रगतिशील व आधुनिक वर्ग का विशिष्‍ट ओहदा तत्‍काल ही मिल जाता है, शान और आन की बात बन गयी है अंग्रेजी में कार्ड छपाना ।  गंवार व पिछड़ा कहलाना किसी को भी पसंद नहीं  ।”

चाय के साथ चलती चर्चा  और आगे बढ़ पाती उससे पहले दरवाजे की घंटी पुन: बजी । दरवाजा खोला तो देखा, चतुर्वेदी जी खड़े है सामने । स्‍वागत के साथ शर्मा जी उनको बैठक में  ले आये । 

जैसे ही उन्‍होंने पत्‍नी को चाय के लिए कहा तो चतुर्वेदी जी बोले-“आज चाय के लिए माफी चाहता हूं । अगली पन्‍द्रह तारीख को पुत्र की शादी है। निमंत्रण पत्र देने आया हूं,  सपरिवार पधारना है ।”

कहते हुवे चतुर्वेदी जी ने सीमित समय का हवाला देते हुए चायपान से माफी मांगी और शादी में पधारने का पुन:-पुन: आग्रह करते हुवे विदा हुवे।

चतुर्वेदी, राजकीय माहाविद्यालय में हिन्‍दी के प्रोफेसर है । समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में छपती उनकी रचनाओं में उनके हिन्‍दी प्रेम को सहज ही महसूस किया जा सकता है । हिन्‍दी दिवस पर हमारे कार्यालय में आयोजित अनेक हिन्‍दी समारोहों की अध्‍यक्षता की है चतुर्वेदी जी ने । हिन्‍दी प्रेम से सजे उनके जोशीले व भावुक उद्गारों ने मेरे जैसे अनेक युवाओं को अपने निजी जीवन व कार्यालय में अधिकाधिक कार्य हिन्‍दी में करने के लिए प्रेरित किया । 

वैवाहिक कार्यक्रम को जानने के लिए जैसे ही मैंने निमंत्रण पत्र खोला तो भौचक्‍का रह गया यह देख कर कि निमंत्रण पत्र अंग्रेजी भाषा में छपा है और लिफाफे पर नाम-पता भी अंग्रेजी में लिखा है । एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे जाड़ों के मौसम में   सौ-सौ घड़ें पानी, सिर पर गिर गया है; मेरे मन मस्‍तिष्‍क में वर्षों से पोषित पल्‍लवित, आदर्श विचारधारा पर । 

पत्‍नी ने मेरे हाथ से निमंत्रण पत्र लिया और मुंह बनाती हुई उसे भी मोतीलाल जी के निमंत्रण पत्र के ऊपर रख, अन्‍दर चली गयी । कोई अर्थ नहीं रखते  उसके लिये ये निमंत्रण पत्र, गंवार जो रह गयी थी  ।

दोनो कार्डों को मेज के एक कोने में सहेजकर रख ही रहा था कि दरवाजे की घंटी एक बार पुन: बजी । उत्‍सुकता से दरवाजा खोला तो देखा सामने भोले नाथ जी खड़े है । भोलेनाथ जी मेरे सरकारी विभाग में अधीनस्‍थ के पद पर कार्यरत है । 

“कैसे आना हुआ भोले नाथ जी, सब कुशल तो है”
“आपका आर्शीवाद है शर्मा साहब, आगामी पन्‍द्रह तारीख को बेटे की शादी है । आपको सपरिवार आना है, ”कहते हुवे भोलेनाथ जी ने शादी का निमंत्रण पत्र मुझे सुपुर्द किया । 

सेठ मोतीलाल जी व प्रोफेसर चतुर्वेदी जी की तरह ही, समय की कमी का हवाला देते हुवे भोलेनाथ जी ने भी चायपान न कर पाने के लिए  क्षमा मांगी ।

बैठक मे आते ही पत्‍नी ने निमंत्रण पत्र मेरे हाथ से छीन लिया और सम्‍पूर्ण वैवाहिक कार्यक्रम को जोर-जोर से सस्‍वर पढने लगी । उसके  भावों से आत्‍मिक आनन्‍द छलक रहा था । भोलेनाथ जी के पुत्र की शादि का निमंत्रण पत्र हिन्‍दी में छपा था ।
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-माणक चन्‍द सुथार,
बीकानेर (राजस्‍थान) 
चलभाष: 8005926494, email: manakchand818@gmail.com

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