एक संतुलित मन के बराबर कोई तपस्या नहीं है। संतोष के बराबर कोई खुशी नहीं है। लोभ के जैसी कोई बिमारी नहीं है। दया के जैसा कोई सदाचार नहीं है। – आचार्य चाणक्य
झुकना बहुत अच्छी बात है नम्रता की पहचान होती है, मगर आत्मसम्मान को खोकर झुकना खुद को खोने जैसा है। – आचार्य चाणक्य
सबसे बड़ा गुरु मंत्र, अपने राज किसी को भी मत बताओ। ये तुम्हे खत्म कर देगा। – आचार्य चाणक्य
यादो का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, क्योंकि कभी-कभी हम बीते दुख को याद करके हंसते हैं, और कभी कभी हम बीते सुख को याद करके रोते हैं। – आचार्य चाणक्य
जीवन के लेखक बनो और अपने मन के पाठक, क्योंकि जितना अधिक खुद के बारे में ज्ञान अर्जित करोगे, उतना ही कम तुम्हें दूसरों की राय पर निर्भर होना पड़ेगा। – आचार्य चाणक्य
आवश्यकता से अधिक ईर्ष्या, आपके अंदर आत्मविश्वास की कमी को झलकाती है। – आचार्य चाणक्य
आंख में पड़ा हुआ तिनका, पैरों में जुभा हुआ काँटा, और रुई में दबी हुई आग से भी भयानक है, हृदय में छुपा हुआ कपट। – आचार्य चाणक्य
चींटी से मेहनत सीखो, बगुले से तरकीब, और मकड़ी से कारीगरी और अपने विकास के लिए अंतिम समय तक संघर्ष करो क्योंकि संघर्ष ही जीवन है। – आचार्य चाणक्य
मन बड़ा चमत्कारि शब्द है, इसके आगे ‘न’ लगने पर यह नमन हो जाता है, और इसके पीछे ‘न’ लगने पर यह मनन हो जाता है, इसलिए जीवन में नमन और मनन करते रहिए, जीवन सफल ही नहीं बल्कि सार्थक भी हो जाएगा। –
समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करता है, कि आपका सलाहकार कौन है, यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुर्योधन शकुनी से सलाह लेता था और अर्जुन श्रीकृष्ण से। – आचार्य चाणक्य
जो तुम मांगते हो उसके मिलते ही उसका मूल्य कम हो जाता है, और फिर से कुछ मांगने की इच्छा जगती है, इसलिए मांगने के बजाय उस खजाने की तरह बढ़ो जो तुम्हारे भीतर छुपा है। – आचार्य चाणक्य
उनसे सलाह कभी मत लेना जो उस पड़ाव पर है ही नहीं, जहाँ तुम पहुँचना चाहते हो, क्योंकि माता पिता व गुरु के अलावा, ज्यादातर लोग आपको आपके मार्ग से भटकाने का कार्य ही करते हैं। – आचार्य चाणक्य
जो अपने निश्चित कर्मों का त्याग करके, और अनिश्चित की चिंता करता है, उसका अनिश्चित लक्ष्य तो नष्ट होता ही है, साथ में निश्चित भी नष्ट हो जाता है। – आचार्य चाणक्य
असंभव शब्द का प्रयोग तो केवल कायर करते हैं, बुद्धिमानी ज्ञानी व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं। – आचार्य चाणक्य
भाग्य उनका साथ देता है, जो हर संकट का सामना करके भी अपने लक्ष्य के प्रति द्रुढ़ रहते हैं। – आचार्य चाणक्य
किस उम्र तक पढ़ा जाए और किस उम्र से कमाया जाए, ये शौक नहीं बल्कि हालात तय करते हैं। – आचार्य चाणक्य
प्रेम पीपल का बीज है, जहाँ संभावना नहीं, वहाँ भी पनप जाता है। – आचार्य चाणक्य
जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है। – आचार्य चाणक्य
जीवन और चुनौतियाँ हर किसी के हिस्से में नहीं आतीं, क्योंकि किस्मत भी किस्मत वालों को आजमाती है। – आचार्य चाणक्य
जो बुरे वक्त में आपको आपकी कमिया गिनाने लग जाए उससे ज्यादा मतलबी इंसान कोई हो ही नहीं सकता। – आचार्य चाणक्य