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अनकही बातें

7 मार्च 2022

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बचपन में जब अध्यापक बिना बात डांटते थे 
हमारे होंठ गुस्से और क्षोभ से कुछ बुदबुदाते थे 
जो बातें दिल के कोने से निकलने को बेताब थीं 
शांत रहकर उन्हें दिल ही दिल में दबाये जाते थे । 

जब घर में कोई मेहमान बच्चों सहित आता था 
उसके बच्चों के प्रशस्ति गान से घर गूंज जाता था 
मम्मी, पापा उस बच्चे के सामने बेइज्जत करते थे 
तब अपमान के कारण चेहरा धरती में गढ़ जाता था 

जब कॉलेज में पढने आये तो जैसे पंख लग गये 
ख्वाबों खयालों में बहारों के सतरंगी रंग भर गये 
ये कमबख्त दो नैन किन्हीं नशीले नयनों से लड़ गये 
मगर दिल के अरमान लबों तक आते आते रह गये 

एक प्रेम कहानी हकीकत बनने से पहले मर गई 
नौकरी पाने के चक्कर में हसरतें तमाम गुजर गईं 
किसी अजनबी से यूं विवाह के बंधन में बंध गये 
नूंन तेल लकड़ी के फेर में जिंदगी कैसे बिखर गई 

ऑफिस में बॉस की तानाशाही के शिकार हम हुए 
घर में "लेडी हिटलर" के हाथों बेइज्जत ना कम हुए 
किसको सुनाएं, कौन सुनेगा सबका मेरे जैसा हाल है 
लब सिले हुए, कंधे झुके हुए और कदम ? बेदम हुए 

हरिशंकर गोयल "हरि"
8.3.22 


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रचनाएँ
हास्य काव्य
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विभिन्न विषयों पर हंसने हंसाने वाली कविताएं इस किताब में मिलेंगी
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रविवार की सुबह

9 जनवरी 2022
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आज सुबह सुबह दो बहनों में लड़ाई हो गई कॉलोनी के बीच चौराहे पर हाथापाई हो गई दोनों ही बहने ऊंचे घराने "हफ्ता खानदान" की थीं एक बड़ी तेज तर्रार तो दूसरी थोड़ी नादान थी तेज तर्रार बहन का न

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कॉलेज के दिन

10 जनवरी 2022
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कॉलेज के दिनों में एक लड़की से आंखें लड़ गईं लड़की तो खुश थी मगर उसकी मम्मी बिगड़ गई लड़की पर उसकी मम्मी पूरी निगाहें रखती थी हमें निकम्मा, नालायक आवारा ही समझती थी चोरी चोरी चुपके चुपके हम दोन

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विदेश यात्रा

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आज सुबह सुबह श्रीमती जी ने जैसे ही मुझे जगाया जाना है विदेश यात्रा पर उठते ही ये फरमान सुनाया हमने कहा "भाग्यवान, क्या गयी तुम्हारी मति मारी है देखती नहीं सकल विश्व में कोरोना नामक महामारी है ऐस

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गीत : लो फिर आ गया है वो ठिठुरती सर्दी का मौसम

18 जनवरी 2022
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लो फिर आ गया है वो ठिठुरती सर्दी का मौसम कड़कड़ाती, कंपकंपाती कहर ढाती ठंड का मौसम कोहरे की रजाई ओढ़े सूरज देर तलक सोता है ठंड से ठिठका सवेरा ठहर ठहर कर चलता है पानी का नाम सुनते ही सबक

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23 फरवरी 2022
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मेरे आंगन में खड़ा है एक अमरूद का पेड़ नटखट, शरारती बड़ा है अमरूद का पेड़ आजकल बहारें उस पर टूट कर आयीं हैं अमरूदों की छटा ने घर में धूम मचाई है क्या बच्चे क्या बीवी, सब उसके दीवान

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एक नारी सब पर भारी

2 मार्च 2022
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नारी , तुम धन्य हो । सास बनकर बहू का जीवन नर्क बनाती हो कभी बहू बनकर सास को बेघर करवाती हो । ननद के रूप में भाभी की चुगली दिनभर करती हो कभी भाभी बनकर ननद को मायके के लिए तरसा देती हो । वो तुम्ही

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चाय और कॉफी

3 मार्च 2022
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चाय की लोकप्रियता से कॉफी बुरी तरह जल गई "ये सबकी चहेती क्यों है" यही बात उसे खल गई चाय का रूप रंग कितना गोरा और लाल चट्ट है कॉफी कितनी काली कलूटी और बड़ी मुंहफट्ट है चाय और कॉफी दोनो

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अनकही बातें

7 मार्च 2022
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बचपन में जब अध्यापक बिना बात डांटते थे हमारे होंठ गुस्से और क्षोभ से कुछ बुदबुदाते थे जो बातें दिल के कोने से निकलने को बेताब थीं शांत रहकर उन्हें दिल ही दिल में दबाये जाते थे ।&nbsp

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गजल : बीवी और प्रेमिका

2 अप्रैल 2022
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प्रेमिका की बातें मीठी , बीवी की "शोर" लगती हैं एक "दिल की आवाज", दूसरी "मुंहजोर" लगती है "उसका" चेहरा चांद लगे पर "वह" कद्दू सी दिखती है बीवी अमावस की रात, प्रेयसी गुनगुनी भोर लगती है&nbs

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अगर शब्दों के पंख होते

13 मई 2022
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अगर शब्दों के भी पंख होते जज्बात सारे हवा में ही उड़ते दिल के अरमान शब्द बनकर किसी के दिल पे सीधे लैंड करते ना चिठ्ठी पत्री की जरूरत होती ना एस एम एस होता ना मेल होती ना किसी क

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19 मई 2022
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भूतों से बातें करने की ख्वाहिश तो बहुत है मगर भूतों का रिकॉर्ड देखकर डर भी बहुत है मैं भी किसी भूत से मिलना चाहता हूं "भूत कैसे बना" उससे जानना चाहता हूं । भूत कितने प्रकार के

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