shabd-logo

कॉलेज के दिन

10 जनवरी 2022

38 बार देखा गया 38

कॉलेज के दिनों में एक लड़की से आंखें लड़ गईं
लड़की तो खुश थी मगर उसकी मम्मी बिगड़ गई
लड़की पर उसकी मम्मी पूरी निगाहें रखती थी 
हमें निकम्मा, नालायक आवारा ही समझती थी 
चोरी चोरी चुपके चुपके हम दोनों मिला करते थे
चुपके चुपके बुक में ही प्रेमपत्र रख दिया करते थे
एक दिन हमारा प्रेमपत्र उसकी मम्मी ने पढ लिया
जितने भी बुखार होते हैं सब हम पर चढ़ लिया 
भगवान जाने अब कौन सी आफत आने वाली थी
ख्वाबों में सुन डालीं हमने होती जितनी गाली थीं 
गुस्से से उफनती उसकी मम्मी हमारे घर पे आ गईं
उन्हें देखकर अपनी जान पत्ते जैसी कंपकंपा गई
हे भगवान,  लाज रख लेना, अब जो होने वाला था
घरवालों के बीच हमारा फालूदा निकलने वाला था
पर होनी को शायद कुछ और ही मंजूर होता है 
होता वही है जो कुछ भी सब ऊपरवाला करता है
कहने लगीं "तुम तो बड़ा अच्छा प्रेमपत्र लिखते हो
शक्ल से थोड़े पैदल हो पर अक्ल तो थोड़ी रखते हो
पिंकी से शादी कर दूंगी पर वादा एक करना होगा 
पिंकी के पापा को ऐसा लैटर लिखना सिखाना होगा" 
उनकी बातें सुनके हमरी जान में जान आ गई
पिंकी के संग संग उसकी मम्मी भी हमें भा गई । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
10.1.22 


11
रचनाएँ
हास्य काव्य
0.0
विभिन्न विषयों पर हंसने हंसाने वाली कविताएं इस किताब में मिलेंगी
1

रविवार की सुबह

9 जनवरी 2022
3
1
1

आज सुबह सुबह दो बहनों में लड़ाई हो गई कॉलोनी के बीच चौराहे पर हाथापाई हो गई दोनों ही बहने ऊंचे घराने "हफ्ता खानदान" की थीं एक बड़ी तेज तर्रार तो दूसरी थोड़ी नादान थी तेज तर्रार बहन का न

2

कॉलेज के दिन

10 जनवरी 2022
1
0
0

कॉलेज के दिनों में एक लड़की से आंखें लड़ गईं लड़की तो खुश थी मगर उसकी मम्मी बिगड़ गई लड़की पर उसकी मम्मी पूरी निगाहें रखती थी हमें निकम्मा, नालायक आवारा ही समझती थी चोरी चोरी चुपके चुपके हम दोन

3

विदेश यात्रा

12 जनवरी 2022
1
1
0

आज सुबह सुबह श्रीमती जी ने जैसे ही मुझे जगाया जाना है विदेश यात्रा पर उठते ही ये फरमान सुनाया हमने कहा "भाग्यवान, क्या गयी तुम्हारी मति मारी है देखती नहीं सकल विश्व में कोरोना नामक महामारी है ऐस

4

गीत : लो फिर आ गया है वो ठिठुरती सर्दी का मौसम

18 जनवरी 2022
0
0
0

लो फिर आ गया है वो ठिठुरती सर्दी का मौसम कड़कड़ाती, कंपकंपाती कहर ढाती ठंड का मौसम कोहरे की रजाई ओढ़े सूरज देर तलक सोता है ठंड से ठिठका सवेरा ठहर ठहर कर चलता है पानी का नाम सुनते ही सबक

5

अमरूद का पेड़

23 फरवरी 2022
1
1
0

मेरे आंगन में खड़ा है एक अमरूद का पेड़ नटखट, शरारती बड़ा है अमरूद का पेड़ आजकल बहारें उस पर टूट कर आयीं हैं अमरूदों की छटा ने घर में धूम मचाई है क्या बच्चे क्या बीवी, सब उसके दीवान

6

एक नारी सब पर भारी

2 मार्च 2022
1
1
0

नारी , तुम धन्य हो । सास बनकर बहू का जीवन नर्क बनाती हो कभी बहू बनकर सास को बेघर करवाती हो । ननद के रूप में भाभी की चुगली दिनभर करती हो कभी भाभी बनकर ननद को मायके के लिए तरसा देती हो । वो तुम्ही

7

चाय और कॉफी

3 मार्च 2022
0
0
0

चाय की लोकप्रियता से कॉफी बुरी तरह जल गई "ये सबकी चहेती क्यों है" यही बात उसे खल गई चाय का रूप रंग कितना गोरा और लाल चट्ट है कॉफी कितनी काली कलूटी और बड़ी मुंहफट्ट है चाय और कॉफी दोनो

8

अनकही बातें

7 मार्च 2022
1
1
0

बचपन में जब अध्यापक बिना बात डांटते थे हमारे होंठ गुस्से और क्षोभ से कुछ बुदबुदाते थे जो बातें दिल के कोने से निकलने को बेताब थीं शांत रहकर उन्हें दिल ही दिल में दबाये जाते थे ।&nbsp

9

गजल : बीवी और प्रेमिका

2 अप्रैल 2022
1
0
0

प्रेमिका की बातें मीठी , बीवी की "शोर" लगती हैं एक "दिल की आवाज", दूसरी "मुंहजोर" लगती है "उसका" चेहरा चांद लगे पर "वह" कद्दू सी दिखती है बीवी अमावस की रात, प्रेयसी गुनगुनी भोर लगती है&nbs

10

अगर शब्दों के पंख होते

13 मई 2022
0
0
0

अगर शब्दों के भी पंख होते जज्बात सारे हवा में ही उड़ते दिल के अरमान शब्द बनकर किसी के दिल पे सीधे लैंड करते ना चिठ्ठी पत्री की जरूरत होती ना एस एम एस होता ना मेल होती ना किसी क

11

भूतों से बात

19 मई 2022
0
0
0

भूतों से बातें करने की ख्वाहिश तो बहुत है मगर भूतों का रिकॉर्ड देखकर डर भी बहुत है मैं भी किसी भूत से मिलना चाहता हूं "भूत कैसे बना" उससे जानना चाहता हूं । भूत कितने प्रकार के

---

किताब पढ़िए