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रविवार की सुबह

9 जनवरी 2022

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आज सुबह सुबह दो बहनों में लड़ाई हो गई
कॉलोनी के बीच चौराहे पर हाथापाई हो गई 
दोनों ही बहने ऊंचे घराने "हफ्ता खानदान" की थीं 
एक बड़ी तेज तर्रार तो दूसरी थोड़ी नादान थी 
तेज तर्रार बहन का नाम "सोमवार की सुबह" था
रेंगने वाली बहन का नाम "रविवार की सुबह" था 
दोनों बहनें एक दूसरे से इस कदर जलती थीं 
दोनों साथ चलने के बजाय आगे पीछे चलती थीं 
बड़ी बहन "सोमवार की सुबह" सारा काम फटाफट करती
छोटी बहन "रविवार की सुबह" आंखें मलते मलते उठती
बड़ी बहन को घमंड था कि वह कमाकर लाती है
सुबह काम पर जाकर पूरा महीना घर चलाती है
वो कहती "तू तो घर में बैठी बैठी खूब मौज उड़ाती है
दिन भर काम करते करते मेरी तो नानी मर जाती है"
बड़ी बहन के ताने सुन कर छोटी के कान पक गये
बोली "तेरे कारण काम के बोझ से सारे लोग थक गये 
तुझे कोई नहीं चाहता , तू अनचाहे बच्चे जैसी है
मेरा सब इंतजार हैं करते मेरी हैसियत VIP जैसी है
तू तो एक बीवी की तरह हरदम झल्लाती रहती है 
मेरी सुबह तो मां जैसी है जो सबको प्यारी लगती है 
मेरी वजह से ही घर में सबको नाश्ता मिल पाता है
कभी कभी तो बाहर का भी खाने को मिल जाता है
सारे मर्द बड़ी शिद्दत से मेरा इंतजार करते रहते हैं
तेरे नाम से ही दुनिया के सारे लोग बिदकते हैं 
मैं मेनका सी सुंदर हूँ सबके मन को भाती हूँ 
मेरी चाहत सबको है सबके ख्वाबों में आती हूँ
घर में सबसे छोटी हूं इसलिए लाडली सबकी हूँ
मस्ती की पुड़िया हूँ सब में ताजगी मैं ही भरती हूँ" 
कोलाहल सुन चौराहे पर भीड़ इकट्ठी हो गई 
कौन पसंद है दोनों में इस पर ऑनलाइन वोटिंग हो गई
रविवार की सुबह पर सब इकतरफा वोट पड़े 
विपक्षियों की भांति तब बड़ी बहन के होश उड़े
बोली "साजिश के तहत इसने ई वी एम हैक करवाई है
वरना इसे कौन चाहता है ये तो अलसाई सी हरजाई है" 
सबके सब लोग बोल उठे हम सब इसके दीवाने हैं
रविवार की सुबह के तो हम सब ही परवाने हैं 

हरिशंकर गोयल "हरि"
9.1.22 


9 जनवरी 2022

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रचनाएँ
हास्य काव्य
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विभिन्न विषयों पर हंसने हंसाने वाली कविताएं इस किताब में मिलेंगी
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