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चाय और कॉफी

3 मार्च 2022

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चाय की लोकप्रियता से कॉफी बुरी तरह जल गई
"ये सबकी चहेती क्यों है" यही बात उसे खल गई 
चाय का रूप रंग कितना गोरा और लाल चट्ट है 
कॉफी कितनी काली कलूटी और बड़ी मुंहफट्ट है 
चाय और कॉफी दोनों बहनें थीं मगर जुदा जुदा थीं 
"गरीब चाय" से "कुलीन कॉफी" बहुत खफा खफा थी 
कॉफी अमीर खानदान में ब्याही थी इसलिए घमंडी थी 
चाय की ससुराल गरीब थी इसलिए उसकी चाल मंदी थी 
चाय का सरल, मधुर स्वभाव सबके मन को भा गया 
इसलिए बच्चे, बूढे, जवान सबका दिल उसपे आ गया 
और तो और महिलाएं भी उसे बहुत पसंद करने लगी 
सुबह शाम हर घर, दुकान में उसकी ही धुन बजने लगी 
चाय का स्वाद सबके होठों को इस कदर भा गया 
जली भुनी कॉफी का गुस्से से सिर चकरा गया 
चाय की "डिमांड" से वह मन ही मन खदकने लगी 
गुस्से के कारण "झाग" से अपने पैर पटकने लगी 
जितना वह गुस्सा करती उतनी ही कसैली हो जाती थी
इसीलिए वह गुस्सैल , खड़ूस लोगों के मन को भाती थी 
चाय की मिठास और सौंदर्य का जादू सिर चढ़ कर बोला 
उसे पाने के लिए सबने अपने दिल का दरवाजा खोला 
ऊंचे खानदान, कुलीन कुल होने से सम्मान नहीं होता 
मधुर व्यवहार, सरलता से ही हर कोई लोकप्रिय होता 
चाय और कॉफी ने यह बात सबको समझाई 
मीठा बोलो, घमंड में कुछ नहीं रखा है मेरे भाई ।

हरिशंकर गोयल "हरि"
3.3.22 


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