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आखिरी इच्छा

hindi articles, stories and books related to aakhirii icchaa


इक बेरुखी अफसाने.. बस कर धड़कनों में बहाने-बहाने, सर्वदा ही याद आए जो भूलने से भी ना भूलाएं। शायद खुदाई उपहार है। ये दिल का प्यार है। पूर्ति की बौछारें लगी हो, फिर भी। उनके बिना जिंदगी हमसे जिया

पहला अध्याय: अनजानी दुनिया में प्यार का पहला नक्श दिल का एक कोना था, जो खुद भी अनजान था कि किसी और के लिए धड़क सकता है। लेकिन जब ईरा की ज़िंदगी में आर्यन आया, तो हर शायद और हर लेकिन एक खूबसूरत हकीकत

संजय की दुनिया का सूरज राहुल के रूप में ढल गया था। उसका बड़ा भाई, उसका सबसे अच्छा दोस्त, चला गया था। एक सड़क हादसा, एक पल में सब कुछ बदल गया था। संजय के लिए, जीवन एक खाली पन्ने जैसा हो गया था, जिस पर

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

मैंने लिखा कि, अब तुम मेरे नहीं हो,, और ये लिखते हुए, मेरे हाथ थरथरा उठे। मानो ! मेरे पैरों तले ज़मी निकल गया हो , निकल गया हो जैसे, जिस्म से जान,, शरीर सुना पड़ा और मन व्याकुल था । जैसे प्यास से

### खुशी के मोतीखुशी के मोती होते हैं छोटे-छोटे,  मन की गहराई में छुपे होते,  हँसी के झरने से निकलते,  दिल की मुस्कान में रचते-बसते।हर छोटी बात में छुपी होती खुशी, &

परवाह न कर, तमाशे तों होते ही रहेंगे ताउम्रतू बस यें ख्याल रख, कि किरदार बेदाग रहें

शब्द कम पड़ गए तेरी याद मे  कमरे का कोना- कोना भरा पड़ा हैं तेरी खुशबू से  कब दिन से रात और रात से दिन हो गया तेरी जुदाई मे  दहलीज़ पर बैठ कर किया इंतजार और सजना तू आया ना एक भी बार  अब तो काट लेंगे

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जन्म मिला है क्या करेंगे इस संसार में सदा नही रहेंगे। किन राह पर चलना है पहले ये तय करना है कैसे भी हो काँटे हम श्वास श्वास हो जायेंगे जन्म मिला है क्या करेंगे। इस संसार में सदा नही रह

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मनखे मनखे एक समान करीया गोरा के का भेद छोकरा अउ डोकरा के का भेद सबो ला दे हे मति समान मनखे मनखे एक समान। जात पात तो अलग हे त एमे घबराए के का बात सबे के माटी तो एक हे जो पोषण करके बचा

किसान है वो  मेहनत की खाता है किसान है वो  मेहनत की कठिनाई का  सामना करता है, धूप, बर्फ, बारिश में भी  अपने काम को निभाता है। खेतों में जो  उनकी किल्लत है,  वो कोई नहीं समझ सकता, हर दिन की

ढूंढा तुमको मैंने, यहाँ वहां न जाने कहाँ, कुछ लोगों से पूंछा, तेरे मिलने का ठिकाना, कुछ ठिकाने भी ढूंढे, जहाँ तुम मिला करते थे, जहाँ तुम मिला करते थे, वहां तुम मिले नहीं अरसो से, नए ठिकानों पर

कुछ अंदर है, कुछ बाहर है, कुछ मेरे भी, कुछ तेरे भी, कुछ यहाँ वहां, है बिखरा हुआ, कुछ कांच सा, टुटा हुआ कहीं, कुछ ताश सा, बिखरा हुआ कहीं, कुछ मातम सा, है छाया हुआ, कहीं हर्ष बिगुल, सा बजा

कुछ चोट लगीं, कुछ जख्म मिले,  कुछ आह सहीं, कुछ राह चला, कुछ दूर चला, फिर भटक गया,  भटका ऐसा, फिर मिला नहीं,  न रही मिली, न खुद से मिला, जिन्दा था भी, या न था, ऐसा भी कुछ,  एहसास न था,  म

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