नए साल का नया सवेरा
मुझे देख फिर वो मुस्काया
पिछले साल जो किए थे वादे
कितने मैं पूरे कर पाया।
उसके ये प्रश्न को सुनकर
एक पल मैं भी मुस्काया
फिर रुककर मैं लगा सोचने
कितने मैं पूरे कर पाया।
शान्त चित्त होकर जब मैंने
पूरे साल का हिसाब लगाया
कुछ वादे तो हो गए पूरे
पर कुछ का हिसाब तो आधा आया।
जो अब तक रह गया है आधा
वो अब तेरे जिम्मे आया
बीते साल के आंचल में मैंने
कुछ खोया तो कुछ है पाया।
अब नया साल स्वागत है तेरा
तू नई नई उम्मीदें है लाया
सबके सपने हों अब अपने
ऐसी मैं उम्मीद लगाया।
न झगड़ा न युद्ध विकराल हो
चारों ओर अब शान्ति काल हो
सभी स्वस्थ और सभी मस्त हों
और सबके अब हृदय विशाल हों।
©डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर, म. प्र.,🇮🇳