शोर... अंतर्मन का कोलाहल या कहें की शून्यता, बाहर की अव्यवस्थित व्यवस्था से अलग, चिंतित मन का व्यथित लेकिन व्यवस्थित सुर है जो किसी भी इंसान को जीने की वजह भी देता है और जीने का उद्देश्य भी लेकिन आख़िर यह शोर पनपता ही क्यूँ है? कौन सही है, कौन गलत? कौ
बच्चे-बड़े, विद्यार्थी-शिक्षक, स्त्री-पुरुष—सभी को कहानियाँ पसंद होती हैं। हर कहानी में पढ़नेवाला अपने आपको ढूँढ़ता है, खोजता है कि कहानी का कोई पात्र या घटना उसके जीवन से जुड़ी तो नहीं।प्रस्तुत पुस्तक ‘वाह जिंदगी, वाह!’ ऐसी ही 333 कहानियों का संकल
If you wish to overcome fear & shame and speak well, this book is just for you. Mr. Manimaran, a recovering stammerer has translated his English version to Hindi version based on his own stammering experience and the in-depth knowledge gained from in
How to Build a Rock-Solid Routine? How to get an undeterred Focus in this distracting world? How to win over habits? How to stop blaming Time?How to know what the priority is? How to be free from thinking of income all the Time? Read more
अथॉरिटी में एंगर नहीं है। हमें अपना रोल, अपनी रिस्पोंसिबिलिटी निभानी है, लेकिन सभी कार्य बिना डिस्टर्ब होकर करने हैं। हम अथॉरिटी का प्रयोग करें, लेकिन गुस्सा नहीं करें। गुस्से में हम अंदर से डिस्टर्ब होकर अपने ऊपर कंट्रोल खो देते हैं। हम ऊपर से नीचे
नारायण एक सितारवादक है। जीविका के लिए वह परिवार को दूसरी जगह छोड़कर अपने पुराने शहर में आता है और यहीं से मकान की तलाश शुरू होती है। इस दौरान उसका सितार से साथ छूटने लगता है; और अब वह जिनके साथ जुड़ता है उनमें मकान बाँटनेवाला अफ़सर है, कर्मचारी-यूनियन क
कहानी छुटकी और उसके पापामैन चंद्रप्रकाश गुप्ता की है, जो रेलवे में टिकट बनाते हैं। छुटकी IIT कानपुर में पढ़ती है, इनोवेटर है और आगे की पढ़ाई के लिए MIT, USA जाना चाहती है। वह बचपन से ही अतरंगी सपने देखती थी। उसे कभी एस्ट्रोनॉट बनना होता था, तो कभी मिस
Contributed articles on problems faced by women in traditional and modern roles in contemporary times; with special reference to India. Read more
साठोत्तरी महिला कथाकारों में मन्नू भंडारी का विशिष्ट स्थान है। मन्नू भंडारी की कथा-यात्रा लगभग चार दशकों में फैली हुई है। सन् 60 के आसपास ‘नई कहानी’ आंदोलन से नौवें दशक तक वे लगातार कहानियाँ लिखती रही हैं। हिंदी कहानी के विविध पड़ाव और आंदोलन उनकी रच
It can be a gift option . It has Easy to read text . It comes in a secure Package Read more
This book has a question for you. The question which I guess we have asked ourselves at least at some point in life. The question which gives you the power to stand at every possible hurdle. This question, with it’s answer, brings meaning to your lif
आनेवाले 20 वर्षों में भारत दुनिया के विकसित देशों में होगा; लेकिन इसी के साथ चिंता भी होती है कि हमारे पास जब सबकुछ होगा तो कहीं हम परिवार से हाथ न ध्वनिधूपो बैठें। आज टूटन व बिखराव की ध्वनि परिवारों से निकलने लगी है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम जानें क
डेल कारनेगी एक विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक और व्याख्याता थे। उनकी एक से एक बढ़कर पुस्तकों ने पाठकों के स्व-सुधार, बिक्री कौशल, कॉर्पोरेट प्रशिक्षण, सार्वजनिक बोलने और प्र कौशल विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। उनकी सर्वाधिक चर्चित पुस्तकों में '
इस पुस्तक में हम बात करेंगे कि तरक्की के काबिल बनने के लिए हमें कैसे तैयारी करनी चाहिए। चाहे काम सुपरवाइजर का हो या प्रशासकीय प्रबंधक का, उसमें सफल होने के लिए हमें पेशेवर व्यवहार करना चाहिए। अपने अधिकारियों, अधीनस्थों और सहकर्मियों के सामने हमारी छव
मनुष्य अपने दिल में जैसा सोचता है वैसा ही होता है । यह मनुष्य के पूरे जीवन को ही सम्मिलित नहीं करती बल्कि इतनी व्यापक है कि उसके जीवन के हर पहलू, हर दशा परप अपनी छाप बनाये रखती है। मनुष्य अक्षरशः वैसा ही बन जाता है जैसा वह सोचता है, उसका चरित्र उसके
Bhagye Par Nahi Parishram Par Vishwas Karen Read more
Jeet Sako To Jeet Lo Read more
Kahaniyan Jo Raah Dikhaye Read more
1904 में लगभग एक अनजान अंग्रेज़ जेम्स एलन ने एक छोटी पुस्तक 'अँज ए मैन थिकेंथ' लिखी। यह पुस्तक विश्व भर में स्वयं-सहायक पुस्तकों में से एक महान पुस्तक बन गई है – 'स्वयं को सामर्थ्य देना' ज्यादा उचित वर्णन है – क्योंकि यह न केवल यह उजागर करती है कि हम
जल अमृत तुल्य ही नहीं; बल्कि अमृत से भी कहीं अधिक मूल्यवान सभी प्राणियों के लिए है। जल के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। जहां जल है, वहीं पर प्रकृति और उसका सुंदर नजारा है। आज पूरा विश्व पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। शहरीकरण और आधुनिकीकर