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पहली नज़्म

10 दिसम्बर 2021

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हमने जब भी लिखी कोई नज़्म 
कभी आह निकली 
कभी वाह निकली 
सुनोगे क्या......?
बता दूं क्या......?
अरे.....
जिनके दिल हुए उनकी वाह निकली 
जिनके जख्म हुए उनकी आह निकली 
मेरी नज़्म कितनों के लिए क्या-क्या निकली 
कहीं सदा निकली तो कहीं दवा निकली ।

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रचनाएँ
प्रेम मंथन
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यह पुस्तक किसी भी प्रेमी या प्रेमिका के प्रेम और विरह के यात्रा का वर्णन है। जिसे हमने अपने शब्दों के द्वारा एक आकार देने का प्रयास किया है कि प्रेम रूपी समुद्र में डूब कर प्रेमी या प्रेमिका रूपी गोताखोर अपने जीवन का कौन सा अनुभव प्राप्त करती या करता है।

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