हमने जब भी लिखी कोई नज़्म
कभी आह निकली
कभी वाह निकली
सुनोगे क्या......?
बता दूं क्या......?
अरे.....
जिनके दिल हुए उनकी वाह निकली
जिनके जख्म हुए उनकी आह निकली
मेरी नज़्म कितनों के लिए क्या-क्या निकली
कहीं सदा निकली तो कहीं दवा निकली ।
10 दिसम्बर 2021
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Graduate from RMLU UP and co-author in "corner of thoughts" living in Mumbai from 3 years for living my dream I want to be a successful writer.D