पता था उसे- २
टूटे हुए खिलौने फिर से खेले नहीं सजा के रखे जाते हैं इसलिए उसने मुझे जोड़ना नहीं
छोड़ना अच्छा समझा वो भी टूटा हुआ ।
लाजमी है !
लाजमी है !
कोई सुनने वाला होता हमको तो हम लिखते ही क्यों ? कोई पढ़ने वाला होता हमको तो हम कहते ही क्यों ?
हमें शिकायत हुआ करती थी
कि...,
तुम सपने सजाने की बात क्यों नहीं करते ?
हमें क्या पता था तुम वाकिफ हो हमारी किस्मत से ।
मैं क्यों शक करूं तुम्हारे प्यार पर
तुमसे कोई वादा लेकर
मैं क्यों कोशिश करूं लगाने की मुहर
तुमसे कोई वादा लेकर ।