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प्रेम और बिरह

10 दिसम्बर 2021

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पता था उसे- २ 
टूटे हुए खिलौने फिर से खेले नहीं सजा के रखे जाते हैं इसलिए उसने मुझे जोड़ना नहीं 
छोड़ना अच्छा समझा वो भी टूटा हुआ ।

लाजमी है !
लाजमी है ! 
कोई सुनने वाला होता हमको तो हम लिखते ही क्यों ? कोई पढ़ने वाला होता हमको तो हम कहते ही क्यों ?

हमें शिकायत हुआ करती थी 
कि..., 
तुम सपने सजाने की बात क्यों नहीं करते ? 
हमें क्या पता था तुम वाकिफ हो हमारी किस्मत से ।

मैं क्यों शक करूं तुम्हारे प्यार पर 
तुमसे कोई वादा लेकर 
मैं क्यों कोशिश करूं लगाने की मुहर 
तुमसे कोई वादा लेकर ।


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रचनाएँ
प्रेम मंथन
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यह पुस्तक किसी भी प्रेमी या प्रेमिका के प्रेम और विरह के यात्रा का वर्णन है। जिसे हमने अपने शब्दों के द्वारा एक आकार देने का प्रयास किया है कि प्रेम रूपी समुद्र में डूब कर प्रेमी या प्रेमिका रूपी गोताखोर अपने जीवन का कौन सा अनुभव प्राप्त करती या करता है।

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