आहत ठुमके✒️पनघट पर तेरे ठुमकों ने, मरघट से मुझे पुकारा है;कानों में छन से गूँज रही, यह अमर सुधा की प्याला है।बेसुध सा सोता रहा सदा, अब ही तो जा कर जागा हूँ;सौभाग्य प्राप्त हुआ मुझको, वैसे तो निरा अभागा हूँ।तेरे दर्शन करने आयी, यह रूह युगों की प्यासी है;कुदरत ने गोदी म
नैनों की तेरे पनघट पर, मधु हाला प्यासा पथिक पा लेता, प्यास बुझाने जीवन भर की, सुधि नैन पनघट की फिर फिर लेता। नैनों की इस पनघट में, पथिक देखता आलोक प्रखर सा, दो घूँट हाला की पाने को, सर्वस्व जीवन घट न्योछावर कर देता। नैनों की इस पनघट तट पर, व्यथित हृदय पीर पथिक का रमता, विरह की चिर नीर बहाकर, पनघट त