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परिंदा हूं

times of malwa

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परिंदा हूं तेरी गलियों में क्या जिंदा रहूँगा बता पतंग क्या में हवा में उड़ता रहूँगा पतंग ने कहा है परिंदे में तो किसके के हाथ की कठपुतली हूं उन हाथों को पूछो जिसके सहारे मुझे उड़ाते है उस डोर से पूछो जो मुझे हवा में सैर कराते है। उन हाथों को थमने दो जरा फिर भी तुम्हें इंतजार करना होगा परिंदे ने कहा है मुझे कातिल डोर से डर लगता है और तेरी गली में आने से हमको मरने का डर लगता है। 

parinda hun

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