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फुल ओर कांटे

24 जनवरी 2025

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हमारी एकांगी शुरू होती है एक स्कूल से। परदा उठता है। अमन अपने स्कूल में उदास, सीढ़ियों पर बैठा हुआ है। दरअसल, अमन उदास इस लिए है क्योंकि उसके स्कूल में फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता होने जा रही है। सभी बच्चे ग्रुप बनाकर सोच रहे हैं कि वह प्रतियोगिता में क्या-क्या बनेंगे और कौन सा नाटक पेश करेंगे। और दूसरी तरफ, बेचारा अमन, उसके पास प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए न तो अच्छे कपड़े हैं और न ही कपड़े खरीदने के लिए पैसे हैं। वह अपने माता-पिता से भी पैसे नहीं मांग सकता क्योंकि जैसे-तैसे जोड़कर तो कुछ दिन पहले उसके माता-पिता ने उसके स्कूल की फीस भरी है। अमन एक गरीब परिवार से संबंध रखता है। उसे अपनी गरीबी की वजह से स्कूल में काफी ज्यादा शर्मिंदा होना पड़ता है। कभी उसके पास स्कूल के जूते न होने पर सजा मिलती, कभी स्कूल की फीस न भरने पर पूरी क्लास के सामने शिक्षकों के ताने सुनने पड़ते और वह पैसे न होने की वजह से किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं लेता। बच्चे भी उसका मज़ाक उड़ाते थे। वह अपनी गरीबी से तंग आ चुका था। वह अपने आप को खत्म करने के लिए जंगल के रास्ते की तरफ़ चला जाता है। वह एक नदी में कूदने ही वाला था तभी उसे कोई आवाज़ लगाता है।

"रुको, यह तुम क्या करने जा रहे हो?"

अमन पीछे मुड़कर देखता है लेकिन वहां पर कोई नहीं था। तभी नदी किनारे लगे हुए नीम के पेड़ बोलता है।

नीम: "किधर देख रहे हो, मैं तुमसे सवाल पूछ रहा हूँ। क्या करने जा रहे थे?"

अमन: "(हैरानी से) तुम बोल सकते हो लेकिन तुम तो एक पेड़ हो।"

नीम का पेड़: "(हंसते हुए) हाँ, हाँ, मैं बोल सकता हूँ और तुम्हें सुन भी सकता हूँ।"

अमन: "क्या सच में, एक पेड़ मुझसे बातें कर रहा है?"

नीम का पेड़: "बताओ बेटा, तुम अकेले इस जंगल में क्या कर रहे हो?"

अमन: "मैं खुद को खत्म करने आया हूँ। मुझे यह दुख और तकलीफ भरी जिंदगी नहीं चाहिए। मुझे अपनी गरीबी की वजह से स्कूल में काफी ज्यादा शर्मिंदा होना पड़ता है।"

नीम का पेड़: "ऐसा नहीं कहते बेटा, भगवान ने हमें एक ही जीवन दिया है। और तुम उसे भी खत्म करने जा रहे हो।"

अमन: "मैं तंग आ चुका हूँ गरीबी भरी जिंदगी से। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा?"

नीम का पेड़: "तो ठीक है, तुम खुद को खत्म कर लेना। लेकिन उससे पहले मेरी एक छोटी सी मदद कर दोगे। मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है।"

अमन: "कैसी मदद पेड़ जी?"

नीम का पेड़: "जहाँ से थोड़ी दूर एक बुजुर्ग औरत की कुटिया है। उसके पैर में गहरी चोट लगी है। उसे मलमल पट्टी की जरूरत है। तुम मेरी डालियों से कुछ पत्ते तोड़कर ले जाओ और पत्तों को कूटकर बुजुर्ग औरत की चोट पर लगा देना।"

अमन: "लेकिन तुम्हारे पत्ते तो कड़वे होते हैं, इसे क्या होगा?"

नीम का पेड़: "मैं पत्ते कड़वे जरूर हूँ लेकिन काफी गुणकारी हैं। इस लिए मुझे इनसे कोई शिकायत नहीं है।"

अमन उसकी बात मानकर उस बुजुर्ग औरत की कुटिया की तरफ़ निकल जाता है। रास्ते में उसे एक बेरी के नीचे एक घायल खरगोश मिलता है। वह बेरी की कुछ डालियों में फंसा हुआ था। वह दर्द से चीख़ रहा था। अमन बेरी की कांटों से भरी डालियों को हटा देता है और उस खरगोश को बचा लेता है। वह पत्थर से नीम के पत्ते कूटकर खरगोश के घावों पर लगाता है। अमन बेरी के नीचे से कांटे साफ़ कर देता है ताकि यह कांटे किसी और जानवर के न चुभें। तभी बेरी का पेड़ बोलता है।

बेरी: "शुक्रिया नन्हे बच्चे, मेरे नीचे से मेरे कांटे साफ़ करने के लिए।"

अमन: "तुम भी बोल सकते हो।"

बेरी का पेड़: "हाँ, मैं भी बोल सकता हूँ।"

अमन: "क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता, जब तुम्हारे कांटे किसी को चुभते हैं? तुम्हारे जैसे कांटे वाले पेड़ को नहीं होना चाहिए था।"

बेरी का पेड़: "हाँ, मुझे तकलीफ होती है जब मेरे कांटे किसी को चुभते हैं। लेकिन मैं तब खुश होता हूँ जब मैं लोगों को मीठे फल बेर देता हूँ, जो लोगों को बहुत पसंद हैं। मेरे पास कांटों के साथ-साथ फल हैं। इस लिए मुझे मेरे कांटों से कोई शिकायत नहीं।"


बेरी अमन को बहुत सारे बेर देती है और कहती है, "मुझे पता है कि तुम उस बुजुर्ग औरत के पास जा रहे हो। उस बुजुर्ग औरत को मेरा मीठा फल बेर देना। वह यह बेर खाकर खुश होगी।" अमन कुछ बेर खुद खा लेता है और कुछ बेर उस बुजुर्ग औरत के लिए रख लेता है। अमन बेरी से अलविदा लेकर आगे चला जाता है। 


रास्ते में उसे एक गुलाब का पौधा मिलता है। गुलाब का पौधा अमन से कहता है।


गुलाब का पौधा: "कहाँ जा रहे हो, भाई?"


अमन: "मैं उस बुजुर्ग औरत के पास जा रहा हूँ जो पास ही जंगल में है। उसके पैर में चोट लगी है, उसे मलम-पट्टी करने जा रहा हूँ।"


गुलाब का पौधा: "क्या तुम मेरी मदद करोगे?"


अमन: "कैसी मदद चाहिए आपको?"


गुलाब का पौधा: "तुम जिस रास्ते में जा रहे हो, उस रास्ते की तरफ़ एक चरवाहा अपनी भेड़ों को चरा रहा है। उसके साथ उसकी नन्ही बच्ची है। उसे मेरे फूल बहुत पसंद हैं लेकिन उसे मेरे कांटों से डर लगता है। उसने कई बार मेरे फूलों को तोड़ने की कोशिश की लेकिन मेरे कांटे उसे चुभते थे। तुम मेरे कांटों को हटाकर मेरे फूल तोड़कर उसे दे दो, वह खुश हो जाएगी।"


अमन गुलाब को तोड़कर उसे कांटे हटाकर फूलों को अपने पास रख लेता है और आगे बढ़ता है। आगे जाकर उसे चरवाहे की नन्ही बच्ची मिलती है जो पेड़ के नीचे खेल रही थी और थोड़ी दूर उसके पिता भेड़ों को चरा रहे थे। अमन उसे फूल देता है, वह खुश हो जाती है।


नन्ही बच्ची: "शुक्रिया आपका भाई।"


अमन: "वेलकम मेरी छोटी और प्यारी बहना।"


अमन उसे खाने के लिए कुछ बेर देता है और आगे की तरफ़ निकल जाता है। वह बुजुर्ग औरत की कुटिया में पहुँचता है। वह नीम के पत्ते को कूटकर उस बुजुर्ग औरत के पैर पर मलम-पट्टी करता है।


बुजुर्ग औरत: "शुक्रिया बेटा तुम्हारा।"


अमन: "इसमें शुक्रिया वाली कौन सी बात है, दादी माँ।"


बुजुर्ग औरत: "तुम बहुत अच्छे हो बेटा।"


अमन उसे खाने के लिए बेर भी देता है। बुजुर्ग औरत बेर खा लेती है। अमन उसे अलविदा लेकर उसी रास्ते पर वापस आ जाता है। वह फिर से नीम के पेड़ के पास वापस जाता है। नीम का पेड़ उसे समझाता है कि जैसे फूल और कांटे दोनों पौधे का हिस्सा होते हैं, दोनों एक ही पेड़ पर उगते हैं। वैसे ही सुख और दुख दोनों ही हमारी जिंदगी का हिस्सा होते हैं। जैसे कांटे फूलों और पेड़ों को उसे खाने वाले कीड़ों-मकोड़ों से बचाते हैं, वैसे ही जिंदगी में आने वाले दुख भी हमें कुछ सिखा जाते हैं। 


अमन को नीम के पेड़ की बातें गहराई से सुन रहा था। उसने जिंदगी का बड़ा सबक सीख लिया कि जिंदगी में सुख-दुख दोनों ही जरूरी हैं और हमें दुखों से सीखना चाहिए। हमें अपनी जिंदगी को खत्म करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बल्कि हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए और उनसे सीखना चाहिए। 


फिर अमन अपने घर वापस आ जाता है। उसके माता-पिता उसे देखकर खुश हो जाते हैं क्योंकि उसके माता-पिता उसे स्कूल की छुट्टी के बाद से ढूंढ रहे थे। वह अमन को गले लगा लेते हैं। अगले दिन अमन अपने स्कूल के फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में हिस्सा लेता है। वह अपने सिर पर गुलाब के फूलों से बना हुआ ताज और कुछ बेर के पत्ते, नीम के पत्ते पहने हुए था। बच्चे उसे देखकर हंसने लगते हैं। लेकिन अमन मुस्कुराते हुए अपने माता-पिता की तरफ़ देखता है। फिर वह स्टेज पर अकेले ही बेर, नीम और गुलाब के पौधे का एक छोटा सा नाटक पेश करता है। बच्चे भी गंभीर होकर उसका नाटक देखते हैं। उस नाटक के जरिए वह सबको समझाता है कि जीवन में सुख-दुख दोनों ही जरूरी हैं और हमें दुखों से सीखना चाहिए। हमें अपनी जिंदगी को खत्म करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, बल्कि हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए और उनसे सीखना चाहिए।

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