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पंखे पर आलना

12 जनवरी 2025

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गर्मियों का मौसम शुरू होने वाला था। एक महीने पहले एक चिड़िया रोज़ मेरे कमरे में आती थी। चिड़िया आकर मेरे कमरे के पंखे पर बैठ जाती थी। महीना भर तो वह मेरे कमरे के पंखे पर आकर बैठ जाती और उड़ जाती थी। लेकिन बाद में वह हर रोज अपने मुंह में तिनका लाती और मेरे कमरे के पंखे पर लाकर रख देती। कुछ दिनों में उसने पंखे पर आलना (घोंसला) बना लिया। पंखे पर आलना (घोंसला) देखकर मैं बहुत हैरान हुआ। तब गर्मियां भी शुरू हो गई थीं लेकिन मैंने अपने कमरे में जाना बंद कर दिया। मैं अपने कमरे के पास वाले बरामदे में सोने लगा। एक दिन मैं घर पर बोर हो रहा था। मैंने सोचा कि मैं अपना खाली समय बिताने के लिए स्टोरी बुक ही पढ़ लेता हूँ। दरअसल, मुझे कहानियाँ पढ़ने का शौक है। मैं अपने कमरे में स्टोरी बुक लेने गया। कमरे में बहुत गर्मी आ रही थी। मैं पंखे का स्विच ऑन करने ही वाला था, तभी अचानक मेरा ध्यान चिड़िया के घोंसले पर गया। फिर मैं खुद को कोसने लगा कि मैं यह क्या कर रहा था, मैं नन्ही चिड़िया की मेहनत को मिट्टी में मिलाने जा रहा था। अच्छा हुआ कि अचानक मेरा ध्यान घोंसले की तरफ़ चला गया। फिर मेरा मन किया कि मैं चिड़िया के घोंसले को नजदीक से देखूं कि चिड़िया ने सुंदर घोंसला कैसे बनाया है। मुझे लगा कि चिड़िया अपने घोंसले में नहीं है। तो मैंने अपने बैंड पर टूल रखा और टूल पर चढ़कर घोंसले को नजदीक से देखने लगा। तभी चिड़िया अपने घोंसले से बाहर उड़ जाती है। मैं टूल से नीचे उतरकर जल्द से जल्द कमरे से बाहर चला गया। मैं कई दिनों तक अपने कमरे में नहीं गया।  

एक दिन दोपहर के दो बजे मैं बरामदे में बैठकर चाय पी रहा था। वो कहते हैं ना, वैसे वो का तो पता नहीं। मैं कहता हूँ कि गर्मी चाहें कितनी भी हो, लेकिन चाय हमारे थके हुए शरीर को दुरुस्त कर देती है। तो मैं कहा था? हाँ  

तो मैं मजे से बरामदे में बैठकर चाय पी रहा था, तभी मुझे चिड़िया के बच्चों की जोर-जोर से चहचहाने की आवाज़ सुनाई दी। मैं कमरे में गया। कमरे में जाकर मैंने देखा कि चिड़िया का एक बच्चा अपने घोंसले से नीचे गिर गया। मैंने चिड़िया के बच्चे को प्यार से सहलाया और फिर उसे घोंसले में वापस रख दिया। मैंने देखा कि घोंसले में चिड़िया नहीं थी। दरअसल, चिड़िया सुबह से खाना लेने के लिए गई थी लेकिन अब तक वह वापस नहीं आई। बच्चे भूख की वजह से जोर-जोर से चहचहा रहे हैं। मैंने चिड़िया के घोंसले में बच्चों के लिए बोतल के डंकन में पानी और चावल के कुछ दाने रख दिए। और मैं अपने कमरे से बाहर चला गया। कुछ दिनों के लिए मैं अपने मामा की बेटी की शादी में चला गया।  

सात-आठ दिन मैं वहीं रहा। जब मैं वापस आया, तब मैंने अपने कमरे में जाकर देखा कि चिड़िया अपने बच्चों को लेकर उड़ गई थी। चिड़िया के उड़ जाने पर पता नहीं मुझे इतनी तकलीफ क्यों हो रही थी। मैं उदास हो गया। तभी किसी तरफ़ ची, ची की आवाजें आने लगती हैं। मैं उस ची, ची की आवाज़ सुनते हुए नीचे झुका तो मैंने बैंड के साथ वाले टेबल के नीचे चिड़िया का एक बच्चा देखा। मैंने उस बच्चे को उठाया और अपनी दादी माँ के पास ले गया। मैंने अपनी दादी माँ को बताया कि चिड़िया अपने दो बच्चों को लेकर उड़ गई। और इस बेचारे को भूल गई। इसे पहले भी यह बेचारा घोंसले से नीचे बैंड पर गिर गया था, तो मैंने इसे उठाकर घोंसले में रख दिया था। तो दादी माँ ने मुझे बताया कि चिड़िया इसे एक इंसान का बच्चा समझने लगी है, इस लिए यह इसे छोड़ गई। मैंने दादी माँ की बात सुनकर हंसने लगा। क्या बात कर रही हैं, दादी माँ आप। ऐसा कैसे हो सकता है? हो सकता है बेटा, बिलकुल हो सकता। दरअसल, पक्षी अपना बच्चा सुगंध से पहचानते हैं। तुमने चिड़िया के बच्चे को काफी देर तक अपने हाथों से सहलाया, जब चिड़िया ने अपने बच्चे को सुगंधा तो उसमें एक इंसान की गंध आने लगी। जिसके कारण वह अपने बच्चे को इंसान का बच्चा समझने लगी। मुझे यह सब जानकर बहुत दुख हुआ। तो मैंने चिड़िया के बच्चे को एक पिंजरे में डालकर रख लिया। और उसे पालने लगा। मैंने उसका नाम गिटर रखा। धीरे-धीरे गिटर बड़ा होने लगा लेकिन अभी तक उसे उड़ना नहीं आता था। वह दूसरे पक्षियों को उड़ते देखकर अपने पंख फैलाने की कोशिश करता था लेकिन उड़ नहीं पाता था। अब पिंजरा उसे कैद लगने लगा था। लगें भी क्यों न, क्योंकि वह एक पक्षी है और पक्षियों का घर आसमान होता है, न कि एक पिंजरा। गिटर उदास रहने लगा। उसकी नाराजगी दूर करने के लिए मैंने एक बोलने वाला तोता खरीदकर अपने घर लाया। वह तोता भी बड़ा प्यारा था और उसकी आवाज़ भी। मैंने उस तोते का नाम मिठ्ठू रखा। मैंने मिठ्ठू से गिटर को मिलवाया। फिर मिठ्ठू को गिटर के बारे में बताया। मैंने मिठ्ठू से कहा कि गिटर को वह उड़ना सिखा सकता है। धीरे-धीरे गिटर और मिठ्ठू की दोस्ती हो गई। मिठ्ठू ने गिटर को उड़ना सिखाना शुरू किया। धीरे-धीरे गिटर उड़ना सीख गया। जब गिटर पूरा उड़ना सीख गया, तो मैंने उन दोनों को पिंजरे से आज़ाद कर दिया। वह दोनों आसमान में दूर उड़ गए और मैं उन्हें खिड़की से देख रहा था।

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