जन्म दिया, मुंह फेर लिया,
फिर, इस संसार ने घेर लिया,
कभी पढाई, कभी दवाई,
कभी मिलाई, कभी जुदाई,
कुछ पाया चाहे कभी नहीं,
पर चुक गई, पाई-पाई,
रोज़ झाँकता दरवाज़े पर,
क्या आज सफलता आई ?
घर-समाज की बेड़ियाँ,
बस बंधन, जकड़न लाईं,
बहुत हुआ उपकार आपका,
बस मुंह, मुंह की खाई,
क्या इस हाल में
भी,
मेरे लिये,
इम्तिहान नया लाओगे ?
मेरे यीशु,
अल्लाह, ईश्वर,
अब क्या मार ही
डालोगे ?