ना लीजिए सब्र का अब मेरे इम्तिहान !
दुआ बददुआ में जल उठेगा आपका प्राण,
चला देँगे आपपे जो शब्दों का तेज बाण,
फिर एक ही शख्स होगा ढ़ेर या महान,
याद रखेगा ये तकरार अब तो सारा जहान,
किसी ना किसी एक का तो तय है अब अवसान,
ना लीजिए सब्र का अब मेरे इम्तिहान !
कितने आये और चले गए देख मेरी म्यान,
आँखें निकल गईं कट गए दोनों हाथ और कान,
धूल धूसरित हो गई दुश्मन की आन बान शान,
याद रखेगा ये तकरार अब तो सारा जहान,
किसी ना किसी एक का तो तय है अब अवसान,
ना लीजिए सब्र का अब मेरे इम्तिहान !
कॉपीराइट @ चंद्रेश विमला त्रिपाठी