क्यों माँ काली के पैरों में लेटे हैं शिवजी? माँ काली की कुछ ऐसी तस्वीरें होती हैं, जिनमें वे शिव के ऊपर पाँव रखी हुई हैं। आइए जानते हैं शिव और माँ काली की कहानी कि, काली मां ने क्यों रखा शिव जी के ऊपर पैर? प्राचीन काल में राक्षस अपनी तपस्या के बल पर
इस कविता में कवि अपने जीवन में घटित सूख दुख अनुभूति के बारे में बताते हुए कहता है कि जीवन सुख और दुख की लीला भूमि है। यहां शोक और आनंद दोनों आते रहते हैं। कवि को हमेशा से अपनी वेदना पर विश्वास है। एक प्रेमी के लिए सूख दुख दोनों नियती का दान है और दोन
जब कोई युवक युवती प्रेम में पढ़ती है तो किस तरह के वाक्य सामने आते हैं,।
गोधूली के समय सब कुछ सुहाना लगने लगता है ।
कानन कुसुम हिन्दी भाषा के कवि, लेखक और उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद की एक काव्य कृति है। इसका प्रथम संस्करण १९१३ ई॰ में प्रकाशित हुआ था जिसमें ब्रजभाषा की कविताएँ भी मिश्रित थीं। सन् १९१८ ई॰ में इसका दूसरा परिवर्धित संस्करण प्रकाशित हुआ।
शेरो-शायरी और कविताओं से भरपूर ये प्रवचन पंथ की सारी कठिनाई को दूर कर एक नई सुबह की तरह हमें अभिभूत कर लेते हैं। ओशो कहते हैं : 'मैं तो देखता हूं एक नया सूरज, एक नई सुबह, एक नया मनुष्य, एक नई पृथ्वी—वह रोज निखरती आ रही है। अगर हम थोड़े सजग हो जाएं तो
कामायनी की कथा मूलत: एक कल्पना‚ एक फैण्टसी है। जिसमें प्रसाद जी ने अपने समय के सामाजिक परिवेश‚ जीवन मूल्यों‚ सामयिकता का विश्लेषित सम्मिश्रण कर इसे एक अमर ग्रन्थ बना दिया। यही कारण है कि इसके पात्र - मनु‚ श्रद्धा और इड़ा - मानव‚ प्रेम व बुद्धि के प्र
एक गरीब मजदूर की सामाजिक कहानी जिसमें लेखक ने उसके सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल न होने का कारण बताया है ।
तवायफ की जिंदगी को उजागर करतीं.... एक बेहद संवेदनशील और विचारणीय... कहानी....।।।। एक ऐसी लड़की की कहानी.... जो चाहतीं कुछ थी और मिला कुछ...।।।
🕉️भजन-सरोवर 🕉️ !!श्री गुरवे नमः!! !!ॐ नमो नारायणाय!! !!ॐ नमो भगवते वासुदेवाय!! 🕉️ मेरे
एक बगल कि पड़ोसी कि गलती और हो गया जो नहीं होना चाहिए।
सत्य का हमारे दृष्टि में मूल्य नहीं है इसलिए हम विश्वासी बने हुए हैं। सत्य का हमारी दृष्टि में मूल्य होगा, तो हम विश्वासी नहीं हो सकते, हम खोजी बनेंगे। हमारी प्यास होगी, हम जानना चाहेंगे। ऐसा ओशो ने कहा है और उनकी इस किताब में आपको सत्य की प्यास क्या
Alok a Religion Flag of India yeh story alok naam ke ak sautele bete par Aadharit hai. Jo bachpan se apne pita aur Sauteli maa ke Durvyavahar aur Atyachar se pidit rehta hai. Alok ki ak Bhumi Naam ki Sauteli Behan Bhi thi jise alok apni jaan se bhi j
मै तन्हा चलता रहा उसकी तलाश में है वक्त गुजर रहा , उसके इंतजार में ये तस्वीर भेजी है, उसने लिफाफे मे मै तन्हा चलता रहा उसकी तलाश में शौक इतना है बस, मेरे कान्हा। हार भी हो तो भी तुझे साथ पाऊं जीत भी हो तो भी तुझे साथ पाऊं शौक इतना है बस, मेरे कान