17 फरवरी 2016
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कुछ समझ में नहीं आता है।
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स्टेट बैंक से २०१४ में रिटायर किया हूँ।बिहार से हूँ और फिलहाल रांची में रहता हूँ।D
एक महिला के 3 दामाद थे.उसके दामाद उसे चाहते भी हैं या नहीं,यह जानने के लिए एक दिन वह पहले दामाद को लेकर तालाब के किनारे घूमने गई और उसमें कूद पड़ी.पहले दामाद ने उसे बचा लिया …सास ने उसे एकमारुति कार उपहार में दी.अगले दिन दूसरे दामाद के साथ तालाब किनारे घूमने गई और फिर कूद पड़ी.दूसरे दामाद ने भी बचा
हमे ऎसे बनना चायेह जो हमें दुनिया वाले प्यार करे
तुम्हारा वह कोमल स्पर्शदेता है। जीवनहर फूल में आतीतुम्हारी खुशबूओ साथी।।।तुम रहो मेरे हृदय मेंजीवन दीप बनकरऔर जलो। मेरीप्रेरणा बनकरतुम्हारी निश्छल मुस्कानकहती हैहम मिलेंगेअनंत निर्मलसागर की तरह।।।।।।
हमें आएं दिन अपने बड़े-बुजुर्ग से सुनने को मिलता है कि अब ज़माना वो नहीं रहा.हमारा ज़माना,ज़माना हुआ करता था.बच्चे सभी बड़े-बुजुर्गो के पांव छुते थे,उनको सम्मान देते थे.आज कल के बच्चे न बड़ो को सम्मान देते है न उनकी बात सुनते है.बस अपनी ही मनमानी करते है.इस बात से मुझे अपने बड़े-बुजुर्गो की बात कुछ
"सबसे न्यूनतम धर्म है दूसरों को दुख न देना और सबसे अधिकतम धर्म है दूसरों को सुख देना...!!!""स्वयं के कुछ होने का अभिमान ही व्यक्ति को उसके गौरव से वंचित करता है...!!!""हममें सबसे मूल्यवान वस्तु है, हमारा स्वयं पर पूर्ण विश्वास...!!!""दुख तो सिर्फ मानने का है, मानो तो दुख का अन्त नहीं और मानो तो मौत
वित्तीय वर्ष का पूर्वार्द्ध बीत गया। पिछले वर्ष की बिक्री से आधी अभी तक हुई नहीं है। देखते हैं उत्तरार्द्ध में क्या होता है। आशा व उम्मीद छोङने का कोई कारण दृष्टिगत नहीं होता। हां, अधिक प्रयासों की आवश्यकता अवश्य पङेगी। करेंगे, क्योंकि प्रयास करने वाले पराजित नहीं होते।
न चाहते हुए भी वो काम करवाती है ॥जो दिल को नही भाता॥न दिमाग को भाता ॥फिर भी मैं उसी डगर जाता हूँ ॥आखिर क्यूं? मोह मोहे जीने न दे॥किसका मोह ओर कैसा मोह॥यह दुनियादारी एक ऐसी मदारी॥बंदर की तरह जो मुझे नचा रही ॥रंगमंच ऐसा ,अभिनय करवा मुझसे, खाख में मिला रही॥
हैं खड़े रोंगटे अभी तक जब याद आई गरीबीवो भी क्या दिन थे जब था न कोई करीबी घुटन में थी जिंदगी सपनों में दिन पार होतेसोचता था काश अमीरों से कोई तार होते
अर्थशास्त्र, राजनीति औरकूटनीति के मर्मज्ञ ज्ञाता कौटिल्य जिन्हेंपूरी दुनिया आचार्य चाणक्य के नाम सेजानती है उन्होंने कई ऐसी गूढ़ बातेंपूरी दुनिया को बताई हैं जिनको मानकर आपजीवन में कभी भी मातनहीं खा सकते। वैसे तो चाणक्य ने अर्थशास्त्र केसंबंध पर काफी कुछ लिखा है, लेकिन उन्होनेंखुशहाल जीवन और उन्नति
शुभ कामनाएं
मैं जब तन्हा रहता हूँ तब गजल लिखता हूँ|किसी को नहीं मालूम मैं कब गजल लिखता हूँ|सब अनर्थक खुशी लेने में मशगुल हैं,मैं अपनें हर खुशी का असल लिखता हूँ|सब दिखावे को सच जानकर जी रहें हैं,मैं हकीकत को लफ्जो मे बदल लिखता हूँ|लोग तारीफ के भ्रम में फसकर खुश रहतें हैं,मैं तरीफ पानें की असली वजह लिखता हूँ|दुनि
आज भड़काने वालों की कमी नहीं है न ही अंधभक्त भड़कने वालों की।भला होगा उस भले आदमी का जो इन भड़कने वालों को भड़काने वालों के भड़काउ भाषण* से ना भड़कने के लिये भड़का दे।।हम सिर्फ ईश्वर की कटपुतली हो सकते हैं,इशारों पर नाचने वाले तो निर्जीव होते हैं।।
प्यारे मित्रो पुरे देश में हिन्दू- मुस्लिम की बेवजह की तू तू मै मै चल रही है । और इसको चलाने वाले मौका परस्त लोग है । आम जनता को अपनी रोटी -रोजी कमाने से ही वक्त नही मिलता ।
सम्पूर्ण पसारा मन का है मन से मुक्त होना ही मनुष्य जीवन का कर्म है।
नेह समर्पित, स्नेह समर्पित, प्रेम का सारा रसखान समर्पित, आज समर्पित, कल समर्पित, जीवन का हर पल समर्पित, आन समर्पित, मान समर्पित, मेरा हर सम्मान समर्पित, खुशियों की सौगात समर्पित, आपको मेरा प्रणाम समर्पित, आपको मेरा प्रणाम समर्पित........शुभाकांक्षी......विजय कनौजिया
[16/11 10:50 PM] Vijay Prakash: शरद ऋतु के प्रारम्भ के आगमन पर, हवाओं की सिरहन भरी धीमीं झोंकों में, रात्रि की निद्रा में शीतलता का एहसास, गरमाहट की अति आवश्यक अभिलाषा....ऐसी शीतल रात्रि में आपको गरमाहट भरी निद्रा प्राप्त हो....।शुभ शीतल ज्योत्स्ना पूरित निशा 🙏शुभाकांक्षी....विजय कनौजिया[16/11 10:5
सखी! हरि हमको देखि लजाये।हरि नें जनम दियो मानुष कोहम पशु बनि ही बिताये।सहज सुबेली धरनी हरि कीहम अपनी ही बताये।।1।।नयन दिखाये सारे जग कोकाया करम कराये।माया रमन कराये हरपलजो छाया दिख जाये।।2।।आपा-धापी करमहिं व्यापीप्रीतम नेह गवाये।मोह किये नासी काया सेअविनासी नहिं ध्याये।।3।।वेद-कतेब उपनिषद गायेहरिपद
है नाम "सुकेशु" अतिसुन्दर,कवियों की तुम काव्यांजलि हो,गद्यों की गरिमामयी गद्य,छंदों की छन्दावली हो तुम,सुमधुर रसों से सिंचित हो, हम जैसों की रसखान हो तुम,तुम गरिमामण्डित प्रतिभा हो,अभिमान हो तुम सुंदरता की,आदर्शमयी शुभ सूचक हो,संकेतक हो शुभ कर्मो की,कर दिया समर्पित जीवन को,अपनों की खुशियों के खातिर,
सुखद, सुप्रिय, सुव्यवस्थित, सुमंगल, अभिलाषित, पुलकित, आकांक्षित, मधुरम्, सुमधुरम्, आदर्शमयी, नवजागृति, नव उत्साह, नवीन आशाओं की स्नेहमयी प्रारम्भ, विभूषित प्राकृतिक सौंदर्य की अलौकिक उत्साहमयी दिवस आरम्भ दिन भर आपको आकर्षण का केंद्र बनाये.......।सुप्रभात......विजय कनौजिया
आप जीवन के जिस स्नेहिल पथ पर अग्रसर हैं, उस पर पुष्प् हों, नए कोमल दूब हों, स्नेह में स्नेहिल विविधिता हो, दैनिक परिदृश्य में प्रमुख अलंकारों की अलंकृत कर देने वाली उपस्थिति आपकी जीवन शैली को श्रृंगार रस की श्रेणी से विभूषित करके, आपके जीवन सरोवर को कमल पुष्प की भांति सौंदर्य की उपमामयी दृश्यांकन,
हिंदी हमारी संस्कृति की विरासत है । हमारे दैनिक तारतम्यों की धरोहर है । इसकी मधुरता हमारे समस्त संबंधों को एक स्नेहिल लड़ी में पिरोती है । हमारी अभिव्यक्ति कि जो रसता है, ओ हिंदी के बिना अधूरी है । लेखन शैली, अभिव्यक्ति शैली की जो भी मधुरता है, ओ हमारी हिंदी से ही संभव है । भारतीयता का जो श्रृंगार है
कुछ जीत लिखूं या हार लिखूं या दिल का सारा प्यार लिखूंकुछ अपनों के जज्बात लिखूंया सपनों की सौगात लिखूं कुछ समझूँ या मैं समझाऊंया सुनकर चलता ही जाऊंपतझड़ सावन बरसात लिखूंया ओस की बूंद की बात लिखूंमैं खिलता सूरज आज लिखूंया चेहरा चाँद गुलाब लिखूंवो डूबते सूरज को देखूंया उगते फूल की साँस लिखूंवो पल में बी
ओ आहट ही क्या ! जिसमें किसी के आगमन के लिए हमारे कर्ण व्याकुल न हों,ओ सौंदर्य ही क्या ! जिसके दर्शन मात्र से ही उसकी सन्दर्भ सहित व्याख्या करने का मन न करे,ओ काव्य ही क्या ! जिसमें प्रमुख छंदों और रसों को अलंकृत कर देने वाला समागम न हो,ओ परिधान ही क्या ! जिसमें नेत्रों को आवाक कर देने की क्षमता न हो
जीवन के किसी भी मोड़ पर खुशियों का दामन थामा जा सकता है, बस मन की खिड़िकी खोल ताज़ा हवा आने देने की चाहत होनी चाहिये.......।
Nagendra Sharmaदोस्तो अब आप घर बैठे बैठे ही पैसे कम सकते बस नीचे दिए गए link पर click करो ओर Download करो champ cash app को ओर 1 दिन मैं पाओ 7$ यानी ₹450 या इससे भी ज्यादा आप सोच रहें होंगे कि ये app fake हैं नहीं ये app fake नहीं है इस app को एक बार download करके तो देखें आप http://champcash.com/38
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मित्रता की पृष्ठभूमि में मित्रवत संबंधों का स्नेहिल अंकुरण, हमारे जीवन परिदृश्य को अलौकिक दिशा प्रदान करता है । जो जीवन के प्रत्येक क्षण में अपनी सकारात्मक उपस्थिति का आभास कराकर, हमें साहस प्रदान करता है तथा हमारे जीवन बगिया को स्नेह के उर्बरक से प्रस्फूटित करके सदैव अपने मार्गदर्शन से अभिसिंचित कर
हमारे जीवन में रसों का मुख्य रूप से रसास्वादन हो, विचारों में अलंकृत कर देने वाले अलंकारों का समावेश हो, दैनिक परिदृश्य में प्रमुख छंदों की प्रमुखता हो, जो हमारे मन मंदिर को श्रृंगार रस की श्रेणी से अंतर्मन को विभूषित करे ।शुभाकांक्षी~~~~विजय कनौजिया My Whatsapp Number~~ 9818884701
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भावुकता के अंतर्द्वंद से जब मन विचलित होने लगता है, तब अश्रुधारा की एक प्रवाह जिस तरह अपने आगमन का प्रस्तुतीकरण करती है, वह किसी वर्षा ऋतु की झमाझम बारिश से कम प्रतीत नही होती । जो समापन के समय हमारे मन को शून्य एवं शांतिमय बना जाती है और साथ ही संवेदना एवं सांत्वना के अनुकरणीय बीजों का अंकुरण कर जा
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सहते रहना का तात्पर्य सहिष्णु होना है और प्रतिकार कर देना असहिष्णु हो जाना।
आप एक गरीब की सहायता करने में कभी मत हिचकिचाइये
कुछ कहती हैं साहिल से लहरें साहिल है बईमान बड़ा घुलता है रोज़ मगर देख रहा वो दूर खड़ा । -दीपक शर्मा ।
My son prince birthday
मैं कहूँ जो सदा वो जुबानी बनो। खत्म न हो कभी वो निशानी बनो। तुम बनो वो प्रिये जो मेरा अंश हो,एक अमर प्रेम की तुम कहानी बनो। अंकुर मिश्रा
शामों की गिरेहबान में जब झांकता हूँ तो रातों से झगड़ा मोल ले लेता हूँ ,नींद की करवटों पर कोई कसक दबी सी रहती है । - दीपक ।
आपके जीवन के भू-भाग में भौगोलिक प्रसन्नताओं का संचालन, समानांतर रेखा की भांति निरंतर आपके जीवन परिधि में, निर्मेय और प्रमेय की संज्ञामयी विधियों में, आपके प्रगति पथ पर 90 अंश के कोण के समान आपको सदैव सफलता के पथ पर गतिमान करके, खुशियों में पूर्णतयः चक्रवृद्धि ब्याज की भांति प्रसन्नताओं का भंडार आपके
आपके जीवन के रसायनिक समीकरण हमेशा आक्सीजन एवं कार्बन जैसे मिल कर धवल जल विन्दु का उज्जवल रूप लेते हुए तथा तत्वों की यौगिक युग्म प्रक्रियाओं की भांति ऐसा ऐतिहासिक रूप धारण करते हुए जो अर्वाचीन, प्राचीन एवंआधुनिक इतिहास के किसी पृष्ठ पर उद्धृत ना सका हो , एवं जीवन पथ के हर लघुगणक संसार रूपी उदधि की
मन के भाव की असीमित विविधिता जब किसी के प्रति स्नेहिल भाव के साथ प्रदर्शित होती है, तो जीवन के रंग मंच पर स्नेह के वृक्ष का जो अंकुरण होता है, उस स्नेहिल वृक्ष की छाँव तले प्रत्येक मानव जीवन अपना समस्त जीवन काल व्यतीत कर सकता है ।किन्तु वही मन के भाव जब किसी के प्रति विपरीत हो जाते हैं, तब स्नेहिल स
पठानकोट मेंआतंकवादियों को एक टेक्सी ड्राइवर ने अपने प्राण देकर,गाडी़ को गिराकर उनका रास्ता रोका किंतु वहॉ के एस.पी.ने मूकबधिर बन कर उन्हें अपनी गाड़ी में लिफ्ट किया ! शंका तो होती है ! भगवान करे यह शंका गलत निकले !
जिन्होंने ये हिंदी सॉफ्टवेयर बनाया हैउनको बहुत बहुत बधाई ।
चैटिगँ छोडकर इस पोस्ट को जरूर पढेँ वर्ना सारी जिन्दगी चैट ही करते रह जाओग...1378 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है इरान1761 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है अफगानिस्तान.1947 मेँ भारत से एक हिस्सा अलग हुआ, इस्लामिक राष्ट्र बना - नाम है पाकिस्तान.
Hello dosto.
🌞 दीपक कभी बोलता नही है प्रकाश ही उसका परिचय देता हैठीक उसी प्रकार हम भी अपने बारे मे कुछ न बोलेहम मात्र निस्वार्थ भाव से अच्छे कर्म करते रहेहमारे कर्म ही हमारा परिचय देंगे........... सुप्रभातम् 🌞🙏🙏🌞
Good morning
जय श्री राम
Hiii दोस्तो
एक महिला ने बताई अपनी आपबीती।एक मीटिंग के बाद मैं होटल से बाहर आई। मैंने अपनी कार की चाबियाँ तलाशीं लेकिन मेरे पास नहीं थीं। वापस मीटिंग रूम में जाकर देखा, वहाँ भी नहीं थीं।अचानक मुझे लगा कि, चाबियाँ शायद मैं कार के इग्नीशन में ही लगी छोड़ आई थी। मेरे पति बहुत बार मेरी इस आदत के लिए मुझे डाँट चुके थे
लक्ष्य तय करने की आपकी क्षमता ही सफलता की सबसे प्रमुख योग्यता है लक्ष्य आपके सकारात्मक मस्तिष्क का ताला खोलते हैं और मंजिल तक पहुंचाने वाले विचारों तथा ऊर्जा को मुक्त करते हैं |लक्ष्यों के बिना आप बस ज़िंदगी की लहरों पर डूबते उतराते रहते हैं , जबकि लक्ष्य होने पर आप तीर की तरह उड़कर सीधे निशाने पर पह
आप सभी को लोहिणी पर्व की शुभकामनाएं।
जाडे़ की सुबह जब गर्म धुप के साथ शुरू होता है तो पुरा दिन खुशनुमा रहता है!!
Good morning friends
Namaskar
Aap sabhi ko makar sakranti ki dher sari subhkamnaye
p
गुरु ही मुक्ति दात्ता।।
स्नेहिल रिश्तों की धरोहर पर हमारे सम्बन्धों का अंकुरण, पूरी पौष्टिकता के साथ होता है, जिसकी उपज मधुर भावों से सिंचित होकर, तथा मिठास के उर्वरक से प्रस्फूटित होकर, अपनी पूरक प्रौढ़ता के साथ, स्नेह की धरा पर, मधुर सम्बन्ध रूपी फसल के रूप में काटी जाती है...। विजय कनौजिया "'''''''""''""""
हमसभी धार्मिक हो गए तो विद्वेश मीट जायेगा।सभी धर्म प्रेममार्ग है।आइये हमसभी प्रेममार्ग पर आगे बढें।
कुछ पंक्तिया फिराक की...
आप से
फ़्घज्जग्फ्ज्ग्फ्भ्फ्ग्ग्गक ग्ग्घ्ज्ज्ज्व्च्ब्नक्ग्ग्घ्फ़्घ्हहहज्जग्ग्घ्ग्क्ष्घ्ज्ग्फ्ग्ह्ह्ह्ह्ग्ग्ग्ग्ग्व्ह्स हहज #manjeet
क्या इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को लगातार दो मैच मे हराकर अछा किया ? #testing #app
Maa Gayatri Devi Tournament Cup Sahpur kamal Begusrai SCA KHAGARIA TEAM WON
बदलते लोग, बदलते रिश्ते और बदलता मौसम,चाहे दिखाई ना दे, मगर 'महसूस' जरूर होते हैं. !!
😂😂कुछ समझ में नहीं आता है।
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजेइक आग का दरिया है और डूब के जाना है#जिगर मुरादाबादी
#सपनों की दुनिया मे हम खोते चले गए,होश मे थे फिर भी मदहोश होते चले गये,जाने क्या बात थी उसके चेहरे मे,ना चाहते भी उसके होते चले गए।..
आँखों में दोस्तो जो पानी हैहुस्न वालों की ये मेहरबानी है |आप क्यों सर झुकाए बैठे हैंक्या आपकी भी यही कहानी है ||
हमारे देश में आज कल क्या क्या हो रहा है इस पर सोचने की जरूरत है .कि हम लोग एक दूसरे को ही एक दूसरे से लड़ा रहे है
टीवी, सोशल मीडिया, न्यूज वेबसाइटों, अखबारों के बीच जीने वाली इस सतर्क, जागरूक दुनिया से इतर मुझे तीन दिन से उस दुनिया का ख्याल आ रहा है, जहां पिछले दिनों, सप्ताह या कुछ महीनों पहले ही बिजली पहुंची है। जी हां, बिजली। एक ऐसी सरफरोशी तमन्ना जो आजादी के बाद से पूरी होते-होते छूटती गई, और भारत के लगभग 18
Ram ram
कहते हैं जिस मंज़िल नही जानावो राहें नामालूम ही मुनासिबमगर क्या हो जब इन राहों से ही सोहबत हो जाए। -दीपक
प्रेम पर सब लिखते हैं,घृणा पर कोई नहीं लिखता,जबकि कई बार प्रेम से ज्यादा तीव्र होती है घृणाप्रेम के लिए दी जाती है शाश्वत बने रहने की शुभकामना,लेकिन प्रेम टिके न टिके, घृणा बची रहती है।कई बार ऐसा भी होता हैकि पहली नज़र में जिनसे प्रेम होता हैदूसरी नज़र में उनसे ईर्ष्या होती हैऔरअंत में कभी-कभी वह घृ
सच्चा प्रेम "अमर" है। दुनिया की कोई भी शक्ति उसे मिटाने में समर्थ नहीं है।प्रेम कदापि मृत्यु को प्राप्त नही होता। किन्तु इधर "समय" भी बड़ा महान है।जीवन में ना जाने कभी कभी ऐसे अद्भुत खेल दिखा जाता है~कभी "सुखद" तो कभी "दुखद" और मनुष्य को इसकी खबर भीं नही होती, कि कब, कैसे, कहाँ क्या हुआ! और कभी
स्त्री यदि बहन है तो प्यार का दर्पण है,स्त्री यदि पत्नी है तो खुद का समर्पण है,स्त्री यदि भाभी है तो भावना का भण्डार है,स्त्री अगर मामी, मौसी, बुआ है तो स्नेह का सत्कार है,स्त्री यदि चाची है तो कर्तव्य की साधना है,स्त्री अगर साथी है तो सुख की शतत् सम्भावना है,औरस्त्री यदि माँ है तो साक्षात परमात्मा
पत्थर तराशता एक शख्श,खुदा से मिलने की जिद् कर बैठा ।हाथ लकीरो से भरे थे पहले,मगर अब छालो से भर बैठा ।।मोम की तरह अगर ,पत्थर भी पिघल जाते..हर किसी को जहां में,खुदा फिर मिल जाते...।ढूंनने जो चला,जिंदगी को मै,जिंदगी से ही हाथ धो बैठे,हाथ लकीरो से भरे थे पहले,अब मगर छालो से भर बैठा ।जब खुशियाँ थी,तो पास
है बहुत प्यार तुझसे हमे ज़िंदगी लेकिन नखरे तुम्हारे उठाएगा कौन ?है चाहत हमे भी बहुत रोशनी कीपर इसके लिए घर जलाएगा कौन ? है मन में तो आता रूठे तुझसे हमतेरी तरह मुझे पर मनाएगा कौन ?क्या पता छोड़ कर चल तू दे कब हमेऐसी चाहत गले फिर लगाएगा कौन ?प्यार के नाम पर डाले बंधन हज़ारऐसा पट्टा गले में डलवाये
ये कहानी मैंने आज के उन बुजुर्ग माँओं को समर्पित की है जो सब कुछ लूटा देने के बाद खुद लूट जाती हैं।ये सब वास्ताविकता से प्रेरित हर माँ के आँचल कोसच्चे श्रदा सुमन अर्पित है जो इस विकट विपदा में भी अपना जीवन जी रही है।कृपया एहसासों के चोले को ओढ़कर पढे तभी मन के उन्माद की कसक आपके आँसू को मोती बना सकती
उसने अपनी कह दी हमने अपनी सुनाई ही नहीं ।बात इतनी है कि हमें बात करनी आई ही नहीं ।।बड़ी मुद्दत से इस राज़ को दिल में छुपा रक्खा था।वरना आज तक हमने कोई बात छुपायी ही नहीं।।जाने ऐसा क्या कह दिया था महफ़िल में हमने ।वो मिला तो मगर उस ने आँख मिलायी ही नहीं।।जाने क्यों लोग डर जाते हैं मेरी बेबाकी से ।शाय
ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा ?किस तरह ठोकरे खाकर पाषाण की तरह हूँ खड़ा ।आँधी आई, तुफान आया, फिर भी घुट-घुट कर हूँ पड़ा ।ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा ?लाजिमी सोच-सोच में अभी मैं जिंदा हूँ ।बातों को सुन-सुन के कातिल की तरह शर्मिदा हूँ ।गर्दिश-ए-शर्मिंदगी को कैसे भगाऊँ जरा ।ऐ जिंदगी तुझे कैसे बताऊँ जरा
आप के जीवन के रंगो में इंद्रधनुष🌈 जैसे सप्त रंगो की छटा प्रतीत हो।हँसी ख़ुशी सौहार्द प्रेम प्रसन्नता सफलता और आरोग्य की निरंतरता रहेऐसीईश्वर से प्रार्थना करता हूँ। होली की शुभकामनाओ के साथ.....शुभ होली....शुभाकांक्षी~~~विजय कनौजिया
R
अच्छा लगता है कभी कभी अतीत के पन्नो को पलटना किसी पृष्ठ पर रुक कर उसे हौले से सहलानाऔर उस पर उभर आई तस्वीरों में कुछ देर के लिए गुम हो जाना अच्छा लगता है चलते चलते कभी ठिठक जाना पीछे मुड़कर पगडंडियों के घुमाव को देखना और अपने स्थितिजन्य साहस पर आत्म-मुग्ध हो जाना अच्छा लगता है कभी, किसी का, "हमारे अ
छलनाओं के भाव छिपे हैं इन मीठे अनुबंधों मेंछल छल करती मन की नदिया इन पीड़ा के छंदों में।।रह रह कर उत्साह उछलताअधर मचल कर रह जाते हैं।जाने कितने मीठे सपनेउठ उठ कर फिर ढह जाते हैं।।जीवन कितना जटिल हो गया जग के इन प्रतिबंधों मेंछल छल करती मन की नदिया इन पीड़ा के छंदों में।।हर मुस्कान लिए फिरती हैकोई पीड़ा
"झाँक रहे है इधर उधर सब। अपने अंदर झांकें कौन ?ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां । अपने मन में ताके कौन ?सबके भीतर दर्द छुपा है । उसको अब ललकारे कौन ?दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते । खुद को आज सुधारे कौन ?पर उपदेश कुशल बहुतेरे । खुद पर आज विचारे कौन ?हम सुधरें तो जग सुधरेगा
कुछ हास्यास्पद परिभाषाएं1. कार्यालय : वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।2. समिति : ऐसे व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, परंतु यह निर्णय मिलकर करते हैं कि साथ साथ कुछ नहीं किया जा सकता।3. श्रेष्ठ पुस्तक : जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता को
मेरा बिचार हे सब मिलकर रह