हमारी प्यारी कल्पना
हमारी कल्पना, हमारी परिकल्पना,,हमारी रचना, हमारी संरचना,,हमारी धारा, हमारी परिधारा,,हमारा आंकलन, हमारा संकलन ,,हमारी आकांक्षा, हमारी पराकांक्षा ,,हमारी क्रिया, हमारी प्रतिक्रिया,,हमारी व्यवस्था, हमारी सुव्यवस्था ,,एक शीतल मधुर मनोरम छाँव की तरह होनी चाहिये ।अभिलाषित~~~विजय कनौजिया