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"आज राम और रहीम में, क्यूं ,भेद हो चला ?"

21 मई 2022

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रचनाएँ
"अंशिमा-काव्यकुंज"
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मैं नवीन लेखक "निर्मल गुप्ता",अपने ह्रदय की भावनाओं को शब्द रुपी मोतियों में पिरोकर,अनूठी मालाओं का सृजन कर पाठकों को भेंट करना चाहता हूं । यह पुस्तक एक काब्य- संग्रह है , जिसमें जीवन के गहन अनुभवों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है ।
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"वक्त की करवटों का, हमें कुछ पता नहीं"

1 मई 2022
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वक्त की करवटों का, हमें कुछ पता नहीं । कब क्या घटित हो जाये, कुछ भी, तो पता नहीं ?सुन्दर सुबह होती है, आशाओं के साथ । पर शाम कब ढल जाती है, न

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"जिन आंखों में प्यार का, सैलाब उमड़ता था,अब वो आंखें न रहीं"

1 मई 2022
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जिन आंखों में प्यार का, सैलाब उमड़ता था, अब वो आंखें न रहीं । आंखें जो रही, वो दूसरों की कमियों को, तलाशने में ही, लगी रहीं । कलयुग क्या आया, इंसान की फितरत ही बदल गयी ।

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"जिन्दगी मेरे ख़्वाबों से, क्यूं खेलती है ?"

1 मई 2022
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जिन्दगी मेरे ख़्वाबों से, क्यूं , खेलती है ? कोई तो, बता दें हमें । पहले सुन्दर ख्वाब सजाने के, सपने दिखा देती है ।फिर पल भर में उन्हें, मिटाकर क्यूं ,हमें रुला देती है

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"प्रेम की अनुभूति,तब हुई"

1 मई 2022
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प्रेम की अनुभूति तब हुई, जब पनप गयी प्रेमा-बेल मन में । यूं ,तो मिलना और सम्मान प्रकट करना, आम बात तो थी, उनसे । दिल

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"दुनिया की तस्वीर आज, बदली हुई सी लग रही है"

1 मई 2022
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दुनिया की तस्वीर आज, बदली हुई सी लग रही है । प्रेम की भावनाएं आज, सिमटी हुई सी लग रही हैं ।दुनिया के लोग आज कहकहे लगाने में,रुचि रखते हैं । किसी गिर

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"प्रेम वो नहीं, जिसे वासना की डोर से बांधा जाये"

2 मई 2022
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प्रेम वो नहीं,जिसे वासना की डोर से बांधा जाये । प्रेम वो नहीं ,जो कामवासना की पूर्ति के काम आये ।प्रेम तो ,वो इबादत है, जिसमें प्रेमियों को, इक दूसरे की रुह में समा जाने पर,

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"जिन्दगी तुमने बहुत परीक्षा ले ली, मेरी"

2 मई 2022
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जिन्दगी तुमने बहुत परीक्षा ले ली,मेरी । फिर भी मेरे हौसलों ने, न आंख फेरी ।मैं मनाता रहा,तुम रूठती रहीं । मैं प्यार करता रहा,तुम मुंह फेरती रहीं ।काश ! मेरी खता बता दो,तो मैं म

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ऐ ! जुबां ,तेरी लीला अपार है"

3 मई 2022
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ऐ ! जुबां , तेरी तो लीला अपार है । कभी तो मिठास से, ओत-प्रोत होकर, गैरों को भी, अपना बना देती है । कभी इतनी कड़ुवाहट, भर लेती है , कि पल भर में, अपनों को भी पराया कर देती है ।&

9

"न उड़ो इंसा, अहं के आसमान में"

3 मई 2022
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न उड़ो इंसा ,अहं के आसमान में, ज़मीं पर आने में, वक्त नहीं लगता ।इंसा रिश्ते बनाता है, जन्म भर , पर रिश्तों के टूटने में , वक्त नहीं लगता ।लाख मशक्कत करके, इंसा

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"जिन्दगी इक सफ़र है"

3 मई 2022
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जिंदगी इक सफ़र है । हम इसके मुसाफिर है ।जिंदगी का सफर, कब पूरा हो जाये, हमें, भी पता , नहीं चलता ।कभी-कभी दो रास्ते, जिन्दगी में आते हैं । जो

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"मैं इक कली , प्रेम के बलिदान का प्रतीक हूं।"

3 मई 2022
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मैं इक कली ,प्रेम के बलिदान का प्रतीक हूं । दुनिया की निगाहें, मुझ पर ही टिकी रहती हैं ।कब मैं खिलूं , और दुनिया वाले मुझे तोड़ लें । मैं दुनिया वालों की, नीयत जानती हू

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"मैं तो इक, आवारा बादल"

4 मई 2022
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मैं तो इक आवारा बादल । न मेरा कोई घर है ।और न कोई ठिकाना । जहां कहीं भी, प्रेम वर्षा से, असंतृप्त मानव ह्रदयों को‌ देखा ।बस वहीं ठिठक गया, कुछ पल के लिए ठहर गया ।

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"अगर मेरे हाथ में, तेरा हाथ हो"

5 मई 2022
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अगर मेरे हाथ में, तेरा हाथ हो, तो दुनिया हंसी लगती है । अगर तेरा साथ न हो, तो ये, जिन्दगी सजाये मौत लगती है ।प्यार क्या होता है ? ये तुमने सिखा दिया हमें ।

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"मैं नारी सौंदर्य का प्रतीक हूं"

6 मई 2022
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स्वरचित रचना-"निर्मल गुप्ता"मैं नारी सौंदर्य का प्रतीक हूं । नतमस्तक सम्पूर्ण जगत,मुझ कामिनी के आगे ।मुझ बिन सृष्टि, सम्पूर्णता को न, पा पाये । सच पूछो,मुझ बिन, संसार प

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"तुम मिले तो आज, जिंदगी मिल गयी"

7 मई 2022
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तुम मिले तो, आज जिंदगी, मिल गयी । मेरे दिल में, सचमुच, इक कली खिल गयी ।इस रंगीन, आसमां में, मेरा प्यार सिमट आया है । इसीलिए इस आसमां ने, मेर

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ऐ ! भोले शंकर तुम,जग में महादानी हो।"

7 मई 2022
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ऐ ! भोले शंकर तुम, जग में महादानी हो । तुम ही सृष्टि रचयिता, तुम ही संहारक हो ।तुम्हें पूजता , सम्पूर्ण जगत,कर चरणों में सतत प्रणाम । ऐसे भक्त पर , दुनिया का, चले न कोई वार ।

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"जिन घरों में, रोशनी न थी"

8 मई 2022
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स्वरचित एवं मौलिक रचना-निर्मल गुप्ताजिन घरों में रोशनी न थी । वहां, मैंने हंस-हंस कर, उजाले किये ।उजाले हुए, उनकी महफिलें सज गयीं । महफिलें सजने पर उन्हो

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" हे ! कान्हा "

8 मई 2022
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स्वरचित एवं मौलिक रचना-निर्मल गुप्ताहे ! कान्हा ,तुम जग में, रास रचा सकते हो । सैकड़ों रुप, रख सकते हो ।तो क्या इक गरीब की, बिगड़ी नहीं बना सकते ?

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" हे ! मानव कच्चे मटके के समान है, तेरा जीवन "

8 मई 2022
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हे ! मानव कच्चे मटके के समान है, तेरा जीवन । फिर क्यूं संचित कर रहा,पाप कर्मों का, जल इसमेंं ?क्या तुझे, भरोसा है,जग में, ये नश्वर न, हो पायेगा ? इन पाप कर्मों की, दौलत

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"क्यूं , मेरे गुलशन में,ऐसी बहारें आती नहीं ?"

8 मई 2022
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क्यूं , मेरे गुलशन में ,ऐसी बहारें ,आती नहीं ? क्यूं , मेरी बगिया में कोयल,गुनगुनाती नहीं ?क्यूं ,लोगों की बगिया में,ऐसी बहारें आती रहीं ? जिन्होंने, कभी इंसानियत की, क

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"मेरी मां"

9 मई 2022
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स्वरचित एवं मौलिक रचना-निर्मल गुप्ताजिस मां ने,ममत्व से मुझे सींचा,वह हर भाव मेरे चेहरे का जानती है । सचमुच हर मां, आपने बेटे के सुख-दुख के, भाव को,पहचानती है ।कोई रिश्ता कितना भी खास हो,

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"गुलाबों की खूबसूरती"

9 मई 2022
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स्वरचित एवं मौलिक रचना-निर्मल गुप्ताइन गुलाबों की खूबसूरती पर,तन, मन सब वार हो गया । मुझको लगता है, जीवन की सूनी बगिया में, बहारों का आह्रान हो गया । पर ग

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"बिखरते रिश्ते"

9 मई 2022
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बिखरते हुए रिश्तों को देखकर, क्यूं , दिल में चुभन सी उठती है । लाख सोचता हूं, मुझसे कोई मतलब नहीं है । &nbs

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"बिखरते रिश्ते"

9 मई 2022
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बिखरते हुए रिश्तों को देखकर, क्यूं , दिल में चुभन सी उठती है । लाख सोचता हूं, मुझसे कोई मतलब नहीं है । &nbs

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"प्रेम हो, तो ऐसा"

10 मई 2022
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स्वरचित एवं मौलिक रचना-निर्मल गुप्ताप्रेम हो तो ऐसा,जैसा राधा-कृष्ण का था । त्याग हो तो ऐसा, जैसा श्री रामचन्द्र जी का था ।बावलापन हो तो ऐसा,जैसा मीराबाई जी का था ।&nb

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"सोच और वास्तविकता"

10 मई 2022
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सोच और वास्तविकता में, विरोध,क्यूं रहा है ? इंसान सोचता कुछ और है,और होता कुछ और है ।प्रारब्ध के खेल निराले हैं,इसे कोई समझ नहीं पाता है । प्रारब्ध को कोई

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"खूबसूरती निहारने के लिए होती है"

10 मई 2022
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स्वरचित एवं मौलिक रचना- निर्मल गुप्ताखूबसूरती निहारने के लिए होती है । नष्ट करने के लिए नहीं ।पर आ

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"ज़िन्दगी"

10 मई 2022
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क्यूं जिन्दगी में , मिलने वाले, अपने खास नहीं होते । जो खास होते हैं,वो दूर क्यूं , हो जाते हैं ?जिन्दगी क्यूं , इतना आजमाती है, हमें ? खूबसूरत लगन

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"अजीब फितरत"

11 मई 2022
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क्यूं , अजीब फितरत दुनिया वालों की है ? दूसरों में कमियां निकालना,आज की पीढ़ी की, आदत सी है । किसी को खुश देखकर,क्यूं , दुनिया वाले खुश नहीं होते ?क

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"समर्पित समाज के लिये"

11 मई 2022
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समर्पित, समाज के लिये । समर्पित, अपनों के लिये ।समर्पित, दूसरों के, दुःख दर्द के लिये । का, तिरस्कार क्यूं , हो रहा ?जीभ पर मिठास,ह्रदय में छल-कपट, का निव

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"मैं, सूरज सा, चमक क्या गया"

13 मई 2022
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मैं सूरज सा, चमक क्या गया । दुनिया, हैरान रह गयी ।जमाने ने लाख, कोशिशें की मिटाने की, पर कोशिशें, हमको मिटा न सकी ।हम तो वो, जिगर रखते हैं । जो पत्थर

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"बूंद का प्रारब्ध "

14 मई 2022
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मुझ बूंद का प्रारब्ध, तो होता, अजीब । चलती ज्यूं , निकलकर बादलों की गोद से ।कुछ निश्चित, क्यूं नहीं होता है, मेरे भाग्य में । हर पल उर में, मेरे पल रहा होता है, भ

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"तेरी राहों में, चिरागों को लिये फिरता हूं।"

15 मई 2022
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तेरी राहों में चिरागों को, लिए फिरता हूं ।काश ! अंधेरों से न हो ,तेरा सामना । मेरी वफ़ायें यूं ही , मुस्कुराती रहेंगी ।फिर चाहे , तुम्हारी नज़रों से, न हो मेरा सामना । ये अलग ब

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"किसी का दिल, न दुखाओ"

15 मई 2022
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किसी का दिल न दुखाओ, दिल दुखाने, की सजा, बेहिसाब होती है ।दिल दुखाने पर, आह दिल से निकलती है । जो दिल दुखाने वाले का, समूल नाश करती है ।लोग अपनी खुशियों के आगे, किसी का

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"इस दिल पर क्यूं,जोर नहीं चलता ?"

16 मई 2022
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इस दिल पर क्यूं , जोर‌ नहीं चलता ? वफ़ा के नाम पर, दुनिया में ठगा जाता हूं ।फिर भी इस दिल को क्यूं , समझा नहीं पाता हूं । मेरे हाथ, वफ़ा करने से, क्यूं रुकते नही

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"मुस्कुराते होंठों की, कहानी अजीब है"

16 मई 2022
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मुस्कुराते होंठों की, कहानी अजीब है । दिल में दर्द को छिपाने में,कितना कारगर हैं,ये ।दिल रोता है, फिर भी मुस्कुराकर,कुछ नयी कहानी रच देते हैं । प्

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"मैं नारी ममत्व की मूरत, नीर झलकता, मेरी आंखों में"

17 मई 2022
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मैं नारी ममत्व की मूरत,नीर झलकता, मेरी आंखों में । मैं प्रेम, सौन्दर्य का प्रतीक हूं, फिर भी क्यूं ,अबला कहलाती हूं । क्यूं , समाज के निर्मूल बन्धनों में, मैं तत

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"क्यूं ,खो जाता है,मन किसी के हंसी, ख्वाबों में ? "

17 मई 2022
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क्यूं खो जाता है,मन,किसी के हंसी ख्वाबों में ? क्यूं ,करवटें बदलकर ,रातें गुजर जाती हैं ?क्यूं ,बेताब हो जाता है ,मन ? किसी की इक झलक ,पाने को ।क्यूं , आंखों में

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"बांध दिया, अनजान रिश्तों में।"

18 मई 2022
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बांध दिया , अनजान रिश्तों में । मेरी ख्वाहिशों की, किसी ने परवाह न की ।काश ! इक बार मेरे फैसले को सुन लेते, तो इतना रंजोगम का, एहसास न होता ।केवल विवाह करना ही, मेरे जी

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"इन पक्षियों का प्रेम भी, अपने आप में, इक मिशाल है।"

18 मई 2022
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इन पक्षियों का प्रेम भी, अपने आप में, इक मिशाल है । इक दूजे को, निहारने का इनका तरीका, अपने आप में, इक मिशाल है ।इक दूजे के बिना, ये अधूरे हैं । इक दूजे के

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"मैं हूं , दिल।"

18 मई 2022
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मैं हूं, दिल । हर पल, धड़कता रहता हूं ।खुशी हो या ग़म , हरपल क्रियाशील रहता हूं । कभी-कभी प्रेम की भावनाएं, संजोता हूं ।तो कभी, आक्रोशित हो, घृणा को गले लगाता हूं । &nbs

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"मैं हूं , जमाने का नजरिया "

19 मई 2022
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मैं हूं , जमाने का नजरिया । मुझे स्वयं का स्वरुप, बहुत अधिक भाता है ।पर दूसरों में, हरपल मुझे, कुछ न कुछ अवगुण , जरुर, नजर आ जाता है ।क्या करुं , मैं अपनी आदतों से मजबू

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"इन आलीशान महलों में , वो सुख कहां ?"

19 मई 2022
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इन आलीशान महलों में, वो सुख कहां ? जो मेहनत से बनायी गयी , झोपड़ियों में है ।इक शुकून दे जाती है, वो चीजें, जिसमें इन्सान की, मेहनत, मुस्कुराती है । विरासत में म

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" बेदर्द इन्तजार "

19 मई 2022
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चाहत में , तड़प हुई, तो इन्तजार मिल गया । मेरे वीरान दिल में, इक सुन्दर, फूल खिल गया ।हजारों मौसम, बदल गये, पर वो नहीं आये । पर हम न बदले इक पल, वो

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"सुन्दर चितवन, भरी मुस्कान"

19 मई 2022
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सुन्दर चितवन भरी, मुस्कान , वो हथकड़ी है । जो आजीवन कैद की सजा, सुना ही देती है ।अनेक प्रतिक्रियायें , न करके,अपनी बंदिश में, ले ही लेती है । जो भी, इसके सामने आ

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"कितना खूबसूरत है, ये जहां"

19 मई 2022
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कितना खूबसूरत है, ये जहां । रंगीन वादियों में, यहां,प्यार पलता है ।सचमुच इस जहां में,हर इक को, किसी का इंतजार रहता है । रंगीन वादियां, रातें बिताती हैं,सूरज के इन्तजार

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"मुझ सन्नाटे को ,कोई पसन्द, क्यूं कर पाता नहीं ?"

19 मई 2022
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मुझ सन्नाटे को, कोई पसन्द ,क्यूं कर पाता नहीं ? शायद मेरा मुस्कुराना, किसी को भाता नहीं ।मैं इतना अजीब हूं,कि कुछ लोग, भयभीत हो जाते हैं । उहापोह जिन्दगी

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"मधुर मुस्कान होंठो पर लेकर, आयी हूं इस परिवार में।"

20 मई 2022
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मधुर मुस्कान होंठो पर लेकर,आयी हूं, इस परिवार में । मुझे प्यार देना बेटी का , आयी मैं, इस नव संसार में ।कितने ख्वाब सजे हैं ,मन में, आशाओं की डोर लिये । नहीं चाह

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"हम भी, वो आंखें,रखते हैं।"

20 मई 2022
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हम भी, वो दिल रखते हैं । कि दूसरों के दिलों पर,, राज कर सकते हैं ।हम भी, वो नज़र रखते हैं । कि दूसरों का कत्ल,कर सकते हैं ।हम भी, वो प्यार रखते हैं ।&nbsp

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"काश! इस सुंदर जहां सा, सुंदर मन हो जाये।"

20 मई 2022
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कितनी खूबसूरती से, रचयिता ने बना दिया, इस संसार को । सुन्दरता , चारों ओर, बिखरी हुई है ।सुन्दर नर-नारी, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे,सब उसी की धरोहर हैं । मानो खुद छवि,

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"मैं तो इक बादल,आवारा"

20 मई 2022
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<div><img style="background: gray;" src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/6213c09f9bc28631e5c4fc83_1653026722471.jpg"></div>

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"बिछुड़ने का, ग़म न हो पाता"

20 मई 2022
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तेरा साथ पाकर, गगनचुंबी उड़ान भर ली, मैंने । तेरी दोस्ती से, दुनिया में, पहचान कर ली,मैंने ।तेरा साथ छूटा, तो पंख, निष्प्राण हो चले । यूं ,गिरा मैं

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"इन आंखों में,इक दर्द, छुपा है।"

20 मई 2022
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इन आंखों में, इक दर्द छुपा है । जो समन्दर सा, सैलाब ले आया है ।प्रेम करने की सजा का,ये तो, इक साया है । दिल को खिलौना समझकर, क्यूं जमाना खेलता है ?क्या , जमाने क

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"गुम हो गया, सुन्दर बचपन,इन कूड़े के ढेरों में।"

20 मई 2022
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गुम हो गया, सुंदर बचपन , इन कूड़े के ढेरों में । ग़रीबी के अन्धकार में, गुम हो गये, गुण, इस सुंदर हीरे के ।ललक बड़ी थी, मन में इसके, मैं भी पढ़ने जाऊंगा । बन ऊंचा अधिका

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"ये फुलझडियां भी, कितनी अजीब हैं?"

21 मई 2022
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ये फुलझडियां भी, कितनी अजीब हैं ? ये स्वार्थी मानवों की, सचमुच, प्रतीक हैं ।कहीं भी, कोई, खुशी का आलम हो, तुरन्त पहुंच जाती हैं । झूम-झूम कर, नाच-नाच कर, सबको मन

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"अगर ये, रंग-बिरंगी नोटों की, गड्डियां न होती।"

21 मई 2022
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अगर ये, रंग-बिरंगी नोटों की, गड्डियां न होती । तो रिश्ता दिमाग से नहीं, दिल से निभाया जाता ।पहले घर के, बड़ों को सम्मान मिलता, फिर छोटों को, कुछ सिखलाया जाता ।

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"क्या,प्रारब्ध को भी, निष्कियों से,प्यार हो चला है ?"

21 मई 2022
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कुछ को घर से निकलते ही,मिल गयी मंजिल । मैं तो उम्र भर, मंजिल का रास्ता, तलाशता रहा हूं ।हाथों में है, लालटेन मेरे, फिर भी कोई न, इशारा मिला है । क्यूं कर

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"मां सरस्वती मुझे, अमिट ज्ञान दो।"

21 मई 2022
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मां सरस्वती मुझे, अमिट ज्ञान दो । मेरे स्वरों में, ज्ञान समा दो ।मेरे ज्ञान से,पावन हो, धरती । चहुं दिशि हो, जयकार, तेरी मां ।मैं निर्बुद्ब बालक हूं ,मां तेरा ।&n

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"प्रेम क्यूं ,ऐसा नहीं हो जाता ?"

21 मई 2022
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प्रेम क्यूं , ऐसा नहीं हो जाता ? जैसा, राधा-कृष्ण का, प्रेम था ।प्रेम क्यूं , रुह में, नहीं उतर पाता ? जैसा, लैला-मजनूं का, प्रेम था ।प्रेम की संज्

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"शायद कल मेरे बुझने पर,कोई नजर न आयेगा।"

21 मई 2022
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मुझ जैसे अनगिनत चिरागों ने, रोशनी दी जमाने को । फिर भी, जमाने से, कोई वफ़ा, क्यूं, नहीं मिली, मुझ जैसे चिरागों को ? आज भी अंधेरा कायम है, मेरे आशियाने में

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"आज राम और रहीम में, क्यूं ,भेद हो चला ?"

21 मई 2022
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प्रकृति में, सामंजस्यता, हर ओर नजर आती है । जिसे देखकर, इंसान की, इंसानियत भी, शर्माती है ।क्यूं , मनुष्य ,इतना स्वार्थी,निकृष्ट हो चला ? क्यूं ,कर उसे इंसानियत

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"मीरा हो गयी,प्रेम दीवानी।"

21 मई 2022
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मीरा हो गयी,प्रेम दीवानी । वन-वन भटक रही है ।कृष्ण दरश पाने को मीरा, पल-पल तड़प रही है । राधे-राधे की रटन लगाकर,पल-पल डोल‌ रही है ।सुन मीरा की करुण पुकार, दरश दे

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"इस कटु गरल के कारण,रिश्ते बिखर चुके हैं।"

21 मई 2022
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क्यूं , डर रहा तू मानव ! , इस नाग के जहर से ? तू भी रहा है,पलता,इस जहर के, नगर में ।अगर डस ले ,ये नाग ,तो मानव, मर तो सकता है । पर मानव की, जीभ में,ये पलता,जहर पर जहर ह

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"सचमुच, इक दूजे में,प्यार बेमिसाल है।"

22 मई 2022
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इस खूबसूरत शमां में, इन फूलों में भी प्यार उमड़ आया है । इक दूजे का, आलिंगन करने को बेताब हैं ।सचमुच,इक दूजे में, प्यार बेमिसाल है । कौन कहता है, दुनिया में प्यार, कहां

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"कानों में, इक मृदु रस भरकर, अरमानों से खेल रहा हूं।"

22 मई 2022
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मैं निर्झर, कल-कल बहकर, मधुर संगीत को घोल रहा हूं । कानों में, इक मृदु रस भरकर, अरमानों से खेल रहा हूं ।मुझे शुकून मिलता है, तब ही,जब औरों को, कुछ दे पाता हूं ।ऐसा ख्वाब, सजाकर

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