हे ! प्रभु शक्ति का सागर
करुणा अपार तुझ में है।
चतुर्मुख तेरी रचना निराली
फिर भी तनुजा जग पर है भारी
पुत्र जन्म खुशियों की बेला, मेरा जन्म अपराध है।
आज भी इस वसुंधरा पर कन्या का रूप पाप है।
जिस कोख में दुनिया बनी
वह भी कामिनी अवतार है।
फिर भी बेटियों से प्यारे बेटे हैं यह कैसा संसार है।
निशाचरो की भीड़ में नारी जीवन तिमिर समान है।
संघर्ष पर चलते हुए समझौतों को करते हो अपने आंचल से खुशियां भरते हुए नारी तू महान है , नारी तू महान है ।
पुरुष रूपी संसार में कहां नारी का स्थान है
धरा-सा धैर्य, गगन सा हृदय, सागर से गहरा प्यार है।
फिर भी कहां सम्मान है।
मां सा जिसमें प्यार है ,भार्या सा साथ हैं।
फिर भी अश्रु की धार है।
भागीरथी का रूप है, चंडी का स्वरूप है,
समझौते की नीव पर चंद्रिका समान है।
जीवन में विष साथ है, अमावस्या की रात है।
हे !प्रभु दया दिखा हमें वह दिशा दिखा।
अपने लिए जीना सिखा ,स्वयं से प्यार कर सके
निशाचरो से लड़ सके।
अरुणोदय सा जीवन बन सके।
हे !प्रभु दया दिखा , हे !प्रभु दया दिखा। 🙏🙏🙏