भारत देश की धरती पर,
अनमोल रत्न ने जन्म लिया।
धन्य है वह कुंती मां
जिसने कर्मवीर को जन्म दिया
सूर्य वत्स वह कहलाया
फिर मां ने ही उसका त्याग किया,
जल को अर्पित कर प्रस्थान किया।
शुद्र पालनहार बना,
सूत पुत्र वह कहलाया अपमान जग में सब पाया ।दुर्योधन ने अपनाया था, अपने गले लगाया था।
प्रिय सखा बनाया था।
धन्य हुई भारत मां जो दानवीर को पाया था।
अपनी मां को वचन दिया पांच पुत्र तुम पाओगी,
एक नहीं देख पाओगी।
कवच कुंडल दान किया मां को भी सम्मान दिया।
सृष्टि कर्ता ने भी प्राण घात किया
रथ का पहिया रज में गाड़ दिया।
हे अर्जुन ! तुमने कायरता से काम किया
निहत्थे वीर पर वार किया।
वीर योद्धा को छल कपट से वीरगति ने थाम लिया।
हे ! केशव तुमने दानवीर को ना न्याय दिया।
सूर्यपुत्र ,दानवीर ,सच्चा मित्र वह कहलाया।
कुंती पुत्र ने इस धरती को अपना तन भी दान किया फिर चिर विश्राम किया।🙏🙏🙏