नारी तू प्रेम का सागर ,
तू ही अभिमान है।
जन्म दात्री तू है सबकी दया का नाम है।
वात्सल्य का स्वरूप है जो
सीता से सहन शक्ति अपार है।
मीरा की भक्ति है जिसमें यशोदा जैसा दुलार है।
मां दुर्गा की शक्ति तुझ में,
मयंक समान चांदनी रात है ।
सुख दुख में सम है, वो
तू सरोज समान है।
अहिल्या सा न्याय तेरा
लक्ष्मीबाई सा अवतार है।
हे !नारी तू नारायणी
सत सत प्रणाम ,प्रणाम है।🙏🙏🌹🌹