निःशुल्क
<div>मौन रहकर भी सब कुछ कह दे</div><div> ज्ञान का सागर समेटे</div><div>सच्
<div>हे ! प्रभु शक्ति का सागर</div><div> &nbs
<div>माली की बगिया कैसे फूलों से लहराती है।</div><div> उसी तरह मात-पिता क
<div>हे ! धरा सुनो</div><div> &nb
<div>नारी तू प्रेम का सागर , </div><div>
<div>भारत देश की धरती पर, </div><div> &n
<div>जिसका न कोई मोल है</div><div> जीव
<div>जीवन की आधारशिला है जो</div><div> जीवन रक
<div>लक्ष्य जब तक ना मिले पथ में पथिक विश्राम कैसा।</div><div> लक्ष्य विहीन जीवन तिमिर स