माली की बगिया कैसे फूलों से लहराती है।
उसी तरह मात-पिता के आंगन में
बिटिया रानी आती है।
वही चहकना, वही महकना
बाल कृष्ण सी नटखट अठखेलियां दिखाती हैं।
पल पल बढ़ती पल पल चलती
दीपशिखा बन जाती है।
कैसे लड़ती झगड़ा करती
सबसे प्यार जताती है ।
अपनी प्यारी बातों से वो सबका मन मोह जाती है।
हिमालय से भी ऊंचे ऊंचे
स्वप्न पूरे कर जाती है।
गंगा सी निर्मल धारा बन
पिता के सम्मान के खातिर हर संघर्ष को
हंसते हंसते सह जाती हैं।
दो कुल की लाज बचाती है।
समझौते का दूसरा नाम कहलाती है।
गुलाब की तरह सब का जीवन महकाती है।
प्रगति की ओर अपने पग बढ़ाती है।
आखिर सारे जग को वह जीत जाती है।
इसीलिए वह प्यारी बिटिया रानी कहलाती है ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙌🙌🙌