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रूप का पैगाम

16 सितम्बर 2021

38 बार देखा गया 38

अक्सर गिराकर उठाती है

जिन्दगी का ये इम्तेहान देखो ।


होती है हर घर में अग्नी परीक्षा

हर घर में बसते एक सीता एक राम देखो ।


चलती नही खुद के बहानों से

है किसकी जिन्दगी पर कमान देखो ।


खो कर सब कुछ उसने पाया

रिश्तों का ये मुकाम देखो ।


तिनका तिनका जोड़ उसने सबको मिलाया

अब खुद कैसे है गुमनाम देखो ।


है गुरुर जिन्हें वो भी सीखेंगे

होती एक ही मिट्टी में जिस्म तमाम देखो ।


छलक कर ही तो बनता है

महफ़िल में जो बनता जाम देखो ।


दूजों के लिए जीना सीखो

कैसे कटती है फिर हुस्न-ए-शाम देखो ।


रखता नहीं वो किसी से गिला

हर किसी के लिए उसके दिल में है इन्तेजाम देखो ।


टूटकर भी हँसता है हँसाता है

तुमको "रूप" का ये पैगाम देखो ।

.             

रूपेन्द्र साहू "रूप"

1 जनवरी 2022

Rupendra Sahu "रूप"

Rupendra Sahu "रूप"

1 जनवरी 2022

😊💐😊💐 शुक्रिया मैम

Jyoti

Jyoti

👌

30 दिसम्बर 2021

Rupendra Sahu "रूप"

Rupendra Sahu "रूप"

31 दिसम्बर 2021

😊😊💐💐

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया

27 दिसम्बर 2021

Rupendra Sahu "रूप"

Rupendra Sahu "रूप"

31 दिसम्बर 2021

आभार आपका मैम 😊💐

Ayansh

Ayansh

बहुत सुंदर पैगाम है आपका महोदय 💐💐👌👌

6 नवम्बर 2021

Rupendra Sahu "रूप"

Rupendra Sahu "रूप"

7 नवम्बर 2021

धन्यवाद भाई 😊😊😊💐💐💐

पूनम साहू

पूनम साहू

Bahut hi behtareen rachna✨

19 सितम्बर 2021

Rupendra Sahu "रूप"

Rupendra Sahu "रूप"

19 सितम्बर 2021

बहुत बहुत शुक्रिया छोटी ☺️💐💐

21
रचनाएँ
रूप की डायरी - 2
5.0
यह पुस्तक एक कविता संग्रह है । यह पुस्तक मेरे द्वारा अनुभव किये गए जिंदगी के कुछ वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है और कुछ काल्पनिक प्रसंगों का चित्रण कविताओं के माध्यम से करने का प्रयास किया है । कवितायें मुखयतः छंदमुक्त है और सरल भाषा में लिखने का प्रयास किया है । कोशिश है कि जब भी आप पढ़ें आपको इन कविताओं से जुड़ाव महसूस हो , यदि ऐसा संभव होता है तो मेरी कोशिश सफल होगी 😊।
1

मेरा बचपन

15 सितम्बर 2021
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9

<p><strong>ये जो है अन्दर छुपा मेरे</strong></p> <p><strong>मेरा बचपन</strong></p> <p><strong>ना मैं

2

संग अपने मोहब्बत रखता हूँ

15 सितम्बर 2021
10
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<div><div><b>जमाने से है दिल बेखबर पर </b></div><div><b>मन किताब में सबके खत रखता हूँ।</b

3

पुष्प अभिलाषा

15 सितम्बर 2021
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12

<div>यह पंक्तियां माखनलाल चतुर्वेदी जी की पुष्प की अभिलाषा से अभिप्रेरित है बिलासपुर की पुण्य धरा पर

4

रूप का पैगाम

16 सितम्बर 2021
7
12
10

<p><b>अक्सर गिराकर उठाती है</b></p><p><b>जिन्दगी का ये इम्तेहान देखो ।</b></p><p><b><br></b></p><p><

5

इश्क़

18 सितम्बर 2021
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9
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<div><br></div><div><b><br></b></div><div><b>ये जो है सारे इल्ज़ामात गलत है</b></div><div><b>कह दो उन

6

समझ में नहीं आता

25 सितम्बर 2021
6
6
3

<div><br></div><div>उसे बहुत पसंद है वो</div><div>पर उससे मोहब्बत नहीं</div><div>कुछ रिश्तों का हिसा

7

कोई बताता नहीं है

30 सितम्बर 2021
5
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5

<div><b>हर कोई जान लेता है सब राज मेरा </b></div><div><b>एक अपना राज कोई बताता नहीं है</b></div

8

कहीं और चलते हैं

30 सितम्बर 2021
4
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5

<div><b><br></b></div><div><b>चलो चलते हैं रूप कहीं और </b></div><div><b>इन रात की गलियों से दू

9

बदल जाता है

30 सितम्बर 2021
5
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8

<div><b><i>काम के बाद </i></b></div><div><b><i>हर शख्स बदल जाता है</i></b></div><div><b><i>नाम

10

रूठ गए

30 सितम्बर 2021
6
6
5

<div><b><i>जो मुझे जान कर भी</i></b></div><div><b><i>मेरे रूठने से रूठ गए तुम</i></b></div><div><b><

11

बरसात आ गयी

30 सितम्बर 2021
5
5
5

<div><b><i><br></i></b></div><div><b><i>कहना तो नहीं था उससे कुछ भी मगर,</i></b></div><div><b><i>फिर

12

जिंदगी जीने का हुनर

4 अक्टूबर 2021
4
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1

<div><b><i><br></i></b></div><div><b><i>इस हुनर से अभी अंजान हूँ</i></b></div><div><b><i>दुनियादारी

13

जमाने से सीखा है

12 अक्टूबर 2021
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7

<div><b><i>सीखा बहुत कुछ है </i></b></div><div><b><i>अपनों से और जमाने से ,</i></b></div>

14

इंतेज़ार

13 अक्टूबर 2021
5
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<div><b><i>तुम्हे वक्त नहीं है मिलने का मीरे चौखट जहाँ</i></b></div><div><b><i>मैं छलकते पैमाने पर त

15

एक सेल्फ़ी

13 अक्टूबर 2021
6
6
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<div><b><i>जुग बीता जुग जीता</i></b></div><div><b><i>तस्वीर बदलनी चाहिए</i></b></div><div><b><i>तरीक

16

असफलता की कहानी

14 अक्टूबर 2021
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<div><div><b><i>लिखूँगा असफलताओं की कहानी ,</i></b></div><div><b><i>सफल नहीं तो क्या असफल तो हैं ।</

17

सफर पर चल

15 अक्टूबर 2021
5
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<div><b><i>चल मेरे संग सफर पर चल </i></b></div><div><b><i>यार मेरे हमनवां थोड़ा घर से निकल</i></

18

जिंदगी कैसी बला

22 अक्टूबर 2021
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9

<div><b>जमाने की चाल से बिल्कुल अलग चला </b></div><div><b>अकेलेपन का इक अहसास जो ख़ूब खला</b></d

19

बेगुनाह

24 अक्टूबर 2021
7
7
7

<div><b><i>मुमकिन नहीं कि </i></b></div><div><b><i>सबको लगूं बेगुनाह,</i></b></div><div><b><i><

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सब सब जाने हैं

9 नवम्बर 2021
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21

नया साल

31 दिसम्बर 2021
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4

<div>थोड़ी रहमत थोड़ी नजाकत</div><div> कुछ तो नया मेरा कर दे मौला</div><div> ये पुराना भी तो</div><div> कुछ दिए जा रहा है ।</div><div> हो खुशी ह

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