ये जो है अन्दर छुपा मेरे
मेरा बचपन
ना मैंने कोशिश की इसे दबाने की
ना कोई खास वजह है
बड़ा बन जाने की
ये जो है बचपन मेरा
मेरे अन्दर छुपा
ना मुझे दुनियादारी का पता
सब अपने हैं
बस इतनी ही परख
ना कोई एहसास बड़ा बन जाने की
ये जो है बचपन मेरा
मेरे अन्दर छुपा
ना सही की पहचान
ना गलत होने का डर
जो है सब है मेरे अन्दर
खुश चेहरे से खिलखिलाता है
यूँ ही मन मेरा
ये जो अन्दर छुपा मेरे
मेरा बचपन
खो न जाये कहीं
ये जो है बचपन मेरा
मेरे अन्दर छुपा....
।। रूप ।।