तुम्हे वक्त नहीं है मिलने का मीरे चौखट जहाँ
मैं छलकते पैमाने पर तेरे लिए जाम लेकर बैठा हूँ
तू सालों बाद करता है याद मुझे अब
मैं एक तेरा नाम सुबह शाम लेकर बैठा हूँ
यारी के किस्से सुनने आते हैं तेरे मेरे
हर किस्से को दिए एक मुकाम बैठा हूँ
अब बस कर "रूप "दूरी बहुत हुई मजबूरी
देर सही कब्र पर किये इंतेज़ाम बैठा हूँ
"रूप"