सावन तेरी ज़ुल्फ़ों से, घटा माँग के लाया,बिजली ने चुराई है, तड़प तेरी नज़र से।
रिश्तो का संबंध केवल खून से नहीं होता मुसीबत में जो हाथ थाम ले उससे बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता
सावन का महिना आया देखो, खुशहाली आई है चहुंओर हरियाली दिखाई है हर एक जीव में खुमारी छाई है, कि सावन का महिना आया है। कोयल कूक रही बाग में, पपीहा टेर लगाएं शाम में, मोर नाच रहा ह
सावन का महिना आया देखो, खुशहाली आई है चहुंओर हरियाली दिखाई है हर एक जीव में खुमारी छाई है, कि सावन का महिना आया है। कोयल कूक रही बाग में, पपीहा टेर लगाएं शाम में, मोर नाच रहा ह
वफ़ा की जंजीर से डर लगता है, कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता हैजो मुझे तुझसे जुदा करती है, हाथ की उस लकीर से डर लगता है
मोहब्बत इतनी कि उसके सिवा कोई और ना भाएइंतज़ार इतना कि मिट जाए पर किसी और को ना चाहे
प्रिय लेखकगण, आज तिथि श्रावण कृष्ण प्रतिपदा, विक्रम सम्वत् २०८१; दिनांक 22/07/2024 को मैंने Shabd.in पर अपना पंजीकरण किया है। आज समय 2.42 PM पर मैं अपनी आगामी शब्दों की यात्रा के आरंभिक पग-रूपी
जो सावन आएगा तो तेरे संग बूंदों को महसूस करेंगे सावन की फुहारों के संग अपनी धड़कनों के साथ रिमझिम सावन में रोम रोम भींगा देना अपनी प्रीत के रंग से बारिश क
रिमझिम बरसती फुहारों के बीच, सावन की मनुहारे दिलचस्प लगती है। बेहतहाशा खुशी होती चहुंओर , हर तरफ हरियाली के रंग मनभावन लगते हैं।।सावन की मल्हारे , करती भाव-विभोर,मस्ती में झूमती है हर त