लड़के लड़कियाँ आपस में इतना अधिक घुल - मिल जा रहे है कि शादी के बाद एक -दूसरे को कुछ समझते ही नहीं है। उनका वैवाहिक जीवन स्तव्यस्त हो जाता है और आगे चलकर उनको अलग भी होना पड़ जाता है।
इस सब का कारण सह - शिक्षा ही है।
जहाँ पहले पुरुष काम करने जाते थे और उनकी पत्नीयाँ घर की देख-रेख करती थी और आज दोनों अपने - अपने काम करने के लिए घर में ताला लगा कर चले जाते हैं । अगर को संमंधी आये तो उनका अभिवादन करने के लिए कोई नहीं रहता ,सिवाय ताला के ।
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इसके चलते संभंधों में खट्टास उत्पन्न हो जाता है और धीरे -धीरे संबंध टूट जाता है। जिससे बहुत तकलीफ भी होती है और भी बहुत कुछ हानियाँ है इसके .......
उपरोक्त बातों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि सह - शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है।
सह - शिक्षा के माध्यम से लड़के एवं लड़कियों में प्रेम और भाईचारा बढ़ता है।
उनके मन की झिझक समाप्त हो जाती है ।
उनका स्वाभिमान बढ़ता है। वे स्वाभिमान के साथ अपने - आप को समाज का मुख्य अंग समझ कर कर्तव्य - पथ पर अग्रसर होते है।
जिससे देश महान से महान डॉ० , एस.पी , डी.एम , प्रशासक ,वैज्ञानिक आदि प्राप्त होते है |
इस प्रकार सह - शिक्षा के माध्यम से हम एक सशक्त और समृध राष्ट्र का निर्माण कर सकते है।
लेकिन कुछ लड़के एवं लड़कियाँ इसका गलत उपयोग करते है तथा इसको कुछ लोग अच्छा नहीं समझते है।
इसलिए सह - शिक्षा के क्रम में हमें छात्र - छात्राओं के चरित्र निमार्ण के प्रति भी सजग रहने की आवश्यकता है।
ये मैं 9 th में थी तब लिखा था मैंने । स्कूल में मिला था लिखने को
समाप्त
✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )