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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

hindi articles, stories and books related to Sakaratmak aur nakaratmak soch


*सुबह सुबह मिया बीवी के झगड़ा हो गया,*बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बरदाश्त, अब एक मिनट भी तुम्हारे साथ नही रह सकती।*पति भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हे झेलते झेलते तंग आ चुका हुं।*पति ग

किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती कोई बीस वर्ष की रही होगी और बिहार के एक गांव, अपने ससुराल में अपने पति राम अमोल पाठक, नवजात शिशु चन्दन और जेठानी क

अगर हम जिंदगी में कुछ पाना चाहते हैं तो हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए। क्योंकि हम जैसा सोचते हैं, और जैसे शब्दों का उच्चारण करते हैं, हमारे आसपास वैसी ही ऊर्जा एकत्रित होने लगती है।हम जब पूजा करते वक

सब कुछ सही होगा और क्या पता कुछ बुरा हो जाए इन दोनों में क्या अंतर है? बस एक हमें सांत्वना देती है और दूसरी हमें भयभीत, यही अंतर हमारे और दूसरों के सोचने के तरीकों और सोच में होता है, सकारात्मक सोच व्

मेरे प्यारे अलबेले मित्रों !बारम्बार नमन आपको🙏🙏भाभीजान पान चबाती बोलीं,जीवन में हैं अनगिनत समस्याएँ !उनको दूर करने को,आईए मिलजुल कर कदम बढ़ाएँ !!सकारात्मक बने रहना हीं, हर मनुष्य का व्यक्तिगत धर

मुर्दें में सांसें आने लगती है,।सकारात्मक विचारों की अहमियत है।मनुष्य विचारों से चलता है।मनुष्य की सोच उसकी कीमत है।विचार ना होते जीवन में,असफल व्यक्ति कभी खड़ा नहीं होता।चुनौतियों से हार मानकर,जीवन म

किसी भी व्यक्ति की जीवन में घटित होने वाले घटनाक्रम या कार्य विशेष के प्रति उसकी सोच और विचार करने का दृटिकोण हमें उसके सकारात्मक या नकारात्मक होने का परिचय कराते हैं। हमारा सोच-विचार यदि सकारात्मक हो

जीवन की डोर बंधी,रिश्तों के भंवर में फंसी।आशा और निराशा बीच,संबंधों की डोर में फंसी।।विश्वास और आस्था बीच,एक दूजे में पनपती रहे।हम सब साथ साथ रहे,विचारों का सम्मान भी रहे।।विचारों का दर्पण भी हो,शब्दो

जीवन में सोच का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है इंसान के मन और मस्तिषक में फिर वो चाहे कितना भी संपन्न हो या फिर गरीब हो अगर सोच सकारात्मक नही है तो जीवन में मिलने वाली खुशी या मिल रही खुशी से आप सदा वं

जीवन में सोच का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है इंसान के मन और मस्तिषक में फिर वो चाहे कितना भी संपन्न हो या फिर गरीब हो अगर सोच सकारात्मक नही है तो जीवन में मिलने वाली खुशी या मिल रही खुशी से आप सदा वं

जीवन में सोच का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है इंसान के मन और मस्तिषक में फिर वो चाहे कितना भी संपन्न हो या फिर गरीब हो अगर सोच सकारात्मक नही है तो जीवन में मिलने वाली खुशी या मिल रही खुशी से आप सदा वं

जीवन में सोच का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है इंसान के मन और मस्तिषक में फिर वो चाहे कितना भी संपन्न हो या फिर गरीब हो अगर सोच सकारात्मक नही है तो जीवन में मिलने वाली खुशी या मिल रही खुशी से आप सदा वं

जीवन में सोच का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है इंसान के मन और मस्तिषक में फिर वो चाहे कितना भी संपन्न हो या फिर गरीब हो अगर सोच सकारात्मक नही है तो जीवन में मिलने वाली खुशी या मिल रही खुशी से आप सदा वं

जीवन में सोच का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है इंसान के मन और मस्तिषक में फिर वो चाहे कितना भी संपन्न हो या फिर गरीब हो अगर सोच सकारात्मक नही है तो जीवन में मिलने वाली खुशी या मिल रही खुशी से आप सदा वं

जीवन में सोच का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है इंसान के मन और मस्तिषक में फिर वो चाहे कितना भी संपन्न हो या फिर गरीब हो अगर सोच सकारात्मक नही है तो जीवन में मिलने वाली खुशी या मिल रही खुशी से आप सदा वं

🐜बरसात का मौसम था, एक नन्ही ही चींटी न जाने कहां से जमीन पर चलती दिखी। इधर-उधर अकेली दौड़ती न जाने क्या ढूंढ रही थी। षायद अन्य चीटिंयों की उस पंक्ति से बिछड़ गई थी। जो सीधे कतारबद्ध अपने पूरे साजो-सा

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