7 सितम्बर 2022
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माना कि मोहोबबात बुरी नहीं पर मां बाप से ज्यादा जरूरी नहीं
बिल्कुल सही बच्चा
कागज़ का टुकड़ा जिस पर,कलम,स्याही, दवात का पहरा।शब्दों का प्रयोग जहां तक,मनस्थिति आंकलन का पहरा।।कागज़ का टुकड़ा जिस पर,लेखनी से विचार सजाते।भावों और विचारों का मंथन,प्रयासों से अपना लेखन सजाते।।कागज़
मिट्टी के खिलौने देखो,होते हैं ये कितने सुन्दर।सुन्दर और सलोने खिलौने,होती है मूरत कितनी सुन्दर।।मिट्टी के खिलौने देखो,बनते हैं कच्ची मिट्टी से।कच्ची मिट्टी को सांचे में,ढाल के मूरत ये मिट्टी से।
तूफान का आना भी जरूरी,है जिंदगी में हलचल के लिए।शांत नदी सी जिंदगी में यूं,अपने पराए पहचानने के लिए।।ऐसे क्रोध न कर ए इंसा,मन शांत रख पहचान कर।किसने साथ निभाया अपना,किसने नहीं ऐसे पहचान कर।।जिंदगी में
समुद्र की लहरें किनारे पे,ये आती जाती रहती हैं।ऊंचे वेग से उठती गिरती,उद्विग्नता मन में जगाती हैं।।समुद की लहरें उफनती है,संग समुद्री जीव आते हैं।किनारे पर ठहर कर कैसे,संसार की माया देखते हैं।।समुद्र
कुदरत कहर बरपाती है,दुनिया वीरान हो जाती है।चहुंओर सैलाब सा उमड़ता,जिंदगी नहीं कहीं दिखती है।।कुदरत का कहर देखो,आंधी तूफान में समाई।टूटे झोपड़ी और महल,जन जन को ये रुलाई।।कुदरत का कहर देखो,पहाड़ टूट कर
आदर्शों की मिसाल बना के,सदा ज्ञान का प्रकाश जगाता।बाल पन महकता शिक्षक,भाग्य हमारा शिक्षक बनाता।।गुरु ज्ञान का दीप जलाकर,जीवन हमारा महकता शिक्षक।विद्या का धन देकर ऐसे,मन आलोकित करता शिक्षक।।धैर्य का हम
वफादारी क्या होती है, हमसफ़र से पूछो जरा। एक दूजे का साथ निभाते, उम्र गुजर रही देखो जरा।। हर पल हर क्षण जिंदगी, वक़्त के सहते सितम। फिर भी साथ निभाने का, वादा करते रहते हरदम।। वफादारी साथ रहने स
वक़्त हर पल गुजरता हुआ,एक लम्हा है जिंदगी में।थाम सको गर वक़्त को,जिंदगी जीने की कोशिश में।।वक़्त रेत का दरिया है,जो मुट्ठी में नहीं समाता।अगर चाहो मुट्ठी में बांधना,रेत जैसे मुट्ठी से फिसलता।।जिंदगी
समय का पहिया घूमता,निरंतर होता है गतिमान।कल, आज और कल में,निरंतर रहता है गतिमान।।हर समय जिंदगी में तुम,मुस्कराते रहो सदा ही ऐसे।जो छूट जाए ऐसे यूं पीछे,कोई गम भी न हो ऐसे।।समय का पहिया को ऐ
सुख और उम्र का तालमेल,आपस में कब बनता है।कैसे उम्र ये कटती रहती,सुख दुःख जीवन में रहता है।।सुख और समृद्धि जीवन में,शांति जीवन में लाती है।आशा और निराशा के बीच,भंवर में डोलती रहती है।।सुख कब मिलता जीवन
रेलयात्रा का सफर,होता है बड़ा सुहाना।पल भर में कहां पे,ले जाए सफर सुहाना।।छुक छुक करती हुई,रेल चलती चली जाए।दिखते सुन्दर पेड़ पौधे,मनमोहक लगता जाए।।नदी पहाड़ आए रास्ते में,या फिर खेत खलिहान हो।लगते है
स्वास्थ्य शरीर में बसता है,स्वस्थ मन उसमें रमता है।स्वास्थ्य उत्तम होगा यदि,खेलकूद मन को सूझता है।।जीवन में होता मुख्य स्थान,उत्तम स्वास्थ्य से हो महान।स्वस्थ जीवन अमूल्य निधि,स्वस्थ रहो तुम बहु बिधि।
ह से हिंदी ह से हम,भारत के वासी हैं हम।ह से हिन्दू ह से हिन्दुस्तान,खिली रहे चेहरे पे मुस्कान।।हिन्दी से संस्कार हमारे,हिन्दी से हमारी संस्कृति।हिन्दी से से है आत्मसम्मान,हिंदी से हमारी अभिव्यक्ति।।हि
आंखे तो सबकी एक जैसी,देखने का अंदाज अलग होता।बातें सबकी होती अलग अलग,कहने का अंदाज अलग होता।।दिलों के एहसास की बातें,धड़कन का अंदाज अलग होता।बातें जुबां पे आती रहती,कहने का अंदाज अलग होता।।इज्ज़त शौक
इंसान को जीवन दिया,भगवन ने कर्म करने वास्ते।कर्म करो तुम कर्म करो,मंजिल तय करने के रास्ते।।इंसान को समझाया भगवन ने,सही गलत तय करने के रास्ते।बुद्धि और विवेक प्रशस्त कर,तू बंदे अपने जीवन के वास्ते।।कर्
मेरे अंदर का लेखक,विचारों का करता मंथन।उमड़ घुमड़ शब्दों से जुड़े,शब्दों को फिर देता मंचन।।मेरे अंदर का लेखक,शब्दों में व्यक्त करता।विचारों से प्रेरित होकर,मन मस्तिष्क में विचरता।।मेरे अंदर का लेखक,का
नारी तू ही नारायणी,मां, जननी, जगदम्बा।नारी से होता संसार,नारी की महिमा अपार।।नारी होती है स्वयं शक्ति,होते हैं इसके विभिन्न रूप।जरूरत खुद पहचानने की,होते हैं क्या इसके स्वरूप।।नारी दुर्गा नारी ही शक्त
अंधविश्वास अवधारणा एक,मन में यह जो पनपती है।बड़े बुजुर्ग जो सीखा गए,धारणा मन में बसती है।।अंधविश्वास से ज्ञान कमी,आंख मूंद कर करे विश्वास।करे आस्था से खिलवाड़,न पूरी हो कभी वह आस।।अंधविश्वास से
जीवन एक संघर्ष ही है,कभी हंसना कभी रोना।जीवन अनमोल है भाई,हर पल हर क्षण जीना।।जीवन एक संघर्ष ही है,कभी दुःख कभी सुख।संघर्षरत इस अभियान में,नित नए आयाम गुजरने में।।जीवन एक संघर्ष ही है,परिजनों के साथ स
मेरी पहली पढ़ी पुस्तक,हिन्दी भाषा से शुरुआत हुई।समझ कुछ नहीं आता था,अक्षर ज्ञान कराया जाता था।।कापी पेंसिल स्लेट पर,लाइनें खींचा करते थे।अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ,अक्षरों का संबोधन कराते थे।।बारम्बार लिख लिख के