सुख और उम्र का तालमेल,
आपस में कब बनता है।
कैसे उम्र ये कटती रहती,
सुख दुःख जीवन में रहता है।।
सुख और समृद्धि जीवन में,
शांति जीवन में लाती है।
आशा और निराशा के बीच,
भंवर में डोलती रहती है।।
सुख कब मिलता जीवन में,
ये उम्र भी नहीं तय करती।
बचपन तो बचपने में गुजरे,
युवावस्था संघर्ष में गुजरती।।
प्रौढ़ अवस्था में बच्चों के,
जीवन को संतुलित करने में।
वृद्धावस्था में सुख की कामना,
उम्र ईश्वर की भक्ति करने में।।
वृद्धावस्था में बच्चों का हम,
बच्चों में सहारा ढूंढ़ते रहते।
संस्कारी अगर बच्चे हो तो,
मात पिता का सहारा बनते।।
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