रायपुर के राजा तेजसिंह की प्रजा राजा को बहुत चाहती थी, और राजा भी अपनी प्रजा का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखता था, लेकिन राजा को इस बात का धीरे धीरे घमंड होने लगा कि उसके जैसा शासन कोई नही कर सकता एवं जितनी सुखी प्रजा उसके राज में है ऐसी किसी अन्य के राज में नही है. ये घमंड दूर करने के लिये मंत्री ने राजा से कुछ ऐसा कहा जिस पर राजा ने भेष बदलकर किसी दूसरे राज्य में घर घर जाकर भिक्षा माँगी, पर किसी ने राजा को भिक्षा नही दी. राजा सोच में पड़ गया कि ये कैसा राज्य है यहाँ कोई भिक्षा नही देता. परेशान होकर राजा उस राज्य के राजा से मिला और अपना परिचय देते हुए कहा, आपका ये कैसा राज्य है जहां गरीबों को
कोई भीक्षा नही देता.
इस पर दूसरे राजा ने जवाब दिया, मेरे राज्य में कोई भिक्षा नही मांगता. सब सम्पन्न है और अपनी कार्य कुशलता से अपनी आजीविका चलाते है. जब आपने भिक्षा मांगी तो मेरी प्रजा समझ गई कि यह इस राज्य का नही है. यह तो खुशहाल राज्य है. ये सब सुनकर राजा तेज़सिंह का घमंड चूर हो गया और वह अपने राज्य लौट आया.