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अन्तिम विदाई

21 नवम्बर 2024

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अन्तिम विदाई

लेखक : प्रिन्स सिंहल 

बरसात का मौसम था | आज शाम से ही हल्की-हल्की बारिश होते - होते रात में कडकडाती बिजली के साथ किसी तूफानी घटना की ओर इशारा करने लगी । पत्नी तो मेरी बाहों में बंधते ही मेरे प्यार को रोम -रोम में महसूस करके जल्दी ही नींद की आगोश में आ गई, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी | करवटें बदलते- बदलते रात के करीब दो बज गए थे | तभी बिस्तर से उठकर मैं खिड़की की ओर जाकर खड़ा हो गया | खिड़की का शीशा ओस से ढका हुआ था | हाथों से उसको साफ किया और बाहर झांकने लगा | कुछ देर बाद बहुत तेज बिजली चमकी और ऐसा लगा जैसे कोई दरवाजे पर खड़ा है | तेज बारिश में धुंधली सी आकृति कौन हो सकता है ? अपने आप से सवाल करने के बाद छाता उठाकर बाहर देखने निकल पड़ा | कोई भी तो नहीं था, फिर क्यों आज अचानक अनामिका के होने का अहसास जागा | ऐसे क्यों लगा जैसे अनामिका ही दरवाजे पर खड़ी थी ? रात की बेचैनी और बढ़ गई | अंदर आकर बिस्तर पर लेटकर सोचने लगा कॉलेज का पहला दिन, मैं कॉलेज पहुंचा तो रास्ते में मोटरसाइकिल पंचर हो गई | पैदल मोटरसाइकिल के साथ कितनी शर्म आ रही थी मुझे और सब हंस रहे थे | सबसे ज्यादा हंसी अनामिका ने ही उड़ाई थी | कितना गुस्सा था मेरे अंदर उसके लिये | फिर धीरे-धीरे बातचीत का दौर शुरू हो गया | उस दिन पिकनिक पर जाने से मना कर दिया मैंने | तब कहने लगी ,"तुम तो लेखक हो, कवि हो, तुम्हें तो घूमना जरूरी है तभी तो अपनी कहानी-कविताओं में प्रकृति का वर्णन कर सकोगे |"

 पिकनिक ने हमें एक-दूसरे के और करीब ला दिया | लंबी, छरहरी, गौरी और आंखों में गजब का आकर्षण, सुंदरता की परिभाषा थी अनामिका | पिकनिक पर जाते हुए आसमानी रंग के सूट में उसका चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था मानो निर्मल आकाश पर सफेद बादल का गोला ठहर गया हो | उसे भी मेरी कविताओं ने दीवाना बना रखा था | बस में भी जिद करने पर सुना दी थी दो-एक कविता मैंने | कॉलेज का वह अंतिम दिन कितना मायूस था | हम बिछुड़ रहे थे | अभी तक हम रोज मिलते, अब से मिलने के लिए बहाने बनाने पड़ते | उसके पिताजी को पसंद नहीं था मैं | उसके पिताजी चाहते थे इतने बड़े व्यापारिक की बेटी का ब्याह किसी पैसे वाले ऊंचे खानदान में हो | घर से भागकर शादी करने के पक्ष में मै नहीं था | फिर जिंदगी में एक तूफान आया और उसके पिताजी ने उसका ब्याह कहीं और रचा दिया | कितना रोई थी वह मुझसे मिलने पर |

 शादी से एक दिन पहले भी उसने घर से भाग जाने के लिए कितनी जिद की थी, लेकिन मैं तैयार नहीं हुआ | ब्याह कर चली गई अनामिका | चली गई वह शहर से दूर किसी दूसरे शहर में | फिर कहां मिली थी अनामिका मुझे | मैं उसकी यादें दिल से नहीं निकाल पाया, लेकिन पिताजी ने अपने अंतिम समय में मेरी शादी अपने दोस्त की बेटी से करा दी | अचानक एक दिन रास्ते में मुझे लगा जैसे अनामिका उस दुकान पर सामान ले रही है | लपककर दुकान में पहुंचा तो अनामिका ही थी | कितनी बदल गई थी | ना कोई श्रृंगार, ना कोई मुस्कान और बुझा हुआ चेहरा। मुझे देख हल्का सा मुस्कुराई फिर चलने लगी, लेकिन मैंने आगे होकर रास्ता रोक लिया और अपने साथ चलने को कहा | हम पास ही एक कॉफी हाउस में बैठ गए |

 बहुत पूछने पर उसने बताया, "शादी के आठ महीने बाद ही मेरे पति का देहांत हो गया | कुछ समय बाद मैं अपने शहर वापस पहुंची तो पिताजी को व्यापार में गहरा नुकसान लगा जो सदमा वह झेल नहीं पाए और चल बसे | तुम्हारे घर गई तो वहां ताला लगा था | पूछने पर मालूम हुआ तुम किसी और के साथ विवाह के बंधन में बंध चुके हो किसी दूसरे शहर में नौकरी करने लगे हो | मैंने सोचा भी न था तुमसे फिर कभी मुलाकात होगी |


 फिर इधर-उधर भटक कर जीवन चलाने को मैंने एक नौकरी कर ली, लेकिन मेरी सुंदरता ही मेरी दुश्मन बन गई | जहां भी गई नौकरी करने वहां वहां मेरा शरीर अपने बॉस को बेचना पड़ता वरना नौकरी से निकाल दी जाती | मैं अकेली कब तक लड़ती | कोई सहारा भी तो नहीं था किसके कहती । खैर मेरी छोड़ो तुम अपनी सुनाओ |" मैंने भी अपनी सारी कहानी सुनाई फिर उसके घर का पता पूछ कर हम दोनों अपने-अपने रास्ते चल दिये | रास्ते भर सोचता रहा कोई भी चीज स्थिर नहीं है | कब क्या परिवर्तन हो जाए किसे पता | भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है कौन जान सकता है | अनामिका की बातें याद कर आंखों में आंसू नहीं रोक पाया था मैं । फिर दोबारा उससे मिलने का सिलसिला जारी हो गया | हम मिलने लगे, लेकिन अब हमारे बीच वह नहीं था जो हमने पहले सोचा था | एक दिन मैं परेशान हुआ अनामिका के घर में बैठा था | उसके पूछने पर मैंने अपनी परेशानी का कारण बताया," एक अच्छी कंपनी में मुझे नौकरी मिल रही है | पैसे भी अच्छे देंगे, लेकिन थोड़ी सी सिफारिश की जरूरत है |"उसने बिना सोचे-समझे ही कह दिया "तुम्हारा काम हो जाएगा |" दूसरे दिन ही मेरे पास कंपनी की तरफ से फोन आ गया | मैं हैरान रह गया अनामिका ने इतनी आसानी से मेरा काम कैसे करा दिया | जब मैंने इस बारे में जानना चाहा तो उसने यह कहकर टाल दिया, "खुशी देने में मिलती है, पाना या संग्रहण करने में नहीं |" मैं जानता था कि अनामिका की यह तो आरंभ से ही मान्यता थी, लेकिन मेरी लाख कोशिश भी उसका मुंह ना खुलवा सकी | उस दिन जब वह बीमार हुई तो मैं उसे डॉक्टर के पास ले गया | डॉक्टर ने मुझसे कहा," तुम्हें ऐसे समय में इनका ज्यादा ख्याल रखना चाहिए |" मैं डॉक्टर की बात समझ नहीं पाया लेकिन बार-बार जिदद् करने पर अनामिका ने ही मुझे बताया," मैं एच.आई.वी. पॉजिटिव हूं, हां मुझे ऐड्स है |" कहते हुए उसकी आवाज भर गई और सुनते हुए मैं कांप उठा | मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई | अब मेरी समझ में आ गया था कि मुझे वह नौकरी इतनी आसानी से कैसे मिल गई | उसने मेरे काम करवाने के लिए कितनी बड़ी कीमत चुकाई होगी, लेकिन उसकी इस बात ने मुझे अंदर तक झंझोड़ कर रख दिया, "अब मुझे कोई कीमत बड़ी नहीं लगती | अब तो मुझे आदत सी हो गई है | लोग मेरे शरीर को ऐसे नोचते हैं जैसे भूखा कुत्ता रोटी को |" मैं अनामिका का चेकअप करवाने एक बड़े डॉक्टर के पास ले गया | डॉक्टर ने मुझे बताया "एक्वायड इम्यून डेफीसिएंसी सिंड्रोम " यानी एड्स के नाम से जानी जाने वाली इस बीमारी में इसका वायरस, शरीर के अंदर जो हमारे रोगों से लड़ने का इम्यून सिस्टम है, उसे खत्म कर देता है और शरीर किसी भी रोग से लड़ने के लायक नहीं रहता | हर बीमारी लाइलाज हो जाती है | एड्स की जांच के लिए रोगी के रक्त की विशेष जांच की जाती है जिसे एलिसा टेस्ट कहा जाता है | वैसे तो एचआईवी इंफेक्शन का असली पता तो केवल ब्लड टेस्ट से ही चल सकता है, लेकिन कुछ लक्षण है जो एचआईवी इंफेक्टेड होने के संकेत दे सकते हैं जैसे एचआईवी वायरस से इनफेक्टिव होने के बाद व्यक्ति हल्का-हल्का बुखार महसूस करता है | वह हर समय थका थका रहता है | कई बार मरीज और डॉक्टर चाहकर भी इन सिस्टम्स को नहीं पकड़ पाते | एड्स की दूसरी स्टेज एचआईवी इंफेक्शन के 6 से 8 हफ्ते के बीच शुरू होती है इसके बाद 8 महीने से लेकर 8 से 10 सालों तक स्थायी बना रहता है | मरीज को कुछ पता नहीं चलता, लेकिन उसका इन्फेक्टेड ब्लड किसी दूसरे व्यक्ति को देने से एचआईवी फैलने की आशंका बनी रहती है | इफेक्शन की तीसरी स्टेज मैं शरीर मैं कुछ गिलटियां बननी शुरू हो होती है- गर्दन पर, बगल में, सेक्स आर्गन के आस-पास और लास्ट स्टेज में शरीर को बुखार आता है, खांसी आती है, रात में पसीना आता है,दस्त शुरू हो जाते हैं, वजन कम हो जाता हैं | मुंह के अंदर इन्फेक्शन दिखाई देने लगता है |" डॉक्टर की सारी बातें सुनकर मैं धैर्य खो चुका था | मैंने डॉक्टर से पूछा," क्या हम एड्स के इस बढते खतरे को किसी तरह रोक नहीं सकते ? इसका कोई इलाज नहीं है |" "रोक सकते हैं, इलाज भी है | इस समस्या के मूल में मल्टीपल सेक्स रिलेशन है, इसको खत्म कर दीजिए | यह बीमारी तब होती है जब पति-पत्नी के बीच स्थापित सेक्स संबंध के बीच कोइ तीसरा व्यक्ति प्रवेश करता है | यानी दोनो में से किसी के भी किसी बाहरी व्यक्ति से असुरक्षित सेक्स संबंध पैदा होते हैं तो इसका खतरा बढ़ जाता है | यह संबंध पति-पत्नी के बीच रहे तो इसका कोई खतरा नहीं है |" इस तरह डॉक्टर ने मुझे ऐड्स की पूरी जानकारी दी और मैं अनामिका को घर ले आया | मैं बहुत मायूस था | मुझे लगा जैसे मैंने एक बार फिर अनामिका को खो दिया है | धीरे-धीरे अनामिका की बीमारी बढ़ गई | डॉक्टर के बताये हुए लक्षण उसमें नजर आने लगे | मुझसे अनामिका का दु:ख देखा नहीं गया और मैं शहर छोड़कर दूसरे शहर में आ गया | फिर एक दिन अनामिका के किसी पड़ोसी का फोन आया | मैं तुरंत ही अगली गाड़ी से उससे मिलने चला गया | उसकी हालत बहुत खराब थी | वह अपनी मौत का इंतजार कर रही थी | खाट पर लेटी अनामिका अलग थी। उसकी सूरत बदल गई थी | वह कमजोर और काली पड़ गई थी | उसके चेहरे पर झुर्रियां थी | मुझे देख कर बिस्तर से उठने की कोशिश करने लगी, लेकिन शरीर इतना कमजोर हो गया था कि उसका बिना सहारे के उठना बैठना बड़ा मुश्किल था | पास में एक कुर्सी पड़ी थी जिस पर जाकर मैं निढाल सा होकर बैठ गया | बहुत देर उससे बात की फिर पढ़ोस से एक बुजुर्ग महिला आई और एक पानी का गिलास और एक दवाई उससे कुछ दूरी पर रख गई | पूछने पर पता चला मेरे पास इन्हीं का फोन आया था | अनामिका ने मेरा सहारा लिया और उठकर दवाई ली | अब अनामिका के पास कोई बैठना पसंद नहीं करता और उसके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा था | जिस अनामिका के पास बैठने को कॉलेज के सभी स्टूडेंट्स तरसते थे आज वही अनामिका अछूत हो गई थी | पानी का एक गिलास पकड़ाने भी उसके पास कोई नहीं जाता था | बच्चों की खेलते हुए गेंद यदि उसके घर में आ जाती तो बच्चों को दूसरी गेंद लाकर दे दी जाती, लेकिन उस घर में किसी को नहीं जाने दिया जाता था | मैंने उसे अस्पताल में भर्ती करवाकर वहीं पर उसका सारा प्रबंध करवा दिया और अगले दिन सुबह की गाड़ी से वापस चला आया | अब मन में मायूसी छा गई थी धीरे-धीरे मैं अपनी पत्नी के साथ सब भुलाने की कोशिश करने लगा । रात भर अनामिका के बारे में सोचते-सोचते बारिश कब थम गई और कब मेरी आंख लग गई कुछ पता नहीं लगा | सुबह पत्नी ने उठाया और चाय लेकर बगीचे में जा बैठा | रात की बारिश ने हवा का रुख कुछ सर्द कर दिया था | पेड़-पौधे सब धुले-धुले थे जिनके हरे-पत्तों पर पानी की बूंदे मोती जैसी चमक रही थी | रात भर सोया नहीं इसलिए आंखों में थोड़ी थकान महसूस हो रही थी | अचानक फोन की घंटी बजी, मैं तुंरत उठकर फोन रिसीव करने गया | फोन अस्पताल से था जहां अनामिका भर्ती थी | नहीं रही अनामिका, डॉक्टर ने बताया | आज वह एक बार फिर बिछड़ गई, कभी ना मिलने के लिए | छोड़ गई वह इस दुनिया को, किसी दूसरी दुनिया में | उसका यूं चले जाना असीम वेदना दे गया जो शायद कभी कम ना हो | कितना बेबस था मैं, रात को उससे अंतिम बार मिलने भी ना जा सका | फोन तो डॉक्टर ने रात करीब 2:00 बजे अनामिका के गुजरने पर ही किया था, लेकिन बारिश के कारण फोन की लाइन खराब थी | मुझे फिर याद आया, रात आई तो थी अनामिका | वह मुझसे बिना मिले थोड़ी ही गई है | यह फोन क्या करेगा, जब वह स्वयं ही अंतिम विदाई लेने मेरे दरवाजे पर खड़ी थी | वह अनामिका ही तो थी |

 

Dr.Vijay Laxmi "अनाम अपराजिता"

Dr.Vijay Laxmi "अनाम अपराजिता"

भावपूर्ण रचना

25 नवम्बर 2024

Sparkle

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25 नवम्बर 2024

🙏🙏

प्रिंस सिंघल

प्रिंस सिंघल

25 नवम्बर 2024

🙏🏻🙏🏻

Garv

Garv

Nice 👍

21 नवम्बर 2024

प्रिंस सिंघल

प्रिंस सिंघल

25 नवम्बर 2024

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रचनाएँ
princesinghal
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प्रिंस सिंघल
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मेरा परिचय

17 मार्च 2016
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जीने की राह

31 मई 2016
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रामपुर गांव की एक गली में एक बुढ़िया रहती थी . बुढ़िया की उम्र लगभग 80 वर्ष से कम नही थी.  कहने को तो बुढ़िया के 2 बटे थे,  लेकिन दोनों ही बुढ़िया को गाँव में मरने के लिये अकेली छोड़ दूर शहर में जा बसे. बुढ़िया घूम घूम कर अपने लिये भोजन इक्क्ट्ठा करती और अपना पेट भर कर सो जाती. उसका जीवन निरर्थक था. सिवाय

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पांच रूपए का झूठ

1 जून 2016
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गर्मी की तेज धूप में दो लड़कियां कॉलेज जा रही थी. उन्होनें रिक्शे वाले को आवाज़ दी और कॉलेज चलने को कहा. रिक्शे वाले ने 25 रूपए माँगे लेकिन लड़कियां 20 ही देना चाहती थी और रिक्शे वाले को कहने लगी हमारे पास तो 20 ही खुल्ले है या फ़िर 500 का नोट है. रिक्शे वाले ने हारकर 20 रुपए लेना ही स्वीकार कर लिया, दो

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इज्जत

6 जून 2016
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बरसात के मौसम में सड़क के खड्डो से गुजरती बस, धचके खाती चली जा रही थी. सीटों पर बैठे बूढ़े, बच्चे और अन्य यात्री धक्के खाते एक - दूसरे पर गिर रहे थे. उन्ही के बीच, दोनों सीटों के मध्य, एक युवती नीचे गठरी पर बैठी थी. शरीर पर मैले - कुचैले कपड़े और हाथों में एक 7-8 महीने का बालक था. उसी के पास एक वर्दी व

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किरायेदार

7 जून 2016
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श्याम जी को अपने मकान के लिए कई दिनों से किरायेदार की तलाश थी.  मेरे एक मित्र का ट्रांसफर मेरे ही शहर में हो गया. उसने रहने के लिए मुझसे किराये का कमरा दिलवाने को कहा. मैं और मेरा मित्र श्याम जी का कमरा देखने चले गए. कमरा मित्र कोपसंद भी आ गया, लेकिन श्याम जी को जैसे ही पता लगा मेरा मित्र दूसरे धर्म

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बुरा क्यों

8 जून 2016
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गर्मी के मौसम में अक्सर मैं समुद्र किनारे घूमने निकल जाया करता था, और वहीं बैठा समुद्र की ठंडी लहरों का आनंद लेता. उस दिन जब मैं समुद्र किनारे पेड़ के नीचे बैठा था तो मेरी नज़र एक कीड़े पर पड़ी. वह अपने बिल तक पहुंचने के लिए बहुत कोशिश कर रहा था, लेकिन बार - बार लहरें आती और उसे पीछे ले जाती. वह भी अपने

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सफलता की कुंजी

9 जून 2016
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जीवन में सफलता तो आवश्यक है ही लेकिन यह भी आश्यक है कि आप जीवन से संतुष्ट एवं प्रसन्न रहें. धन और शोहरत तो जरूरी है लेकिन उनके पीछे भागते रहने से मौजूदा जीवन पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ना चाहिये. अक्सर लोग परेशान रहते है कि जीवन में सुख नहीं है, लेकिन यह सुख दरअसल आपके हाथ में ही है. बस आपको पहचानना है 

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बेटी बोझ नहीं

10 जून 2016
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पिताजी की मृत्यु को एक महीना ही हुआ था. शान्तनु के सिर पर ही बहिन की शादी और घर की जिम्मेदारी का बोझ आ गया.  पिताजी की बीमारी में भी बहुत खर्च हो चुका था. घर के हालात को माँ समझती थी, लेकिन बेबस थी, फिर शान्तनु के भी तो दो लड़कियाँ थी, जिनको पढ़ाना - लिखाना और उनके ब्याह के लिए भी कुछ जोडना. सब कुछ दे

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फूल वाली

11 जून 2016
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शाम के 6 बज चुके थे घर जाते हुए अक्सर मै मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ जाया करता था. उस दिन मेरी नज़र फूल बेचने वाली पर पड़ी. 10-12 साल की एक मासूम लड़की, बदन पर मैली सी फ्रॉक, हाथों में फूलो की टोकरी लिये वह मंदिर जाने वाले सभी लोगो के पीछे दौड़ती और कहती, " फूल ले लो बाबूजी, भगवान पर चढ़ा देना वो खुश हो जाएं

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मुझे कौन भेजेगा स्कूल ......... मै लड़की हूँ ना !

13 जून 2016
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तीन दिन से छुट्टी पर चल रही है, काम नहीं करना तो मना कर दे, कोई जोर जबरदस्ती थोड़ी है. रोज कोई ना कोई बहाना लेकर भेज देती है अपनी बेटी को, उससे न सफाई ठीक से होती है और ना ही बर्तन साफ़ होते है. कपड़ों पर भी दाग यूँ के यूँ लगे रहते है .......... और उसमे इस बेचारी का दोष भी क्या है? इसकी उम्र भी तो नही

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फिर खतरे में आजादी

14 जून 2016
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जिस देश में बेटियां बिकने पर मजबूर हों और बेटे घर परिवार की सुरक्षा के लिए कलम की बजाय बंदूक पकड़ने को मजबूर हो जाएँ, तो ऐसी आजादी बेमानी होने की बात मन में उठना स्वभाविक है. बाजार हो या ट्रेन, या बस हो, कब छुपाकर रखा बम फट जाये, इस दहशत में आजाद भारत में जीना पड़े तो इसे विडंबना ही कहा जायेगा. जहाँ ए

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मै पानी बना नहीं सकता....... बचा सकता हूँ

15 जून 2016
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कलयुग में किल्लत से घिरा पानी अमृत से कम नहीं जिसे बचाना ग्राम से लेकर विश्व स्तर तक जरूरी है. पानी की कमी क्या हुई, मुनाफाखोरों की तो मानो चांदी हो गई. ऐसे में निजी क्षेत्र ने पानी से चांदी कूटने का रास्ता निकाल लिया. करीब हर छोटे गाँव से लेकर शहर में टैंकर का पानी नकदी के एवज में उपलब्ध है. बड़े श

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सामाजिक प्रदूषण दूर हो

16 जून 2016
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पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर दुनिया भर में जागरुकता की दृष्टि से कई आयोजन होते हैं, और इस वर्ष भी हुए थे. यह ख़ुशी की बात है कि पिछले कुछ अरसे में पर्यावरण सुरक्षा की ओर लोग पहले से अधिक जागरूक हुए हैं. लेकिन पेड़ - पौधों और वायुमंडल से जुड़े पर्यावरण के संरक्षण के अलावा एक और प्रदूषण की रोकथाम भ

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इस मिट्टी पर ही हमे अपना स्वर्ग खड़ा करना है

17 जून 2016
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आतंकवाद की गोली, हमारा खुदका बोया भ्रष्टाचार, घोटालों और बेईमानी का बीज जिस भारत में पनप रहा है, क्या आम आदमी ने ऐसा ही लोकतंत्र चाहा था? क्या जिन लक्ष्यों, उम्मीदों व सपनों को आजादी के नाम पर संजोया था उसका कुछ हिस्सा भी आम आदमी तक पहुँच पाया है? यहां साहूकार, जमीदार, और बड़े व्यापारी जरूर फले फूले 

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शिष्टाचार बनाता है लोकप्रिय

18 जून 2016
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शिष्टाचार व्यक्तित्व विकास का प्रमुख पहलू है. आज के युग में सफलता पाने के लिये जरूरी है कि  आप सभी वर्गों में लोकप्रिय हों और अपनी एक अलग पहचान बनाये. शिष्टाचार इसमें हमारी मदद करता है. हम दूसरों से अच्छे व्यवहार की उम्मीद तभी कर सकते है जब स्वयम में शिष्टाचार होगा. संबंधों में प्रगाढ़ता लाने के लिए 

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दया धर्म का मूल है

20 जून 2016
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 हमारा देश भारत धर्म निरपेक्ष देश होते हुए भी ऐसा धर्म प्रधान देश है कि धर्म के बिना भारत कैसा होगा इसकी कल्पना भी करना कठिन है. धर्म का वैचारिक अर्थ है जिसे धारण किया जाये या फिर वह कर्तव्य जिसे पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया जाये, कबीर दास जी ने भी अपने एक दोहे में कहा है " दया धर्म का मूल है" लेकिन 

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योग जीवन का आधार है

21 जून 2016
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योग भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण  वीध्या है. योग से हमारा सर्वांगीण, शरीरिक, मानसिक, बौद्धिक, व्यवहारिक विकास होता है. योग जीवन जीने की कला है, जिसे सीखकर व्यक्ति स्वस्थ रहता है, जीवन में सफल होता है. जीवन दिव्य बनाता है और अपना भाग्य बदलने में सक्षम होता है. योग सर्वांगीण विकास करने वाली कला ह

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सम्पन्नता

23 जून 2016
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रायपुर के राजा तेजसिंह की प्रजा राजा को बहुत चाहती थी, और राजा भी अपनी प्रजा का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखता था, लेकिन राजा को इस बात का धीरे धीरे घमंड होने लगा कि उसके जैसा शासन कोई नही कर सकता एवं जितनी सुखी प्रजा उसके राज में है ऐसी किसी अन्य के राज में नही है. ये घमंड दूर करने के लिये मंत्री ने

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प्रेम

24 जून 2016
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प्रेम किसी के लिये ज़िम्मेदारी है तो किसी के लिये वफादारी. किसी के लिये प्रेम लालसा है तो किसी की वासना, कोई अपनी सुविधा देखकर प्रेम करता है तो कोई आपसी योग्यता को देखकर. प्रेम की गहराई नापना असंभव है. लोग किसी महिला और पुरुष के संबंध को प्रेम मानते है, तो क्या एक माँ का अपने पुत्र या पुत्री के प्रति

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सिगरेट पीना स्वस्थ्य के लिये हानिकारक है

15 जुलाई 2016
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यह बात सच है कि सिगरेट पैकेटों पर बारीक अक्षरों में ‘ सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है’ लिखा रहता हैै, जो स्पष्ट नजर नहीं आता। लेकिन यह तथ्य भी अपनी जगह है कि इस चेतावनी को पढे बिना भी सिगरेट पीने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यह कोई फायदे की चीज नहीं है। ऐसे में बडा चित्र प्रकाशित होना उचित 

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सूर्य को खबर कर दो, भारत आ रहा है

2 सितम्बर 2023
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सूर्य को खबर कर दो, भारत आ रहा है मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है? हौसला हो तो फासला क्या है

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वीर बाल दिवस

26 दिसम्बर 2023
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वीर बाल दिवस लेखक : प्रिन्स सिंहलप्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी 2022 को घोषणा की थी, कि सिख गुरु गोबिंद सिंह के चार 'साहिबजादों' के साहस को श्रद्धांजलि के रूप में इस वर्ष से 26 दिसंबर को '

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स्वागत नववर्ष का

31 दिसम्बर 2023
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साल 2023 गुज़रने वाला है और नया साल 2024 आने वाला है। नया साल एक ऐसा मौका है जिसे सिर्फ किसी एक देश और समुदाय के लोग ही नहीं मनाते बल्कि पूरी दुनिया में इस मौके को पूरे उत्साह के साथ त्योहार के रूप मे

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अन्तिम विदाई

21 नवम्बर 2024
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अन्तिम विदाई लेखक : प्रिन्स सिंहल बरसात का मौसम था | आज शाम से ही हल्की-हल्की बारिश होते - होते रात में कडकडाती बिजली के साथ किसी तूफानी घटना की ओर इशारा करने लगी । पत्नी तो मेरी बाहों में बंधते

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