बरसात के मौसम में सड़क के खड्डो से गुजरती बस, धचके खाती चली जा रही थी. सीटों पर बैठे बूढ़े, बच्चे और अन्य यात्री धक्के खाते एक - दूसरे पर गिर रहे थे. उन्ही के बीच, दोनों सीटों के मध्य, एक युवती नीचे
गठरी पर बैठी थी. शरीर पर मैले - कुचैले कपड़े और हाथों में एक 7-8 महीने का बालक था. उसी के पास एक वर्दी वाला खड़ा था, जो
बस के धचको से अपना हाथ युवती पर फेर देता. युवती ने सम्भल कर अपने शरीर को बचाये रखा, लेकिन जब हाथ ज़्यादा नीचे गया तो युवती इसका विरोध किया. बस के सभी यात्रियों की नज़र उन पर
आ टिकी. वर्दी वाले ने शर्म से अपनी इज्जत बचाते हुए युवती के थप्पड़ मारा और अगले स्टैंड पर बस रोक उसे नीचे उतार लिया. अगले दिन स्थानीय समाचार पत्र में एक छोटी सी खबर छपी थी. बस में जेब तराशते युवती पकड़ी. वर्दी वाले ने खूबसूरती से अपनी इज्जत बचा ली थी.