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मै पानी बना नहीं सकता....... बचा सकता हूँ

15 जून 2016

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कलयुग में किल्लत से घिरा पानी अमृत से कम नहीं 

जिसे बचाना ग्राम से लेकर विश्व स्तर तक जरूरी है. पानी की कमी क्या हुई, मुनाफाखोरों की तो मानो चांदी हो गई. ऐसे में निजी क्षेत्र ने पानी से चांदी कूटने का रास्ता निकाल लिया. करीब हर छोटे गाँव से लेकर शहर में टैंकर का 

पानी नकदी के एवज में उपलब्ध है. बड़े शहरों में पानी की बड़ी बोतलें महँगी दरों पर कॉलोनियों में सप्लाई हो रही है. कई बस स्टैंडों पर तो रेहड़ी पर बड़े मटके लेकर बैठे विक्रेता पाँच- सात रुपये प्रति बोतल लेकर पानी भरते नज़र 

आते है. मुफ़्त में पानी भरने पर होटल वाला अब भौहें चढ़ा लेता है. ऐसे में जल संरक्षण पर विचार मंथन की जरूरत है.  जल संकट की केवल बात करने से काम नहीं चलेगा बल्कि सरकार के साथ ही हर नागरिक को अपने स्तर पर 

जागरुकता लाने और उपाय सुझाने की जिम्मेदारी निभानी होगी. सूखे इलाकों में रेन वाटर   हार्वेस्टिग को एक आदत बनाना होगा. इसके अलावा व्यक्तिगत जीवन में पानी के किफ़ायत से प्रयोग को जीवन शैली बनाना होगा. याद रखिए पानी से पनप रही है यह पृथ्वी और अगर पृथ्वी पर ज़िंदगी को बचाना है तो सबसे पहले पानी को ही बचाना होगा.

राम लखारा

राम लखारा

बिल्कुल सही।

15 जून 2016

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रचनाएँ
princesinghal
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प्रिंस सिंघल
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मेरा परिचय

17 मार्च 2016
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जीने की राह

31 मई 2016
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रामपुर गांव की एक गली में एक बुढ़िया रहती थी . बुढ़िया की उम्र लगभग 80 वर्ष से कम नही थी.  कहने को तो बुढ़िया के 2 बटे थे,  लेकिन दोनों ही बुढ़िया को गाँव में मरने के लिये अकेली छोड़ दूर शहर में जा बसे. बुढ़िया घूम घूम कर अपने लिये भोजन इक्क्ट्ठा करती और अपना पेट भर कर सो जाती. उसका जीवन निरर्थक था. सिवाय

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पांच रूपए का झूठ

1 जून 2016
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गर्मी की तेज धूप में दो लड़कियां कॉलेज जा रही थी. उन्होनें रिक्शे वाले को आवाज़ दी और कॉलेज चलने को कहा. रिक्शे वाले ने 25 रूपए माँगे लेकिन लड़कियां 20 ही देना चाहती थी और रिक्शे वाले को कहने लगी हमारे पास तो 20 ही खुल्ले है या फ़िर 500 का नोट है. रिक्शे वाले ने हारकर 20 रुपए लेना ही स्वीकार कर लिया, दो

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इज्जत

6 जून 2016
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बरसात के मौसम में सड़क के खड्डो से गुजरती बस, धचके खाती चली जा रही थी. सीटों पर बैठे बूढ़े, बच्चे और अन्य यात्री धक्के खाते एक - दूसरे पर गिर रहे थे. उन्ही के बीच, दोनों सीटों के मध्य, एक युवती नीचे गठरी पर बैठी थी. शरीर पर मैले - कुचैले कपड़े और हाथों में एक 7-8 महीने का बालक था. उसी के पास एक वर्दी व

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किरायेदार

7 जून 2016
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श्याम जी को अपने मकान के लिए कई दिनों से किरायेदार की तलाश थी.  मेरे एक मित्र का ट्रांसफर मेरे ही शहर में हो गया. उसने रहने के लिए मुझसे किराये का कमरा दिलवाने को कहा. मैं और मेरा मित्र श्याम जी का कमरा देखने चले गए. कमरा मित्र कोपसंद भी आ गया, लेकिन श्याम जी को जैसे ही पता लगा मेरा मित्र दूसरे धर्म

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बुरा क्यों

8 जून 2016
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गर्मी के मौसम में अक्सर मैं समुद्र किनारे घूमने निकल जाया करता था, और वहीं बैठा समुद्र की ठंडी लहरों का आनंद लेता. उस दिन जब मैं समुद्र किनारे पेड़ के नीचे बैठा था तो मेरी नज़र एक कीड़े पर पड़ी. वह अपने बिल तक पहुंचने के लिए बहुत कोशिश कर रहा था, लेकिन बार - बार लहरें आती और उसे पीछे ले जाती. वह भी अपने

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सफलता की कुंजी

9 जून 2016
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जीवन में सफलता तो आवश्यक है ही लेकिन यह भी आश्यक है कि आप जीवन से संतुष्ट एवं प्रसन्न रहें. धन और शोहरत तो जरूरी है लेकिन उनके पीछे भागते रहने से मौजूदा जीवन पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ना चाहिये. अक्सर लोग परेशान रहते है कि जीवन में सुख नहीं है, लेकिन यह सुख दरअसल आपके हाथ में ही है. बस आपको पहचानना है 

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बेटी बोझ नहीं

10 जून 2016
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पिताजी की मृत्यु को एक महीना ही हुआ था. शान्तनु के सिर पर ही बहिन की शादी और घर की जिम्मेदारी का बोझ आ गया.  पिताजी की बीमारी में भी बहुत खर्च हो चुका था. घर के हालात को माँ समझती थी, लेकिन बेबस थी, फिर शान्तनु के भी तो दो लड़कियाँ थी, जिनको पढ़ाना - लिखाना और उनके ब्याह के लिए भी कुछ जोडना. सब कुछ दे

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फूल वाली

11 जून 2016
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शाम के 6 बज चुके थे घर जाते हुए अक्सर मै मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ जाया करता था. उस दिन मेरी नज़र फूल बेचने वाली पर पड़ी. 10-12 साल की एक मासूम लड़की, बदन पर मैली सी फ्रॉक, हाथों में फूलो की टोकरी लिये वह मंदिर जाने वाले सभी लोगो के पीछे दौड़ती और कहती, " फूल ले लो बाबूजी, भगवान पर चढ़ा देना वो खुश हो जाएं

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मुझे कौन भेजेगा स्कूल ......... मै लड़की हूँ ना !

13 जून 2016
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तीन दिन से छुट्टी पर चल रही है, काम नहीं करना तो मना कर दे, कोई जोर जबरदस्ती थोड़ी है. रोज कोई ना कोई बहाना लेकर भेज देती है अपनी बेटी को, उससे न सफाई ठीक से होती है और ना ही बर्तन साफ़ होते है. कपड़ों पर भी दाग यूँ के यूँ लगे रहते है .......... और उसमे इस बेचारी का दोष भी क्या है? इसकी उम्र भी तो नही

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फिर खतरे में आजादी

14 जून 2016
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जिस देश में बेटियां बिकने पर मजबूर हों और बेटे घर परिवार की सुरक्षा के लिए कलम की बजाय बंदूक पकड़ने को मजबूर हो जाएँ, तो ऐसी आजादी बेमानी होने की बात मन में उठना स्वभाविक है. बाजार हो या ट्रेन, या बस हो, कब छुपाकर रखा बम फट जाये, इस दहशत में आजाद भारत में जीना पड़े तो इसे विडंबना ही कहा जायेगा. जहाँ ए

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मै पानी बना नहीं सकता....... बचा सकता हूँ

15 जून 2016
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कलयुग में किल्लत से घिरा पानी अमृत से कम नहीं जिसे बचाना ग्राम से लेकर विश्व स्तर तक जरूरी है. पानी की कमी क्या हुई, मुनाफाखोरों की तो मानो चांदी हो गई. ऐसे में निजी क्षेत्र ने पानी से चांदी कूटने का रास्ता निकाल लिया. करीब हर छोटे गाँव से लेकर शहर में टैंकर का पानी नकदी के एवज में उपलब्ध है. बड़े श

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सामाजिक प्रदूषण दूर हो

16 जून 2016
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पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर दुनिया भर में जागरुकता की दृष्टि से कई आयोजन होते हैं, और इस वर्ष भी हुए थे. यह ख़ुशी की बात है कि पिछले कुछ अरसे में पर्यावरण सुरक्षा की ओर लोग पहले से अधिक जागरूक हुए हैं. लेकिन पेड़ - पौधों और वायुमंडल से जुड़े पर्यावरण के संरक्षण के अलावा एक और प्रदूषण की रोकथाम भ

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इस मिट्टी पर ही हमे अपना स्वर्ग खड़ा करना है

17 जून 2016
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आतंकवाद की गोली, हमारा खुदका बोया भ्रष्टाचार, घोटालों और बेईमानी का बीज जिस भारत में पनप रहा है, क्या आम आदमी ने ऐसा ही लोकतंत्र चाहा था? क्या जिन लक्ष्यों, उम्मीदों व सपनों को आजादी के नाम पर संजोया था उसका कुछ हिस्सा भी आम आदमी तक पहुँच पाया है? यहां साहूकार, जमीदार, और बड़े व्यापारी जरूर फले फूले 

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शिष्टाचार बनाता है लोकप्रिय

18 जून 2016
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शिष्टाचार व्यक्तित्व विकास का प्रमुख पहलू है. आज के युग में सफलता पाने के लिये जरूरी है कि  आप सभी वर्गों में लोकप्रिय हों और अपनी एक अलग पहचान बनाये. शिष्टाचार इसमें हमारी मदद करता है. हम दूसरों से अच्छे व्यवहार की उम्मीद तभी कर सकते है जब स्वयम में शिष्टाचार होगा. संबंधों में प्रगाढ़ता लाने के लिए 

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दया धर्म का मूल है

20 जून 2016
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 हमारा देश भारत धर्म निरपेक्ष देश होते हुए भी ऐसा धर्म प्रधान देश है कि धर्म के बिना भारत कैसा होगा इसकी कल्पना भी करना कठिन है. धर्म का वैचारिक अर्थ है जिसे धारण किया जाये या फिर वह कर्तव्य जिसे पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया जाये, कबीर दास जी ने भी अपने एक दोहे में कहा है " दया धर्म का मूल है" लेकिन 

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योग जीवन का आधार है

21 जून 2016
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योग भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण  वीध्या है. योग से हमारा सर्वांगीण, शरीरिक, मानसिक, बौद्धिक, व्यवहारिक विकास होता है. योग जीवन जीने की कला है, जिसे सीखकर व्यक्ति स्वस्थ रहता है, जीवन में सफल होता है. जीवन दिव्य बनाता है और अपना भाग्य बदलने में सक्षम होता है. योग सर्वांगीण विकास करने वाली कला ह

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सम्पन्नता

23 जून 2016
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रायपुर के राजा तेजसिंह की प्रजा राजा को बहुत चाहती थी, और राजा भी अपनी प्रजा का अपने बच्चों की तरह ख्याल रखता था, लेकिन राजा को इस बात का धीरे धीरे घमंड होने लगा कि उसके जैसा शासन कोई नही कर सकता एवं जितनी सुखी प्रजा उसके राज में है ऐसी किसी अन्य के राज में नही है. ये घमंड दूर करने के लिये मंत्री ने

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प्रेम

24 जून 2016
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प्रेम किसी के लिये ज़िम्मेदारी है तो किसी के लिये वफादारी. किसी के लिये प्रेम लालसा है तो किसी की वासना, कोई अपनी सुविधा देखकर प्रेम करता है तो कोई आपसी योग्यता को देखकर. प्रेम की गहराई नापना असंभव है. लोग किसी महिला और पुरुष के संबंध को प्रेम मानते है, तो क्या एक माँ का अपने पुत्र या पुत्री के प्रति

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सिगरेट पीना स्वस्थ्य के लिये हानिकारक है

15 जुलाई 2016
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यह बात सच है कि सिगरेट पैकेटों पर बारीक अक्षरों में ‘ सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है’ लिखा रहता हैै, जो स्पष्ट नजर नहीं आता। लेकिन यह तथ्य भी अपनी जगह है कि इस चेतावनी को पढे बिना भी सिगरेट पीने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यह कोई फायदे की चीज नहीं है। ऐसे में बडा चित्र प्रकाशित होना उचित 

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सूर्य को खबर कर दो, भारत आ रहा है

2 सितम्बर 2023
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सूर्य को खबर कर दो, भारत आ रहा है मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है? हौसला हो तो फासला क्या है

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वीर बाल दिवस

26 दिसम्बर 2023
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वीर बाल दिवस लेखक : प्रिन्स सिंहलप्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी 2022 को घोषणा की थी, कि सिख गुरु गोबिंद सिंह के चार 'साहिबजादों' के साहस को श्रद्धांजलि के रूप में इस वर्ष से 26 दिसंबर को '

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स्वागत नववर्ष का

31 दिसम्बर 2023
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साल 2023 गुज़रने वाला है और नया साल 2024 आने वाला है। नया साल एक ऐसा मौका है जिसे सिर्फ किसी एक देश और समुदाय के लोग ही नहीं मनाते बल्कि पूरी दुनिया में इस मौके को पूरे उत्साह के साथ त्योहार के रूप मे

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