शिष्टाचार व्यक्तित्व विकास का प्रमुख पहलू है. आज के युग में सफलता पाने के लिये जरूरी है कि आप सभी वर्गों में लोकप्रिय हों और अपनी एक अलग पहचान बनाये. शिष्टाचार इसमें हमारी
मदद करता है. हम दूसरों से अच्छे व्यवहार की उम्मीद तभी कर सकते है जब स्वयम में शिष्टाचार होगा. संबंधों में प्रगाढ़ता लाने के लिए हमे थोड़ा बहुत समझौता करना पड़ता है. हमारे थोड़ा सा झुक जाने से हम छोटे नहीं हो जाते बल्कि हम परिवार टूटने से बचा सकते है. परिवार को जोड़े रखने के लिए सहनशीलता और सूझबूझ आवश्यक है, जो परिवार के हर सदस्य में होनी चाहिए. मेरी - तेरी की भावना शिष्टाचार के विरुद्ध जाती है. पारिवारिक शिष्टाचार कहता है की सोच समझकर एवं दूसरों की भावना को जानकर ही बात कही जाये. ऐसी भावना ही परिवार में हमें सबका चहेता बनाती है. लोगों को अपने व्यवहार से यदि अपना बनाना हो तो जरूरी है उनके बीच रहकर जिस व्यवहार की वे हमसे अपेक्षा
रखते है हम वैसा ही करें. शिष्टाचार हमे अपनी मँजिल पर पहुँचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यदि किसी अध्यापक में शिष्टाचार नहीं है तो वह अपने छात्रों का चहेता कभी नहीं बन सकता. इसी प्रकार एक डॉक्टर में शिष्टाचार नहीं है तो वह अपने मरीज़ के दर्द को कम नहीं कर सकता. यदि डॉक्टर अपने मरीज़ से शिष्टाचार अपनाये तो मरीज़ का दर्द कम कर सकता है और उसको बड़ी से बड़ी बीमारी
से भी लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. शिष्टाचार और खुशमिज़ाजी ही हमें लोगों से अलग दर्शाती है और हम जिस क्षेत्र में कार्यरत है यदि उस क्षेत्र के लोगो
पर हमारा शिष्टाचार छा गया तो सफलता हमारे कदम चूमेगी.