इस मिट्टी पर ही हमे अपना स्वर्ग खड़ा करना है
आतंकवाद की गोली, हमारा खुदका बोया भ्रष्टाचार, घोटालों और बेईमानी का बीज जिस भारत में पनप रहा है, क्या आम आदमी ने ऐसा ही लोकतंत्र चाहा था? क्या जिन लक्ष्यों, उम्मीदों व सपनों को आजादी के नाम पर संजोया था उसका कुछ हिस्सा भी आम आदमी तक पहुँच पाया है? यहां साहूकार, जमीदार, और बड़े व्यापारी जरूर फले फूले