ज़िंदगी क्या है जानने के लिये
ज़िंदा रहना बहुत जरुरी है
आज तक कोई भी रहा तो नही
सारी वादी उदास बैठी है
मौसमे गुल ने खुदकशी कर ली
किसने बरुद बोया बागो मे
आओ हम सब पहन ले आइने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा
सारे हसीन लगेंगे यहाँ
है नही जो दिखाई देता है
आइने पर छपा हुआ चेहरा
तर्जुमा आइने का ठीक नही
हम को गलिब ने येह दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फकत दिनो मे गया
लब तेरे मीर ने भी देखे है
पखुड़ी एक गुलाब की सी है
बात सुनते तो गलिब रो जाते
ऐसे बिखरे है रात दिन जैसे
मोतियो वाला हार टूट गया
तुमने मुझको पिरो के रखा था