🌺सच से हैं कितनी दूर,
ये कभी जान न पाते सपने।
अब भी बसते हैं इन आंखों में,
कुछ हंसी,टिमटिमाते सपने।
🌺जब होती इस दिल की मर्जी,
तब आंखों में बस जाते सपने।
जब टूट जाता वही नाजुक दिल,
आंसुओं में बह निकल आते सपने।
🌺किसी को देते खुशियों का जहां,
किसी के अधूरे रह जाते सपने।
जो मेहनत करता उसी के सच होते,
बात यही रोज हमें समझाते सपने।
🌺कुछ खो जाएं भी तो क्या,
आंँखों में फिर नहीं सजाते सपने?
चलता रहेगा ये सिलसिला यूं ही,
रोज रहेंगे हमसे मिलते-मिलाते सपने।