मेरे द्वारा रचित इस कहानी की मुख्य पात्र श्रुति है, जो पढ़ाई-लिखाई में अच्छी है, लेकिन अपने घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाती। लेकिन उसके अन्दर की पढ़ने की इच्छा नहीं जाती और वह कई बार अपने घर वालों से काम करने की अनुमति मांगती है, लेकिन उसके घर वाले हमेशा डरते रहते हैं कि श्रुति एक लड़की है और बाहर का माहौल भी ठीक नहीं है। श्रुति चाहती थी कि वह काम करके अपनी पढ़ाई का खर्चा खुद उठाए और अपनी पढ़ाई जारी रखे। लेकिन जैसा श्रुति चाहती थी, वैसा नहीं होता। इस तरह श्रुति को एक लड़की होने के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उसकी राय जाने बगैर उसकी शादी कर दी जाती है। यहां उसे दहेज के लिए परेशान किया जाता है और कई तरह के ताने मारे जाते हैं। उसे घर से बाहर निकाल दिया जाता है। श्रुति अपने घर, अपने माता-पिता के पास वापस नहीं जाती और सोचती है कि जो काम वह पहले नहीं कर पाई, वह अब करेगी। श्रुति अपनी एक सहेली के साथ रहने लगती है और अखबार बांटने का काम करने के साथ ही अपनी पढ़ाई फिर से जारी कर लेती है। फिर श्रुति यूपीएससी का एग्जाम पास कर आईपीएस बन जाती है और आईपीएस बनने के बाद वह तय करती है कि एक लड़की होने के कारण जिन मुश्किलों का सामना उसे करना पड़ा है, वह दूसरी लड़कियों को नहीं करने देगी। इसी सोच के साथ श्रुति औरतों का एक ग्रुप तैयार करती है, जिसे वह औरतों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित करती है। और वह इस ग्रुप का नाम रखती है "वूमेन वेब"। अंत: मैंने इस कहानी के जरिए उन मुश्किलों को दिखाने की कोशिश की है जिनका सामना औरतों को औरतें होने के कारण या आत्मनिर्भर न होने के कारण करना पड़ता है।
नोट: इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं, इनका असल जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं है। यह कहानी मैंने अपनी कल्पना से रची है। यह किसी सच्ची घटना से कोई तालुक नहीं रखती है।