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परिचय

1 मई 2023

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जैसा कि मेरी पुस्तक के नाम से ही पता चल रहा है कि यह पुस्तक औरतों पर लिखी गई है। मैंने अपनी इस किताब में औरतों की स्थिति को उजागर किया है। मैंने इसमें दिखाने की कोशिश की है कि किस प्रकार औरतों से उनकी आजादी सिर्फ यह कहकर छीन ली जाती है कि वे औरतें हैं। इसी के चलते उनकी जिंदगी महज घर की चार दीवारी में गुजर जाती है। उन्हें यह कहकर घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता कि बाहर का माहौल खराब है, उनके लिए सुरक्षित नहीं है। जिसके कारण न उन्हें अच्छी शिक्षा मिल पाती है और न ही वे अपने पैरों पर खड़ी हो पाती हैं। आगे चलकर इसी बात का फायदा औरतों के ससुराल वाले उठाते हैं और उन्हें दहेज आदि के लिए परेशान करते हैं। पुरुष प्रधानता का कारण भी औरतों का आजादी न होना है। हालांकि शहरों में अब यह धारणा थोड़ी कम हो गई है, लेकिन कहीं न कहीं हमारे गांव में यह धारणा अभी भी बरकरार है। वहां आज भी लोग यही मानते हैं कि बाहर का माहौल औरतों या लड़कियों के लिए सही नहीं है। जिसके चलते आगे चलकर औरतों के लिए घर का माहौल बाहर के माहौल से भी बदतर बन जाता है। वे बिचारी अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पातीं, केवल अपने पतियों पर निर्भर होकर रह जाती हैं। हमें इस सर्किल को तोड़ना होगा क्योंकि औरतें बाहर सुरक्षित इसलिए नहीं होतीं क्योंकि वहां उनकी गिनती मर्दों से कम होती है और आप जानते ही हैं कि जिनकी संख्या ज्यादा होती है वे हमेशा कम संख्या वालों को दबाने की कोशिश करते हैं। हम जितना अपनी बेटियों को सुरक्षित रखना चाहते हैं, जाने-अनजाने में उन्हें उतना ही असुरक्षित कर देते हैं। हम उन्हें घर पर कैद करके रखते हैं, जिसके कारण जब वे घर से बाहर जाती हैं तो उनके मन में एक अजीब सा डर होता है। वे बाहर के लोगों से बातचीत करने में भी असहज महसूस करती हैं।  

नोट: इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं, इनका असल जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं है। यह कहानी मैंने अपनी कल्पना से रची है। यह किसी सच्ची घटना से कोई ताल्लुक नहीं रखती है।

मीनू द्विवेदी वैदेही"

मीनू द्विवेदी वैदेही"

बिल्कुल सही लिखा आपने बहन 👌 आप मेरी कहानी पढ़कर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

12 अगस्त 2023

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रचनाएँ
वूमेन वेब
3.0
जैसा कि मेरी पुस्तक के नाम से ही पता चल रहा है कि ये पुस्तक औरतों पर लिखी गई है। मैंने अपनी इस किताब मे औरतों की स्थिति को उजागर किया है। मैंने इसमें दिखाने की कोशिश की है कि किस प्रकार औरतों से उनकी आजादी सिर्फ ये कहकर छीन ली जाती है कि वो औरतें हैं। इसी के चलते उनकी जिंदगी महज घर की चार दिवारी में गुजर जाती है। उन्हें ये कहकर घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता की बाहर का माहौल खराब है, उनके लिए सुरक्षित नहीं है। जिसके कारण ना उन्हें अच्छी शिक्षा मिल पाती है और ना ही वो अपने पैरों पर खड़ी हो पाती हैं। आगे चलकर इसी बात का फायदा औरतों के ससुराल वाले उठाते हैं और उन्हें दहेज़ आदि के लिए परेशान करते हैं। पुरुष परधानता का कारण भी औरतों को आजादी न होना है। हालांकि शहरों में अब ये धारणा थोड़ी कम हो गई है। लेकिन कहीं न कहीं हमारे गांव में ये धारणा अभी भी बरकरार है। वहां आज भी लोग यही मानते हैं कि बाहर का माहौल औरतों या लड़कियों के लिए सही नहीं है। जिसके चलते आगे चलकर औरतों के लिए घर का माहौल बाहर के माहौल से भी बत्तर बन जाता है। वो बिचारी अपनी छोटी छोटी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाती , केवल अपने पतियों पे निर्भर होकर रह जाती हैं। हमे इस सर्किल को तोड़ना होगा क्योंकि औरतें बाहर सुरक्षित इसलिए नहीं होती क्योंकि वहां उनकी गिनती मर्दों से कम होती है और आप जानते ही हैं कि जिनकी संख्या ज्यादा होती है वो हमेशा कम संख्या वालों को दबाने की कोशिश करते हैं।
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परिचय

1 मई 2023
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जैसा कि मेरी पुस्तक के नाम से ही पता चल रहा है कि यह पुस्तक औरतों पर लिखी गई है। मैंने अपनी इस किताब में औरतों की स्थिति को उजागर किया है। मैंने इसमें दिखाने की कोशिश की है कि किस प्रकार औरतों से उनकी

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लघुरूप और बदलाव

12 मई 2023
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लघुरूप   1. वी. ओ. = वॉयस ओवर   2. ओ. सी. = ऑफ कैमरा   3. ओ. एस. = ऑफ स्क्रीन   बदलाव   1. फेड इन   2. फेड आउट   3. स्मैश कट   4. शिफ्ट टू   आदि।

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वूमेन वेब भाग - 1

11 मई 2023
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सम मेन कैरेक्टर्स/ऐज/प्रोफेशन 1. श्रुति (मेन कैरेक्टर) - 20 - आईपीएस 2. अर्चना (श्रुति की मां) - 45 - हाउस वाइफ 3. यशपाल (श्रुति के पिता) - 48 - कारखाने में मज़दूर 4. अजूनी (श्रुति की बहन) - 16 

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वूमेन वेब भाग - 2

7 मई 2023
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12. एक्सटीरियर - वरूण के घर के सामने - मॉर्निंग - कुछ दिन बाद   सुबह का समय है।   सूरज की किरणों से आसमान संतरी और हल्का लाल रंग का हो चुका है।   सूरज की परछाईं पानी में साफ नजर आ रही है।   पक्षी

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वूमेन वेब भाग - 3

7 मई 2023
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14B. इंटीरियर - गायत्री का कमरा - सेम टाइम गायत्री के बेड पर कपड़ों का ढेर लगा हुआ है और वह कपड़ों की तह लगा रही है। उसके कमरे में श्रुति के कमरे में चल रहे टीवी की थोड़ी-थोड़ी आवाज़ आ रही है। गायत

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वूमेन वेब भाग 4

9 मई 2023
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20. इंटीरियर - पुलिस स्टेशन - मॉर्निंग - चार साल बाद   श्रुति कुर्सी पर बैठी हुई है। उसने आईपीएस की वर्दी पहनी हुई है।   उसके हाथ में एक पैन है।   तभी एक इंस्पेक्टर (25) श्रुति के पास आता है।   उस

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सारांश

13 मई 2023
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मेरे द्वारा रचित इस कहानी की मुख्य पात्र श्रुति है, जो पढ़ाई-लिखाई में अच्छी है, लेकिन अपने घर की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाती। लेकिन उसके अन्दर की पढ़ने की इच्छा न

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