12. एक्सटीरियर - वरूण के घर के सामने - मॉर्निंग - कुछ दिन बाद
सुबह का समय है।
सूरज की किरणों से आसमान संतरी और हल्का लाल रंग का हो चुका है।
सूरज की परछाईं पानी में साफ नजर आ रही है।
पक्षी इधर-उधर घूम रहे हैं।
फेड इन / फेड आउट
12A. इंटीरियर - वरूण का घर - रूम - मॉर्निंग
एक छोटा सा घर है जिसमें तीन छोटे-छोटे कमरे हैं।
वरुण, 25 नाम का लड़का, अपने कमरे में शीशे में देखकर अपने बाल सवार रहा है।
वह बहुत जल्दी में लग रहा है।
दूसरी ओर….
स्टॉक शॉट
12B. इंटीरियर - वरुण का घर - रसोई - मॉर्निंग
एक छोटी-सी रसोई है, जिसमें धोने वाले बर्तनों का ढेर लगा हुआ है।
वही रसोई में श्रुति, 20 नाम की लड़की, रोटियां बेल रही है।
उसने सिम्पल सी साड़ी पहनी हुई है और एक लंबी सी चोटी बनाई है।
श्रुति जल्दी-जल्दी काम कर रही है और वो थोड़ी टेंशन में लग रही है।
तभी किसी के पैरों की आवाज़ आती है।
वो वरुण है जो अपने कमरे से रसोई की तरफ आ रहा है।
और आते हुए वो श्रुति से कह रहा है।
वरुण
(अपनी घड़ी की ओर देखते हुए)
श्रुति ओ श्रुति, आज के दिन खाना बनेगा या नहीं? मुझे देर हो रही है।
इतना बोलते हुए वरुण रसोई के अंदर पहुंच जाता है।
और सबसे पहले उसका ध्यान रसोई में पड़े धोने वाले बर्तनों पर जाता है।
श्रुति
(रोटी तवे पर रखते हुए)
बस दो मिनट में बन ही गया है।
वरुण
(गुस्से से)
अगर बन गया है तो लाओ न, किसका इंतज़ार कर रही हो? जा महूरत निकालने के लिए कोई पंडित जी आने वाले हैं, फिर तुम मुझे खाना दोगी।
श्रुति
बस पांच मिनट और, खाना डालने के लिए बर्तन नहीं हैं। मैं बर्तन धो लूं, फिर खाना देती हूं।
वरूण
(ताना मारते हुए)
मुझे पहले ही पता था कि तुम ऐसा ही कहोगी, क्योंकि रसोई में आकर मैंने सबसे पहले बरतनों के ढेर को ही देखा था। अगर तुम थोड़ी जल्दी उठ जाती तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाता, हां?
इतना कहकर वरुण गुस्से में अपने कमरे में चला जाता है।
श्रुति भी उसके पीछे-पीछे जाती है।
कट टू
12C. इंटीरियर - वरूण का घर - रूम - मॉर्निंग
वरुण का बैग टेबल पर रखा हुआ है।
वरुण कमरे में जाकर अपना बैग उठाकर जाने लगता है।
इतने में श्रुति आ जाती है और वो वरुण का बैग पकड़कर कहती है:
श्रुति
तो अब क्या हो गया, मैं बस दो मिनट में बर्तन साफ करके तुम्हें खाना देती हूं।
वरुण
अब रहने दो, पहले ही खाने की वेट करते-करते मैं पांच मिनट लेट हो चुका हूं और अब अगर मैं बर्तन साफ होने की उड़ीक करने लगा तो 15-20 मिनट लग जाएंगे।
श्रुति
(समझाते हुए)
तो क्या हुआ, 15-20 मिनट लेट होने से क्या होता है?
वरुण
(ताना मारते हुए)
हां, तुम बिलकुल सही कह रही हो, 15-20 मिनट लेट होने से क्या होता है क्योंकि मैं कौन-सा ऑफिस का क्लर्क हूं। मैं तो वहां का बॉस हूं ना, जब मन करे तब ऑफिस चला गया। और न ही मुझे बस की वेट करनी पड़ती है क्योंकि मेरे पास खुद की मोटरसाइकिल है, जो मुझे हमारी शादी के समय दहेज़ में मिली थी।
श्रुति
आप बात को इतना खींच क्यों रहे हो, रही बात मोटरसाइकिल की तो मेरे घर वालों ने पहले ही बर्तन से लेकर बेड तक सारा सामान दिया है। वो बिचारे अभी सामान का ही कर्ज उतार रहे होंगे, ऐसे में आपको मोटरसाइकिल कैसे ले दे।
वरुण
(श्रुति की ओर गूरकर देखते हुए)
तुम्हें क्या है। तुम्हें तो बस घर पर बैठकर बातें करनी आती हैं। अगर तुम मेरी तरह ऑफिस जाकर काम करो तो तुम्हें पता चलेगा कि ऑफिस में लेट पहुंचने के कारण जब बॉस से डांट पड़ती है, वो भी इतने लोगों के सामने, तो कैसा लगता है।
श्रुति
(आगे से ताना मारते हुए)
अच्छा, अब आपको देर नहीं हो रही। है ना? और अब आपके बॉस भी आपको कुछ नहीं कहेंगे।
वरूण
जा रहा हूं, तुम मुझे मत सिखाओ क्या करना है और क्या नहीं। तुम अपने काम से काम रखो।
इसके बाद वरुण बड़बड़ाता हुआ अपने ऑफिस चला जाता है। उसके जाने के बाद श्रुति रसोई में जाकर बर्तन साफ करने लग जाती है।
फेड टू
13. इंटीरियर - वरुण का ऑफिस - मॉर्निंग
ऑफिस में वर्कर काम कर रहे हैं।
लेकिन इन वर्करों में औरतों की संख्या मर्दों के मुकाबले कम है।
जब वरुण ऑफिस में एंटर करता है तो सभी वर्कर उसकी ओर देखने लगते हैं।
इसके बाद वरुण सीधे जाकर अपने केबिन में आकर कुर्सी पर बैठ जाता है।
वरुण के कुर्सी पर बैठते ही उसके साथ के केबिन वाला लड़का, अनुराग (27), उससे कहता है।
अनुराग
(अपनी आंखों से इशारा करते हुए)
और कैसे हो वरुण। आज तुम फिर से ऑफिस लेट पहुंचे हो। आज क्या-क्या हो गया था? आज तुम्हारी बस लेट आई थी या फिर बस खराब हो गई थी?
वरुण
ना ही मेरी बस लेट थी और न ही बस खराब हुई थी।
अनुराग
तो क्या हुआ था?
वरुण
(बॉस के चैंबर की ओर देखते हुए)
यह सब बाद में बताऊंगा। तू पहले मुझे ये बता कि बॉस आए हैं या नहीं।
अनुराग
(हंसते हुए)
यार तू कितना डरता है बॉस से। वैसे तेरी किस्मत अच्छी है जो बॉस को ऑफिस में आते ही कुछ कम पड़ गया और वो उलटे पांव वापस चले गए। उन्हें तो यह भी पता नहीं कि तुम ऑफिस आए हो या नहीं।
वरुण
(राहत की सांस लेते हुए)
चलो यह तो अच्छा हुआ वरना मुझे बॉस की डांट खानी पड़ती।
अनुराग
यार तू ऐसे काम करता ही क्यों है जिनके कारण तुझे डांट पड़े।
वरुण
यार मेरी बस मिस हो गई थी, इसमें मेरी क्या गलती है?
अनुराग
अब तू बच्चा तो नहीं हो जो तुम्हें बस का टाइम नहीं पता। अगर बस का टाइम पता है तो पांच मिनट पहले ही बस स्टैंड पहुंच जाया कर। दूसरी बात, तेरी दस हजार सैलरी है, दस हजार और ऐसे में तू बसों की वेट करता अच्छा नहीं लगता। अपने ससुराल वालों से कम से कम एक मोटरसाइकिल तो दहेज में मांग लेते। मुझे ही देख लो, मेरे ससुराल वालों ने मुझे दहेज में गाड़ी दी है, गाड़ी।
वरुण
टाइम तो पता है यार लेकिन मैं क्या करता, आज मेरी बीवी ने खाना लेट बनाया था। और जब खाना तैयार हो गया तो कहने लगी कि अभी बर्तन साफ़ करने वाले रहते हैं। मैं तो जल्दी-जल्दी में खाना भी नहीं खाकर आया। जब बस स्टैंड पे पहुंचा तो बस चली गई थी। बाद में मैंने एक आदमी से लिफ्ट मांगी और जैसे-तैसे करके ऑफिस पहुंचा।
अनुराग
ये क्या बात हुई? तुम रास्ते में किसी भी अंजान व्यक्ति से लिफ्ट मांग सकते हो लेकिन आपने ससुराल वालों से एक मोटरसाइकिल नहीं मांग सकते।
वरूण
यार अनुराग, मैं क्या करूं, कितनी बार तो मैं अपनी पत्नी से मोटरसाइकिल का ताना मार चुका हूं लेकिन वो है कि अपने घर वालों से इसके बारे में कोई बात ही नहीं करती।
अनुराग
फिर तुम अपनी पत्नी को सीधे-सीधे कहो कि अगर वो तुम्हें अपने घर वालों से मोटरसाइकिल लाकर देगी तो तुम उसे अपने घर पर रखोगे, वरना नहीं। भाई, तुम उसे घर पर फ्री बैठा कर खिला रहे हो, वो कौन से पैसे कमाती है। तुम कुछ तो रोब रखो अपना। और मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हारी ये बात सुनते ही तुम्हारी पत्नी तुरंत अपने घर वालों को फ़ोन करेगी और कहेगी, "पापा, मुझे आज ही इसी वक्त मोटरसाइकिल चाहिए।"
वरूण
आइडिया तो तुम्हारा जीनियस वाला है, वैसे भी औरतों को घर पर बैठकर खाना खाने और बातें करने के सिवाए और आता ही क्या है।
डिस्सोल्व टू
14.इंटीरियर - वरुण का घर - आंगन - आफ्टरनून
श्रुति तनी पे कपड़े सूखने के लिए डाल रही है।
तभी वहां गायत्री आ जाती है और आकर श्रुति से कहती है।
गायत्री
क्यूं महारानी, अभी तक कपड़े ही सूखने डाल रही हो, घर के बाकी काम कौन करेगा? अगर तुम्हारा ऐसे ही धीरे-धीरे काम करना चलता रहा तो फिर घर के काम हुए ही पड़े हैं।
श्रुति
मम्मी, बस थोड़े से ही कपड़े रहते हैं। इन्हें सूखने डालने के बाद मैं बाकी काम भी निपटा दूंगी।
गायत्री
(बड़बड़ाते हुए)
सभी काम धीरे-धीरे करती है। किसी काम की नहीं है। इसके कारण सुबह वरुण भी ऑफिस से लेट हो गया। अगर ऐसे ही उसे लेट करना होता है तो अपने घर वालों को बोलकर उसे मोटरसाइकिल क्यों नहीं दिलवा देती।
श्रुति
मम्मी जी, अगर मेरे घर वालों के पास पैसे इतने ही आम होते तो वो मुझे पढ़ा-लिखा कर एक अच्छी नौकरी करने के योग्य बनाते, न कि मेरी शादी करते।
गायत्री
तो हमारे घर पे कौन सा पैसों का पेड़ है जो हम तुझे घर पे बैठा कर खिलाएं।
इसके बाद श्रुति रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है।
और उसकी सास गायत्री भी मुँह मरोड़कर अपने कमरे में चली जाती है।
कट टू
14A. इंटीरियर - वरुण का घर - रूम - कुछ मिनट बाद
श्रुति अपने कमरे में बेड पर बैठकर रो रही है।
उसके कमरे का टीवी चल रहा है।
रोते-रोते श्रुति का ध्यान पास ही में टेबल पर रखे टेलीफोन पर जाता है और
उसके मन में अपनी मां से बात करने का ख्याल आता है।
श्रुति बेड से उठकर टेलीफोन की तरफ जाती है और नंबर लगाती है।
शिफ्ट टू
15. इंटीरियर - अर्चना का घर - सेम टाइम
दूसरी ओर श्रुति के पापा यशपाल के फोन की घंटी बजती है।
जो रोटी खा रहा है।
यशपाल
(फ़ोन उठाकर)
हैलो हांजी कौन?
इंटरकट बिटवीन सीन 14A एंड 15
श्रुति
हैलो पापा मैं श्रुति बोल रही हूं।
यशपाल
अच्छा श्रुति! और बेटी कैसी हो तुम?
श्रुति
पापा मैं बिल्कुल ठीक हूं, आप बताइए, आप कैसे हैं?
यशपाल
मैं भी ठीक हूं।
इतना बोलकर यशपाल, अर्चना को आवाज़ लगाता है जो थोड़ी दूरी पर बैठकर कपड़े धो रही है।
यशपाल
अर्चना ओ अर्चना, श्रुति का फोन आया है। आकर बात कर लो।
अर्चना कपड़े छोड़कर आ जाती है और यशपाल फ़ोन अर्चना के हाथ में देकर वहां से चला जाता है।
अर्चना
हैलो, श्रुति कैसी है तू। इतने दिनों बाद याद आई तुझे हमारी। और बता क्या कर रही है तू?
श्रुति
ठीक हूं मां, करना क्या है, घर पर बैठकर फ्री का खा रही हूं।
अर्चना
तू ऐसा क्यों बोल रही है?
श्रुति
ऐसा मैं नहीं बोल रही, ऐसा मेरे ससुराल वाले बोलते हैं। अगर आपने मुझे कोई छोटी-मोटी नौकरी करने दी होती तो आज मुझे मेरे ससुराल वालों से ऐसे ताने न सुनने को मिलते।
अर्चना
ऐसा तू सोचती है। मुझे नहीं लगता कि तेरे ससुराल वाले कभी भी ऐसा चाहेंगे कि तू घर से बाहर जाकर कोई काम करे। तुम्हारे ससुराल वाले क्या ऐसा कोई भी नहीं चाहेंगे कि उनके घर की बहू, बेटी बाहर काम करे। तू कभी घर से बाहर जाकर तो देख, फिर तुझे पता चलेगा कि शहर में ज्यादातर आदमी ही काम करते हैं। क्योंकि औरतें शहरों में काम करती अच्छी नहीं लगती।
श्रुति
ये लोग मुझे घर से बाहर जाने ही नहीं देते।
अर्चना
यह तो अच्छी बात है कि तेरी सारी जरूरतें घर पर ही पूरी की जाती हैं। देख, आजकल के माहौल को देखते हुए घर से बाहर ना निकलने में ही भलाई है।
श्रुति
मम्मी, आपसे तो बात करना ही बेकार है।
इतना कहकर श्रुति फोन काट देती है और अपने आप से कहती है।
श्रुति
मम्मी का तो हर बार का यही होता है। बाहर का माहौल खराब है, हम औरतों की किस्मत में यही सब लिखा है। ये वो।