सम मेन कैरेक्टर्स/ऐज/प्रोफेशन
1. श्रुति (मेन कैरेक्टर) - 20 - आईपीएस
2. अर्चना (श्रुति की मां) - 45 - हाउस वाइफ
3. यशपाल (श्रुति के पिता) - 48 - कारखाने में मज़दूर
4. अजूनी (श्रुति की बहन) - 16
5. सिरजना (श्रुति की बहन) - 18
6. वैभव (श्रुति का भाई) - 14
7. वरुण (श्रुति के पति) - 23-25 - निजी बैंक में लिपिक/क्लर्क
8. नरेश (वरुण के पिता) - 45 प्लस
9. गायत्री (श्रुति की सास) - 45 प्लस
10. अनुराग (वरुण का दोस्त) - 27
11. आस्ता (श्रुति की सहेली) - 21
12. शोरिया (इंस्पेक्टर) - 22-30
13. गुंजन (अर्चना की सहेली) - 41-45
14. अन्य
फेड इन
1. इंटीरियर/एक्सटीरियर। श्रुति का घर। आंगन। सुबह। 7:00 बजे
मॉर्निंग सीन
सुबह का समय है।
सूरज धीरे-धीरे दरख्तों के पीछे से निकल रहा है।
पक्षी चारों ओर चहचहाते हुए घूम रहे हैं।
शहर की सड़कें लोगों से भरी हुई हैं, चारों ओर चहल-पहल है।
लेकिन इस भीड़ में औरतों की गिनती बहुत कम है, चारों ओर आदमी ही आदमी नजर आ रहे हैं।
कोई सड़क के किनारे ठेला लगाए सब्जी बेच रहा है तो कोई
रिक्शे पर सवारियां लेकर जा रहा है।
अखबार वाला लोगों के घर के सामने अखबार फेंकते हुए साइकिल पर जा रहा है।
गांव में एक छोटा सा घर है, जिसमें दो कमरे हैं।
और एक छोटा सा आंगन है।
अर्चना (47) कमरों के ठीक सामने आंगन में, चारपाई पर बैठकर सब्जी काट रही है।
सिरजना (18), चारपाई के सामने बैठकर बर्तन साफ कर रही है।
अजूनी (16) अर्चना के बगल में बैठी अपने बाल सवार रही है।
तभी सामने वाले कमरे से श्रुति आती है।
और वो आकर चारपाई के सामने ईट रखकर बैठ जाती है। श्रुति
मां, वैभव कहां है?
अर्चना
(सब्जी काटते हुए)
वैभव तो कब का स्कूल चला गया।
श्रुति
स्कूल भी गया! सच, स्कूल से याद आया, आज मैंने भी स्कूल जाना है। अपना +2 का सर्टिफिकेट लेने।
अर्चना (ओ.सी)
बहुत जल्दी बता रही हो, हां? अभी क्या जरूरत है, शाम को बताना।
श्रुति
तो क्या हुआ मम्मी, अब कौन सा पहाड़ टूट पड़ा है।
अर्चना
पहाड़ ही टूट पड़ा है, क्योंकि तू आज सर्टिफिकेट लेने नहीं जा सकती। अगर पांच मिनट पहले बताती तो शायद कोई हल निकल पाता।
श्रुति (ओ.सी)
क्या! लेकिन क्यों?..... पांच मिनट पहले ऐसा क्या था जो अब नहीं है।
अर्चना
पांच मिनट पहले तुम्हारे पापा घर पर थे लेकिन अब वो काम पे चले गए हैं। और उनसे पूछे बिना तुम कहीं नहीं जा सकती।
श्रुति
सर्टिफिकेट लेने भी नहीं।
अर्चना
नहीं। तुम्हारे पापा की परमिशन के बिना कहीं भी नहीं।
श्रुति
और आपकी परमिशन का क्या? आप नहीं दे सकती मुझे परमिशन?
अर्चना
जब तुझे पता है कि घर में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे पापा की चलती है तो क्यों बहस कर रही है तू।
सिरजना
(बर्तन साफ करते हुए)
श्रुति, मैं तो कहती हूं रहने दो सर्टिफिकेट को। वैसे भी क्या करोगी तुम सर्टिफिकेट का?
अजूनी
सिरजना बिलकुल ठीक कह रही है। नहीं तो मैं ट्रंक में संभाल कर रखने वाले सर्टिफिकेट्स की गिनती में एक सर्टिफिकेट और जुड़ जाएगा।
सिरजना
श्रुति, तू तो शुक्र मना कि तेरी सिलेक्शन बोर्डिंग स्कूल में हो गई और तूने वहां से +2 कर ली। वरना हमसे पूछो जो दसवीं पास करने के बाद बैग घर पे रखकर बैठे हैं।
अजूनी
हां…. और अब तुम्हारे साथ भी ऐसा ही होगा।
अर्चना
चलो अब तुम दोनों इसके कान भरना बंद करो और अपना-अपना काम करो।
अर्चना
(कंटीन्यू)
श्रुति, तू जाकर तैयार हो जा। तुझे सर्टिफिकेट लेने भी जाना है। पहले तू सर्टिफिकेट तो लेकर आ, आगे का बाद में सोचेंगे। लेकिन तू जाएगी किसके साथ?
श्रुति
मम्मी, आप उसकी टेंशन मत लो। मुझे बस का पता है, मैं अकेली चली जाऊंगी।
अर्चना
ठीक है।
श्रुति
ठीक है। मैं तैयार होकर आती हूं।
(डिसॉल्व टू)
1A. इंटीरियर / एक्सटीरियर. श्रुति का लिविंग रूम. मॉर्निंग. लेटर
श्रुति अपने कमरे में अपना दुपट्टा सेट कर रही है।
उसने सिम्पल सा सलवार सूट पहना हुआ है।
अपने दुपट्टा सेट करने के बाद वो कमरे से बाहर आती है।
अर्चना कमरे के ठीक सामने मिट्टी का पोंछा लगा रही है।
श्रुति
ठीक है मां, मैं चलती हूं।
अर्चना
ठीक है, ध्यान से जाना।
श्रुति मेन गेट से घर के बाहर जा रही है। उसके हाथ में एक छोटा सा बैग है।
कट टू
2. इंटीरियर. बस. मॉर्निंग. लेटर
श्रुति बस में बैठी है और वो सोच रही है।
श्रुति (वी. ओ)
मम्मी ने तो कह दिया कि आगे देख लेंगे, लेकिन घर के हालातों को देखकर मुझे लग रहा है, मैं सिरजना और अजूनी की हेल्प करने की बजाए खुद घर में कैद होकर रह जाऊंगी।
स्टॉक शॉट
3. इंटीरियर स्कूल हाल. आफ्टरनून. सम टाइम लेटर
स्टूडेंट्स का एक ग्रुप बैठा हुआ है।
इन स्टूडेंट्स ने अभी- अभी बारवी कक्षा पास की है, और ये अपने सर्टिफिकेट लेने के लिए आए हैं।
सभी स्टूडेंट्स बहुत खुश नजर आ रहे हैं। और आपस में बातें कर रहे हैं।
श्रुति को छोड़कर।
श्रुति डेस्क पर चुपचाप बैठी हुई है।
तभी एक टीचर (45) हाल में एंटर करता है।
जिसके नज़र वाली ऐनक लगी हुई है, और हाथ में एक डायरी है।
टीचर #1
(अपनी डायरी टेबल पर रखते हुए)
हेलो स्टूडेंट्स, कैसे हो आप सब?
स्टूडेंट्स (ओ. सी)
हम ठीक हैं। सर, आप कैसे हो?
टीचर #1
(खुश होकर)
मैं भी ठीक हूं। और मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि इस बार 12th के सभी स्टूडेंट्स अच्छे नंबरों से पास हुए हैं। आप लोगों ने जो 7 साल अपनी फैमिली से दूर रहकर मेहनत की थी, वो आज रंग लाई है। (भावुक होकर) लेकिन इन सात सालों में आप लोगों के साथ एक अलग सी अटैचमेंट हो गई है। आप लोगों से दूर होकर मुझे बहुत दुख होगा, (गहरी सांस लेते हुए) खैर कोई बात नहीं, मिलना बिछड़ना तो जिंदगी में लगा ही रहता है। लेकिन कहते हैं न कि हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और इसीलिए मैं कह रहा हूं कि हम दुबारा जरूर मिलेंगे। और यह उम्मीद भी करता हूं कि मैं जब भी आप लोगों से मिलूंगा तो आप लोग किसी अच्छी पोस्ट पर काम कर रहे होंगे। पोस्ट से याद आया, आप सभी ने अपनी-अपनी ऐम तो डिसाइड कर ही ली होगी?
स्टूडेंट्स
जी सर
टीचर (ओ. सी)
तो ठीक है। आज लास्ट टाइम आप लोग एक-एक करके मुझे अपनी ऐम बताओ। भाई, मैं भी तो देखूं मेरे स्टूडेंट्स आगे चलकर क्या बनने वाले हैं।
स्टूडेंट्स एक-एक करके खड़े होकर अपनी-अपनी ऐम बताते हैं।
राहुल
सर, मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं।
टीचर
वैरी गुड राहुल।
अनन्या
सर, मैं टीचर बनूंगी।
सार्थक
सर, मैं साइंटिस्ट बनना चाहता हूं।
इसके बाद श्रुति (20) की टर्न आती है, जो चुपचाप बैठी हुई है, उसने सिम्पल सा सलवार कमीज पहना हुआ है।
टीचर
(श्रुति की ओर हाथ करके)
बेटा श्रुति, तुम्हारा क्या ऐम है?
श्रुति
(दुखी होकर)
सर, मेरा कोई ऐम नहीं है।
टीचर
(हैरान होकर)
क्या? तुमने अभी तक ऐम डिसाइड नहीं किया, ये तो बहुत बुरी बात है। मेरे कहने का मतलब है कि तुमने 12th क्लियर कर ली है और क्या बनना है इसका कुछ अता-पता नहीं। तुम तो हमारी क्लास की ब्रिलियंट स्टूडेंट हो और सभी कामों में आगे रहती हो, फिर ऐम डिसाइड करने के मामले में तुम पीछे कैसे रह गई?
श्रुति
सर, मैंने ऐम तो डिसाइड किया था, लेकिन अब उसका मेरे लिए कोई मतलब नहीं है। क्योंकि मैं अब आगे की स्टडी कंटीन्यू नहीं कर पाऊंगी।
टीचर
लेकिन क्यों श्रुति, तुमने तो 90% से 2nd पोजीशन हासिल की है। फिर तुम आगे की स्टडी कंटिन्यू क्यों नहीं कर रही?
श्रुति
(दुखी मन से)
सर, मेरे घर के हालातों के आगे मेरे नंबर कुछ नहीं कर सकते। और मैं ये अच्छी तरह से जानती हूं कि मेरे घर वाले मेरी स्टडी का खर्चा नहीं उठा सकते।
टीचर
इसमें कौन सी बड़ी बात है। तुम अपनी स्टडी का खर्चा खुद उठाओ। इतनी प्राइवेट कंपनियां हैं। उनमें से किसी एक में काम करो और अपनी स्टडी ऑनलाइन जारी रखो। और एक बात हमेशा याद रखना कि जब हम एक बार रास्ते पर चल पड़ते हैं तो मंजिल अपने आप मिल जाती है।
श्रुति
सर, ये इतना ईजी नहीं है। इसके लिए फ्रीडम का होना भी जरूरी है। और आपको तो पता ही है कि लड़कियों को कितनी कम फ्रीडम दी जाती है। मेरे घर वाले तो मुझे घर से बाहर निकलने की परमिशन तक नहीं देते। तो वो मुझे प्राइवेट कंपनी में काम कैसे करने देंगे?
टीचर
(समझाते हुए)
तो तुम्हें अपने पैरेंट्स की सोच बदलनी होगी।
श्रुति (वी.ओ)
वो तो समाज को देखकर चलते हैं, मैं पूरे समाज की सोच कैसे बदलूं।
श्रुति (कंटीन्यू)
सर, मैंने बहुत बार कोशिश की है, लेकिन उनका हर बार एक ही जवाब होता है कि बाहर का माहौल अच्छा नहीं है।
टीचर
(हौंसला देते हुए)
फिर तुम बागवान पर भरोसा रखो, वही कोई हल निकालेगा।
कट टू
2A. इंटीरियर/एक्सटीरियर. बस. आफ्टरनून- समटाइम लेटर
रोड का सीन
रोड पर बस जा रही है, जिसमें श्रुति भी बैठी है।
श्रुति बस से घर वापस आ रही है।
वो बस में गुमसुम सी होकर बैठी हुई है।
श्रुति बस की खिड़की से झांक रही है और सोच रही है।
श्रुति (वी.ओ)
(सोचते हुए)
ना जाने बाहर का माहौल कब ठीक होगा और कब लड़कियों को आजादी मिलेगी।
तभी बस ड्राइवर (48), श्रुति से टिकट की ओर इशारा करते हुए कहता है।
बस ड्राइवर
बेटा, अपनी टिकट कटवा लो।
ड्राइवर श्रुति से दो-तीन बार टिकट कटवाने के लिए कहता है। लेकिन श्रुति को पता नहीं चलता, वो कहीं खोई हुई है।
बस ड्राइवर (कंटीन्यू)
(श्रुति को हाथ लगाकर कहता है)
क्या हुआ बेटा, तुम्हें कोई टेंशन है? मैं तुम्हें कब से टिकट कटवाने के लिए कह रहा हूं।
श्रुति
नहीं अंकल जी, ऐसी कोई बात नहीं है, वो मुझे बस के शोर में सुनाई नहीं दिया।
बस ड्राइवर
कोई बात नहीं बेटा।
श्रुति बस ड्राइवर से अपनी टिकट कटवाती है।
थोड़ी देर में श्रुति अपने गांव के अड्डे पर पहुंच जाती है।
कट टू
1B. इंटीरियर. श्रुति का घर. आंगन. इवनिंग- लेटर
श्रुति अपने घर में पहुंचती है।
उसकी मां अर्चना (47), एक छोटे से चूल्हे-चौंके पर बैठकर खाना बना रही है।
अपनी मम्मी को अकेले देख श्रुति उससे अपनी पढ़ाई के बारे में बात करने जाती है।
श्रुति अपनी मां के पास बैठकर।
श्रुति
मम्मी, देखो मुझे मेरा सर्टिफिकेट मिल गया है, मेरे नंबर भी अच्छे आए हैं। सर कह रहे थे कि मुझे आगे पढ़ना चाहिए।
अर्चना
(रोटी सेंकते हुए)
देखो श्रुति, तुम एक बार मास्टर की बातों से ध्यान हटा के अपने घर की हालत के बारे में सोचो। हमारे घर में कभी-कभी रोटी पकाने को आता तक नहीं होता। ऐसे में हम तुम्हारा बस का किराया कैसे उठाएंगे। और नंबर तो तुम्हारी दोनों छोटी बहनों के भी अच्छे आए थे, वो भी तो 10th के बाद घर पर ही हैं। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारा बोर्डिंग स्कूल का पेपर क्लियर हो गया और तुमने हॉस्टल में रहकर फ्री में 12th कर ली। लड़कियों का रोज़ रोज़ बस से सफर करना अच्छा नहीं लगता, आज न जाने हमने तुम्हें अकेले सर्टिफिकेट लेने कैसे भेज दिया।
श्रुति
(अपनी मम्मी को समझाते हुए)
मम्मी, ऐसा भी तो हो सकता है कि मैं किसी प्राइवेट कंपनी में कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूं, जिससे मैं फोन ले सकती हूं और अपनी स्टडी को ऑनलाइन जारी रख सकती हूं। ऐसा करने से मैं अपनी स्टडी का खर्च भी निकाल लूंगी और अजूनी और सिरजना की स्टडी का खर्च भी उठा लूंगी।
अर्चना
नहीं, ऐसा तो सोचना भी मत क्योंकि तुम्हारे पापा तुम्हें कभी भी घर से बाहर जाकर काम करने की इजाजत नहीं देंगे। तुम्हें तो पता ही है कि आजकल का जमाना खराब है। ऐसे में लड़कियों का घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है। और फिर ऐसे पढ़ाई-लिखाई का क्या फायदा जिसके चलते तुम्हें इतनी समझ भी नहीं है कि घर के हालात अच्छे नहीं हैं।
इसके बाद श्रुति दुखी मन से अपने कमरे में चली जाती है।
जंप कट
1C. इंटीरियर- श्रुति का घर- रूम- इवनिंग - लेटर
श्रुति अपने कमरे में बेड पर बैठी हुई है।
वो कभी बेड से उठकर इधर-उधर टहलने लगती है। कभी फिर बेड पर बैठ जाती है।
और अपने आप से बातें करते हुए कह रही है।
श्रुति
ना जाने कब तक लोग समाज और बाहर के माहौल के डर से अपनी लड़कियों को घर पर कैद करके रखेंगे और ना जाने कब तक बिचारी लड़कियां मेरी तरह अपने सपने इसी वजह से पूरे नहीं कर पाएंगी कि उन्हें घर से बाहर निकलने की परमिशन नहीं है। लेकिन क्या करूं, मम्मी-पापा की मर्जी के अपोजिट भी तो नहीं जा सकती।
जंप कट ओवर
1D. इंटीरियर - श्रुति का घर - रूम - इवनिंग - लेटर
इतने में श्रुति के लैंडलाइन फोन की रिंग बजती है, जो उसके बेड के सामने एक टेबल पर रखा हुआ है। श्रुति टेबल पर पड़ा फोन उठाती है और वहीं खड़े होकर बात करने लगती है।
श्रुति फोन उठाकर।
श्रुति
हैलो, कौन?
आस्था (वी.ओ)
हैलो, श्रुति, मैं आस्था बोल रही हूं।
श्रुति (कंटीन्यू)
आस्था! कैसी है तू?
आस्था (वी. ओ)
मैं ठीक हूं, तू अपना बता।
श्रुति (कंटीन्यू)
मैं भी ठीक हूं। मुझे पता चला है कि तूने कॉलेज में एडमिशन ले ली।
आस्था (वी. ओ)
हां, क्यों, तूने अभी तक एडमिशन नहीं ली?
श्रुति (कंटीन्यू)
नहीं और लेनी भी नहीं है।
आस्था (वी. ओ)
क्यों, एडमिशन क्यों नहीं लेनी?
श्रुति (कंटीन्यू)
तुझे बताया तो था। फिर भी पूछ रही है।
आस्था (वी. ओ)
हां, याद आया। लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि तेरे पैरेंट्स ने तुझे अकेले बोर्डिंग स्कूल में कैसे भेज दिया।
श्रुति (कंटीन्यू)
वो इसलिए क्योंकि बोर्डिंग स्कूल में बस से ट्रैवल करने का झंझट नहीं था, वहां हमें कहीं आने-जाने की जरूरत नहीं थी, बस स्कूल से हॉस्टल और हॉस्टल से स्कूल। लेकिन अब मुझे हर दिन बस का किराया चाहिए होगा।
आस्था (वी. ओ)
हां, वो तो है। तू ऐसा कर, अपनी स्टडी का खर्चा निकालने के लिए कोई काम कर ले।
श्रुति(कंटीन्यू)
ये पॉसिबल नहीं है क्योंकि हमारे गांव में लड़कियों को घर से बाहर काम करने की परमिशन नहीं है।
आस्था (वी. ओ)
इस मामले में मैं लकी हूं कि मैं शहर में रहती हूं। पता है, शहर में लड़कियों को लड़कों के बराबर समझा जाता है। और उनके काम करने के ऊपर कोई रोक-टोक भी नहीं लगाई जाती।
श्रुति (कंटीन्यू)
काश मैं भी तुम्हारी तरह लकी होती।
तभी बाहर से अर्चना की आवाज आती है।
अर्चना (ओ. सी)
श्रुति, बाहर आकर खाना खा लो।
श्रुति(कंटीन्यू)
ठीक है, आस्था, मैं फोन रखती हूं। मम्मी बुला रही हैं।
आस्था (वी. ओ)
ठीक है, ओके बाय।
श्रुति(कंटीन्यू)
बाय।
श्रुति फोन रखकर कमरे से बाहर चली जाती है।
डिसॉल्व टू
4B.इंटीरियर - श्रुति का घर - आंगन - नाइट - लेटर
यशपाल (48) और अर्चना चूल्हे-चौके के पास नीचे बैठकर खाना खा रहे हैं।
सिरजना चूल्हे पर रोटियां सेंक रही है।
अजुनी यशपाल और अर्चना को खाना दे रही है।
वैभव आंगन में साइकिल चला रहा है।
अर्चना
वैभव, अब तुम भी आकर खाना खा लो। ये भला कोई टाइम है साइकिल चलाने का।
वैभव
हां मम्मी, बस दो मिनट, आ रहा हूं।
वैभव अपनी साइकिल को कोने में लगाने चला जाता है, थोड़ी देर में श्रुति भी खाना खाने आ जाती है। वो आकर चूल्हे के सामने बैठ जाती है और चूल्हे में लकड़ियां लगाने लगती है। वो थोड़ी परेशान लग रही है।
अर्चना (ओ. सी)
(खाना खाने के बाद हाथ धोते हुए) बस अब कोई बहस-बाजी नहीं होगी, मैंने एक बार बोल दिए ना तो मतलब ना।
4C.इंटीरियर - श्रुति का लिविंग रूम - नाइट - लेटर
वैभव, सिरजना, और अजुनी, तीनों बेड पर सो रहे हैं। क्लॉक पे रात के बारह बजे हुए हैं। श्रुति वहीं बेड पे पास में बैठकर डेयरी में कुछ लिख रही है।
श्रुति(वी. ओ)
(लिखते हुए) आज जब पापा ने मुझसे मेरे नंबर पूछे तो मेरे अंदर एक छोटी सी उम्मीद की किरण जाग उठी थी। मुझे लगा था कि मेरे पापा हमारे गांव के लोगों से अलग हैं, वो समाज की चिंता करे बगैर मुझे घर से बाहर जाने की परमिशन दे देंगे। लेकिन मैं गलत थी, बहुत जल्द ही मेरी उम्मीदों पर पानी फिर गया क्योंकि मेरे पापा भी समाज से डरते हैं। उन्हें भी डर है कि उनकी लड़कियां घर से बाहर काम करेंगी तो लोग क्या कहेंगे। इतना लिखने के बाद श्रुति अपनी डायरी अपने तकिए के नीचे रखकर सो जाती है।
4D.इंटीरियर - श्रुति का घर - आंगन - अगले दिन- मॉर्निंग
श्रुति आंगन में झाड़ू लगा रही है। सिरजना चूल्हे पे दाल बना रही है, और अजुनी सिरजना के पास बैठकर चावल छांट रही है। तभी यशपाल कमरे से बाहर आता है और काम पर जाने लगता है, तभी अर्चना कमरे से बाहर आती है। और वो यशपाल को रोक लेती है।
अर्चना
सुनो, खाना खाकर जाना।
यशपाल
नहीं, मुझे देर हो रही है, मैं बाहर से कुछ खा लूंगा।
इतना कहकर यशपाल जाने लगता है।
अर्चना
(फिर रोककर) सुनिए।
यशपाल
अब क्या हुआ?
अर्चना
(कंटीन्यू) (हिचकिचाते हुए) मुझे घर राशन के लिए कुछ पैसे चाहिए थे।
यशपाल
(चिल्लाकर) जब देखो पैसे… पैसे.. पैसे। पैसों के सिवाए तुम्हें और कोई काम ही नहीं है।
अर्चना
(सहमति में) इसमें मेरी क्या गलती है, महंगाई इतनी बढ़ गई है कि सौ दो सौ से कुछ नहीं बनता।
यशपाल
(गुस्से में) (अपनी पॉकेट से पैसे निकालकर) ये लो तीन सौ रुपया, अब दुबारा मुझसे पैसे मत मांगना।
अर्चना
(पैसे पकड़कर) जी, ठीक है।
अर्चना पैसे अपने पल्लू से बांध लेती है और यशपाल काम पर जाने लगता है। वो गेट तक जाते-जाते कुछ बड़बड़ाता है।
यशपाल
(बड़बड़ाते हुए) काम एक छोटे से कारखाने में करता हूं, और पैसे हर रोज ऐसे मांगती है जैसे मेरे ट्रक चलते हैं।
5.एक्सटीरियर - गली - आफ्टरनून
कपड़े की सेल वाला रेहड़ी पे कपड़े बेचने गली में आया है। वो आवाज़ देता है।
कपड़े वाला
(रेहड़ी चलते हुए) सेल…सेल कपड़ों की सेल। आयो बहनों, आयो बढ़िया कपड़े आ गए, सस्ते कपड़े आ गए। 300 रुपए सेल, 300 रुपए सेल।
सेल वाले की आवाज़ सुनते ही औरतें धीरे-धीरे अपने घरों से बाहर निकलती हैं और गली में रेहड़ी के चारों ओर इकट्ठा हो जाती हैं।
कट टू
6.इंटीरियर - श्रुति का घर - आंगन - सेम टाइम
अर्चना और अजुनी चारपाई पर बैठी बातें कर रही हैं।
श्रुति
मम्मी, क्या हमारी दादी भी हमारी तरह हमेशा घर में बंद रहती थीं?
अर्चना
नहीं, वो तो हम लोगों से भी ज्यादा घर में रहती थीं। तुझे पता है? तेरी दादी कभी भी घर से बाहर नहीं गई थीं, उसे तो ये भी नहीं पता था कि उसके मायके को कौन सी बस जायेगी।
श्रुति
ऐसा था क्या? फिर दादी अपने मायके कैसे जाती थीं?
अर्चना
जब तुम्हारे दादा जी का मन करता था तब।
श्रुति
और दादी के मन का क्या?
अर्चना
वो मुझे नहीं मालूम।
तभी उन्हें कपड़े वाले की आवाज सुनाई देती है।
कपड़े वाला(ओ. एस)
(रेहड़ी पर आवाज लगाते हुए) सेल…सेल कपड़ों की सेल। आयो बहनों, आयो बढ़िया कपड़े आ गए, सस्ते कपड़े आ गए। 300 रुपए सेल, 300 रुपए सेल।
अर्चना
श्रुति, चल-चलकर कपड़े देखते हैं।
श्रुति
मम्मी, आप चलो, मैं बाद में आती हूं।
अर्चना
ठीक है, अगर आना हुआ तो आ जाना।
इतना कहकर अर्चना अपने घर से बाहर चली जाती है।
शिफ्ट टू
सीन 5 कंटीन्यू
अर्चना अपने घर से बाहर आती है और बाकी औरतों के साथ कपड़े देखने लगती है। उसे एक सूट पसंद आ जाता है और वो उस सूट को उठाकर उस पर धीरे-धीरे हाथ फेरने लगती है, तभी श्रुति भी रेहड़ी के पास आकर सूट देखने लगती है।
अर्चना
(श्रुति को सूट दिखाते हुए) श्रुति, देख तो ये सूट कितना प्यारा है।
श्रुति
(अर्चना के हाथ से सूट लेकर) हां, मम्मी, सूट तो बहुत अच्छा है। अगर आपको पसंद है तो आप खरीद लो।
अर्चना, श्रुति से सूट पकड़कर वापिस रेहड़ी में रख देती है।
श्रुति (कंटीन्यू)
मम्मी, आपने सूट वापिस क्यों रख दिया?
अर्चना
क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं हैं, उस सूट को खरीदने के लिए।
श्रुति
जो पापा ने आपको सुबह तीन सौ रुपया दिया है वो?
अर्चना
हां, पर वो पैसे तुम्हारे पापा ने मुझे घर के सामान के लिए दिए हैं।
श्रुति
तो क्या हुआ, आप एक बार सूट ले लो, सामान के लिए बाद में पापा से और पैसे ले लेना।
अर्चना
नहीं…नहीं.. अगर मैंने तुम्हारे पापा से पूछे बिना पैसे कहीं और खर्च किए तो वो बोलेंगे।
श्रुति
क्या मम्मी, आप भी ऐसे ही डरती रहती हो? पापा भला क्या कहेंगे, वो आपको सूट खरीदने से थोड़ी मना करेंगे। आप एक बार सूट खरीदो तो सही।
अर्चना
तुम इतना कह रही हो तो खरीद ही लेती हूं।
अर्चना
(जो सूट वापिस रखा था, उसे हाथ लगाकर)
भाई, ये वाला सूट दे दो।
सेल वाला
जी बहन जी। ये लो अपना सूट और कुछ खरीदना है?
अर्चना अपने पल्लू से बंधे हुए पैसे निकालकर सेल वाले को देते हुए।
अर्चना
नहीं भाई, और कुछ नहीं खरीदना। (अपने पल्लू से बंधे पैसे निकालकर सेल वाले को देते हुए) ये लो, आपके पैसे।
कपड़े वाला
(दूसरी औरतों से)
बहन जी, आप सब ने कुछ नहीं खरीदना?
औरतें
(एक-एक करके)
नहीं भाई, हमने कुछ नहीं लेना।
इसके बाद कपड़े वाला आगे चला जाता है।
कपड़े वाले के जाने के बाद वहां खड़ी सभी महिलाएं आपस में बातें करने लगती हैं।
महिला #1
(अफसोस जताते हुए)
किस्मत तो देखो, हम औरतों की अपनी मर्जी से कुछ खरीद भी नहीं सकती। छोटी से छोटी चीज़ खरीदने के लिए भी अपने पति से पूछना पड़ता है। अगर कहीं आना-जाना हो तो पति की इजाजत लेनी पड़ती है।
महिला #2
(सहमति जताते हुए)
बहन, तुम बिलकुल सही कह रही हो, बस एक सांस ही है जो हम पति की इजाजत के बिना ले सकती हैं। आज ही पे ले लो, आज मेरे पास पैसे भी थे लेकिन फिर भी मेरी इतनी हिम्मत नहीं हुई कि अपनी बच्ची के लिए एक सूट ही खरीद लूं। क्योंकि वो मेरे पैसे नहीं हैं, ना मेरे पति के हैं और उनको खर्च करने से पहले मुझे पूछना पड़ेगा।
महिला #3
(निराशा में)
कितने दिन हो गए, मैं अपने पति से कह रही हूं, मुझे मायके जाना है लेकिन वो मुझे परमिशन ही नहीं दे रहे। अगर गलती से परमिशन दे भी दी तो एक या दो दिन वहां रहने देंगे।
महिलाओं की बातें सुनकर श्रुति उनसे कहती है।
श्रुति
आंटी, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप लोग लिमिट से ज्यादा सहन करती हो। सहनशीलता औरत की ताकत होती है, लेकिन आप लोग इसे अपनी कमजोरी बना लेती हैं।
महिला #2
बेटा, तुम्हारी अभी शादी नहीं हुई है इसलिए तुम ऐसी बातें कर रही हो, जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तब बात करेंगे।
कैमरा फोकस्ड ऑन अर्चना
महिला #2(ओ .सी)
क्यों अर्चना बहन, मैं सही कह रही हूं न?
महिला #4
और नहीं तो क्या? सहन न करें तो और क्या करें? लड़ाई झगड़ा करके अपने मां-बाप के पास जाकर बैठ जाएं।
महिला #1
सही कहा, मैं तो अपने मायके भी नहीं जा सकती, वो बिचारे अपना खर्च बड़ी मुश्किल से चलाते हैं।
श्रुति
मैंने कब कहा आप लोग अपने मायके जाकर बैठ जाओ। मैं तो कहना चाहती हूं कि आप लोग घर के काम के साथ-साथ कोई छोटा-मोटा काम करो ताकि आपको छोटी-छोटी जरूरतों के लिए किसी की मोहताज न होना पड़े।
अर्चना
श्रुति, तुम चुप करो। अपना पागलपन यहां मत दिखाओ। भला इन्हें काम करने के लिए घर से बाहर कौन जाने देगा हां?
महिला #3
(विनम्रता से)
कोई बात नहीं अर्चना बहन, ये अभी बच्ची है, इसे क्या पता दुनियादारी का।
तभी श्रुति के पास वाले घर से कुछ आवाजें आती हैं।
सुनीता (ओ. सी)
(रोते हुए)
मैंने तुमसे कितनी बार कहा है थोड़ी कम पिया करो। मैंने तुमसे कितनी बार कहा है थोड़ी कम पिया करो।
सुनीता का हसबैंड (ओ. सी)
(लड़खड़ाती आवाज में)
क्यों? कम क्यों पियूं, मैं क्या तुम्हारे बाप के पैसों की पीता हूं? या तुम मुझे लाकर देती हो?
महिला #5
अर्चना, ये तो तुम्हारी पड़ोसन सुनीता की आवाज़ है ना?
अर्चना
हां वही है। क्या करे बिचारी, पति शराब पीकर लेटा रहता है, लड़ झगड़कर टाइम पास कर लेती है।
महिला #5
क्या करें अर्चना बहन, घर-घर यही हाल है।
कट टू
7. इंटीरियर- श्रुति का घर- रूम - इवनिंग
श्रुति, वैभव, सिरजना और अजुनी अपने कमरे में बैठकर टीवी देख रहे हैं।
7A. इंटीरियर - श्रुति का घर - आंगन - सेम टाइम
यशपाल चूल्हे चौंके पर बैठकर खाना खा रहा है।
अर्चना तवे पे रोटियां गर्म कर रही है।
यशपाल
बच्चे कहां हैं?
अर्चना
अपने कमरे में बैठकर टीवी देख रहे हैं।
यशपाल
अच्छा।
यशपाल (कंटिन्यू)
और घर के लिए जो राशन चाहिए था, ले लिए?
अर्चना
नहीं लिया।
यशपाल
क्यों? मैंने सुबह ही पैसे दिए थे न?
शिफ्ट टू सीन 7 कंटीन्यू
श्रुति (वी. ओ)
(टीवी देखते हुए)
नींद भी आ रही है और प्यास भी लगी है। एक काम करती हूं, पहले पानी पीकर आती हूं, फिर आकर सो जाती हूं।
श्रुति अपने कमरे से बाहर पानी पीने चली जाती हैं।
शिफ्ट टू सीन 7A कंटीन्यू
श्रुति अपने कमरे के बिलकुल सामने पड़े मटके से पानी भरने आती है,
जो कि चूल्हे-चौंके के पास में ही है।
तभी अर्चना यशपाल से,
अर्चना यशपाल के क्वेश्चन का जवाब देते हुए।
अर्चना
(गबराते हुए)
हां.. दिए थे लेकिन मैंने उन पैसों से अपने लिए सूट खरीद लिया।
यशपाल
(हैरान होकर)
क्या! तुमने उन पैसों से सूट खरीद लिया? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे बिना पूछे पैसे कहीं और खर्च करने की? उस दिन भी तुमने मुझसे बिना पूछे श्रुति को सर्टिफिकेट लेने भेज दिया।
अर्चना
(कांपते हुए)
उस वक्त श्रुति का जाना जरूरी था इसलिए मैंने उसे जाने की परमिशन दे दी।
यशपाल
(खाने की थाली फेंक कर)
पहले तो तुम होती कौन हो श्रुति को परमिशन देने वाली। इस घर का मुखिया मैं हूं और मेरी मर्जी के बगैर इस घर का एक पत्ता भी नहीं हिलना चाहिए, समझी तुम।
अर्चना
(खाने की प्लेट की ओर देखते हुए)
जी, मैं आगे से ध्यान रखूंगी।
यशपाल
(अपनी जगह से खड़ा होकर)
एक बात और कान में डाल लो, आगे से मुझसे पूछे बगैर मेरे पैसे कहीं और खर्च मत करना।
अर्चना
(सहमति में)
जी।
श्रुति पानी भरते समय यशपाल और अर्चना की सारी बातें सुन रही है।
लेकिन उन दोनों को श्रुति के आने का पता नहीं चलता।
श्रुति पानी का गिलास भरकर बिना कुछ कहे अपने कमरे में चली जाती है।
श्रुति के जाने के बाद यशपाल भी गुस्से में वहां से जाने लगता है।
अर्चना
(यशपाल की ओर हाथ करके उसे रोकते हुए)
खाना तो खाते जाइए, खाने ने तो आपको कुछ नहीं कहा।
यशपाल
(जाते-जाते)
बस बहुत खिला दिया खाना तुमने।
शिफ्ट टू
सीन 7 कंटीन्यू
श्रुति अपने कमरे में आती है, वो बहुत दुखी लग रही है।
वैभव, सिरजना और अजुनी अभी भी टीवी देख रहे हैं।
श्रुति अपने तकिए के नीचे से डायरी उठाती है।
और अपने कमरे की खिड़की के पास जाकर कुर्सी पर बैठ जाती है।
वो डायरी में लिखने के लिए अपनी डायरी में से पैन निकालती है,
और लिखने लगती है।
श्रुति(वी. ओ)
(भावुक होकर)
एक पल के लिए मैंने मान लिया था कि बाहर का माहौल खराब है, और लड़कियों का घर से बाहर रहना सेफ नहीं है। लेकिन आज जो कुछ मैंने देखा और सुना उसके बाद मेरे मन में एक ही सवाल आता है।
सिरजना(ओ. सी)
(टीवी को बंद करके)
वैभव, अजुनी अब बहुत हो गया, चलो अब सो जाते हैं।
अजुनी
(श्रुति की ओर देखते हुए)
श्रुति, तुम्हें नींद नहीं आ रही?
श्रुति
(अजुनी की ओर मुड़कर देखते हुए)
(ना में सिर हिलाते हुए) नहीं, तुम सो जाओ, मैं थोड़ी देर बाद आती हूं।
अजुनी
(बेड पर लेटते हुए)
ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
इसके बाद वो तीनों बेड पर लेट जाते हैं और बेड पर लेटते ही उन्हें नींद आ जाती है।
श्रुति (वी. ओ)
(लिखते हुए)
और वो है कि अगर बाहर का माहौल सेफ नहीं है तो घर के अंदर का माहौल सेफ कहां हुआ? क्योंकि घर के अंदर भी औरतें उतनी ही लाचार, असहाय और कमज़ोर महसूस करती हैं जितना कि घर से बाहर। उनको हर काम के लिए अपने पति की परमिशन लेनी पड़ती है। वो एक बेगुनाह कैदी की तरह कैद होकर रह जाती हैं।
इतना लिखने के बाद श्रुति की आंखों में नींद आने लगती है और उसके हाथ से पैन डायरी पर गिर जाता है। श्रुति डायरी को बंद करती है और डायरी को जाकर अपने तकिए के नीचे रखकर सो जाती है।
कट टू
8. इंटीरियर - श्रुति का घर - अर्चना का रूम - मॉर्निंग
यशपाल बेड पर बैठकर जूते पहन रहा है।
अर्चना
मैं क्या कह रही थी कि हम श्रुति के लिए बिस्तर वगैरह बनाने अभी से शुरू कर दें।
यशपाल
(अपनी जेब से पैसे निकालकर)
ये लो पैसे और बाजार जाकर जो सामान चाहिए ले आना। और हां, कल की तरह मत करना।
अर्चना
नहीं, मैं श्रुति के लिए ही सामान खरीदूंगी।
अर्चना
(हिचकिचाते हुए)
मैं सोच रही थी कि श्रुति को साथ ले जाऊं ताकि वह अपनी पसंद का सामान खरीद ले।
यशपाल
ठीक है, ठीक है।
8A. इंटीरियर - श्रुति का घर - आफ्टरनून - अगले दिन
श्रुति अपने घर के आंगन में चारपाई पर बैठकर अपनी कमीज सुई से सी रही है।
तभी उनकी पड़ोसन शर्मिला (45) आती है।
शर्मिला
श्रुति, तुम्हारी मम्मी कहां है?
श्रुति
आंटी, मम्मी अंदर हैं। आप बैठिए, मैं मम्मी को बुलाती हूं।
शर्मिला
(चारपाई पर बैठते हुए)
घर के काम ही खत्म नहीं होते। आज फ्री हुई थी, सोचा अर्चना के पास हो आऊं।
श्रुति
(अर्चना के कमरे की ओर देखकर)
मम्मी, बाहर शर्मिला आंटी आई हैं।
अर्चना अपने कमरे से बाहर आती है और वह भी आकर चारपाई पर बैठ जाती है।
अर्चना
कैसी हो शर्मिला, आज बड़े दिनों बाद आई हो।
शर्मिला
मैं तो ठीक हूं, तुम अपनी बताओ।
अर्चना
मैं भी ठीक हूं।
शर्मिला
मैंने सुना है कल शाम सुनीता के पति ने उसे घर से बाहर निकाल दिया।
अर्चना
अच्छा! लेकिन मुझे तो इसके बारे में कुछ नहीं पता, मैं तो अब तुम्हारे मुँह से सुन रही हूं। हां, इतना जरूर पता है कि कल दोपहर को दोनों के बीच बहस हो रही थी, वह भी इसलिए पता है क्योंकि उस समय मैं सेल वाले से कपड़े देख रही थी।
शर्मिला
(चिंता जताते हुए)
मैं तो ये सोच रही हूं कि बिचारी सुनीता जाएगी कहां?
अर्चना
हां, ये बात तो मैं भी सोच रही हूं। उसके तो मां-बाप भी नहीं हैं।
शर्मिला
हां, और भाई वैसे ही कोई काम-धंधा नहीं करता।
अर्चना
सुनीता के पिता तो बहुत कम करते थे, तभी तो उन्होंने उसे दहेज में हर छोटा-मोटा सामान दिया था।
शर्मिला
हां, एक दिन सुनीता बता रही थी कि वह भी शहर की लड़कियों की तरह नौकरी करना चाहती थी, लेकिन उसके पिता ने साफ मना कर दिया और कहा कि जब मैं कमा रहा हूं, तो तुम्हें काम करने की क्या जरूरत है।
श्रुति अर्चना और शर्मिला की बातों सुनकर अपने कमरे में चली जाती है।
शिफ्ट टू
8B. श्रुति का घर - कमरा - सेम टाइम
श्रुति अपने कमरे में बैठकर डायरी लिख रही है।
श्रुति (वी. ओ)
(लिखते हुए)
आज सुनीता आंटी के बारे में सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा। अगर अपने मन की सुनूं तो मुझे लगता है कि सुनीता आंटी की हालत के जिम्मेदार उनके पिता हैं। अगर वे किसी वक्त सुनीता आंटी की बात मानकर उन्हें नौकरी करने देते, तो आज वे अपने पैरों पर खड़े होने के काबिल होतीं और किसी पर निर्भर न होतीं।
सीन 8A.कंटिन्यू
अर्चना
अब तो भगवान ही जाने क्या होगा सुनीता का।
शर्मिला
चलो जैसी ऊपर वाले की मर्जी।
शर्मिला (कंटीन्यू)
(चारपाई से खड़ी होकर)
अच्छा अर्चना बहन, अब मैं चलती हूं, बेचारे पशु भूखे होंगे।
अर्चना
ठीक है, शर्मिला, आती-जाती रहना।
इतना कहकर शर्मिला घर से बाहर चली जाती है।
अर्चना जो अभी भी चारपाई पर बैठी हुई है,
श्रुति को आवाज लगाकर।
अर्चना
श्रुति, श्रुति.. यरा सुनना तो।
शिफ्ट टू
सीन 8A.कंटीन्यू
श्रुति
(अपनी डायरी बंद करके )
हां मम्मी आ रही हूं।
सीन 8B कंटीन्यू
श्रुति
(अर्चना के पास आकर)
हां मम्मी, आपने बुलाया था।
अर्चना
हां, मैं कह रही थी कि आज शाम तुम मेरे साथ बाजार चलना, घर के लिए कुछ राशन लाना है।
श्रुति
ठीक है, लेकिन पापा कुछ कहेंगे तो नहीं?
अर्चना
नहीं, मैंने तुम्हारे पापा से सुबह ही पूछ लिया था।
श्रुति
ठीक है।
तभी सिरजना कमरे से बाहर आती है।
सिरजना
(अर्चना और श्रुति के पास आकर)
मम्मी, मैंने भी आप दोनों के साथ बाजार जाना है।
अर्चना
तुम घर पर रहो, अगर तुम भी जाओगी तो अजूनी घर पे अकेली रह जाएगी।
सिरजना
(लंबी सांस लेते हुए)
ठीक है, नहीं जाती।
डिस्सोल्व टू
9. एक्सटीरियर - मार्केट - इवनिंग
बाज़ार का सीन
श्रुति और अर्चना बाजार में जा रही हैं। तभी एक छोटी सी किरियाने की दुकान आती है। श्रुति उस दुकान के सामने खड़ी जाती है, लेकिन अर्चना थोड़ी आगे चली जाती है।
श्रुति
(दुकान की ओर देखकर)
मम्मी, आगे कहां जा रही हो? ये रही किरियाने की दुकान, जो सामान लेना है, यहीं से ले लेते हैं।
अर्चना
(पीछे मुड़कर)
मुझे पता है, लेकिन हम यहां घर के लिए सामान लेने नहीं, तुम्हारे लिए बिस्तर और बरतन वगैरा लेने आए हैं।
श्रुति
(हैरान होकर)
क्या! लेकिन आप तो कह रही थीं-------
अर्चना
(श्रुति के पास आकर)
अब बातें करना बंद करो और मेरे साथ चलो। आगे एक कपड़ों की दुकान है, पहले हम वहां से बिस्तर और चादर वगैरा देखते हैं, फिर बरतनों की दुकान पर चलेंगे।
श्रुति, अर्चना की बात मानकर उसके साथ चलने लगती है।
श्रुति
(चलते चलते)
मम्मी, आपके पास पैसे कहां से आए?
अर्चना
तुम्हारे पापा ने दिए हैं।
श्रुति
और पापा के पास पैसे कहां से आए?
अर्चना
उन्होंने लोन लिया है।
श्रुति
लेकिन--------
अर्चना
(बीच में टोकते हुए)
अब तू वकीलों की तरह सवाल-जवाब करना बंद कर।
तभी कपड़े की छोटी सी दुकान आ जाती है।
अर्चना (कंटीन्यू)
ये लो, बातें करते-करते दुकान भी आ गई।
कट टू
10. एक्सटीरियर - फ्रंट ऑफ क्लॉथ शॉप - सेम टाइम
अर्चना और श्रुति दुकान में जाने लगती हैं। तभी गुंजन दुकान से बाहर आती है, उसके हाथ में कुछ बैग हैं। अर्चना उसे देखकर खुश हो जाती है। गुंजन भी उसे देखकर खुश हो जाती है। अर्चना और गुंजन दोनों आपस में बातें करने लगती हैं।
और श्रुति उनकी बातों से बोर होती रहती है।
गुंजन
(अर्चना के पास आकर उसे गले लगाते हुए)
और कैसी हो अर्चना, बड़े दिनों बाद मिली हो।
अर्चना
मैं तो ठीक हूं, तुम अपना बताओ।
गुंजन
(हंसते हुए)
बस जैसी हूं, तुम्हारे सामने हूं।
अर्चना
तुम यहाँ कैसे?
गुंजन
(अर्चना के कंधे से हाथ हटा कर)
मुझे लड़के के बारे में सब कुछ पता है, ऐसे ही थोड़ी बात चलाने को बोल रही हूं। श्रुति जितनी बेटी तुम्हारी है, उतनी मेरी भी है। आखिर तू मेरी पक्की सहेली है और फिर तुझे मुझ पर विश्वास नहीं है?
अर्चना
नहीं गुंजन, ऐसी बात नहीं है, मुझे खुद से ज़्यादा तुझ पर विश्वास है। वैसे ये तो बताओ कि आखिर लड़का करता क्या है? वो पढ़ा-लिखा तो है न?
गुंजन
हां, पढ़ा-लिखा है और प्राइवेट बैंक में क्लर्क की नौकरी करता है। महीने के पूरे दस हजार कमाता है। दस हजार।
अर्चना
फिर तो हमारी श्रुति वहां बहुत खुश रहेगी।
गुंजन
खुश रहेगी तभी तो रिश्ता करने के लिए बोल रही हूं। बताओ कब मिलवाऊं लड़के वालों को।
अर्चना
मैं, तुम्हें (श्रुति की ओर देखकर) इसके पिता से राय करके बताऊंगी।
गुंजन
ठीक है, जब सलाह बन गई तब मुझे फोन करके बता देना।
अर्चना
हां, हां ज़रूर।
गुंजन
तो ठीक है, मैं चलती हूं, पहले ही देर हो गई है। इतना कहकर गुंजन वहां से चली जाती है।
श्रुति
मम्मी, दुकान के अंदर जाना है या यही खड़े रहना है?
अर्चना
हां चल।
इसके बाद श्रुति और अर्चना दुकान के अंदर जाती हैं।
और वहां से मोलभाव करके अर्चना, श्रुति के लिए कुछ कपड़े, बिस्तर आदि खरीदती है।
अर्चना
श्रुति, हम एक काम करते हैं, आज सिर्फ कपड़े खरीद लेते हैं, बर्तन फिर कभी खरीद लेंगे। वैसे भी हमें पहले ही बहुत देर हो चुकी है।
श्रुति
(हां में सिर हिलाते हुए)
ठीक है।
कट टू
11. इंटीरियर - श्रुति का घर - अर्चना का कमरा - नाइट
यशपाल बेड पर बैठा नोटबुक पर कुछ लिख रहा है।
अर्चना बेड पर पड़े कपड़े समेट रही है।
अर्चना
(कपड़े समेटते हुए यशपाल की ओर देखकर)
सुनिए।
यशपाल
(लिखते हुए) हां बोलो।
अर्चना
आज मुझे बाजार में मेरी सहेली गुंजन मिली थी।
यशपाल
तो उसमें मैं क्या करूं?
अर्चना
(यशपाल के पास आकर बैठते हुए)
पूरी बात तो सुनिए।
यशपाल
(नोटबुक को साइड में रखकर)
(अर्चना की ओर मुड़ते हुए) हां बोलो, क्या है।
अर्चना
(खुश होकर)
गुंजन कह रही थी कि उसकी नज़र में हमारी श्रुति के लिए एक लड़का है। लड़का अच्छे घर का है, कोई नशा-पत्ता भी नहीं और बैंक में क्लर्क लगा है, पूरे दस हजार तनख्वाह है उसकी।
यशपाल
ऐसा है क्या? फिर तो बहुत अच्छी बात है। हम एक काम करते हैं, एक बार लड़के वालों से मिल लेते हैं।
अर्चना
गुंजन तो कह रही थी कि बस हमारे कहने की देर है। हम जब कहेंगे तो उसी समय लड़के वालों को मिलवा देगी।
यशपाल
तो फिर ठीक है, नेक काम में देरी कैसी? गुंजन को कह देना कि हम परसों ही लड़के वालों से मिलना चाहते हैं।
अर्चना
(थोड़ी सी दुखी होकर) हां पर।
यशपाल
अब क्या हो गया?
अर्चना
मैं कह रही थी कि लड़का देखने से पहले हमें एक बार श्रुति से बात कर लेनी चाहिए।
यशपाल
अर्चना, ये तुम कैसी बातें कर रही हो? इसके लिए भला श्रुति को पूछने की क्या जरूरत है? हम उसके मां-बाप हैं और हम ये अच्छी तरह से जानते हैं कि उसके लिए क्या गलत है और क्या सही। और तुम मुझे एक बात बताओ, क्या तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हारी शादी करने से पहले तुमसे पूछा था?
अर्चना
नहीं।
यशपाल
नहीं तो फिर श्रुति की राय लेने की कोई जरूरत नहीं है, तुम गुंजन से बात कर लेना।
अर्चना
ठीक है, मैं सुबह ही गुंजन को फोन करके बता दूंगी।
कट टू
11A. इंटीरियर- श्रुति का घर - अर्चना का कमरा- अगले दिन- मॉर्निंग
अर्चना अपने कमरे में झाड़ू लगा रही है, तभी उसके कमरे में पड़ा लैंडलाइन फोन बजता है।
अर्चना झाड़ू वहीं पर रख देती है, जहां वह झाड़ू लगा रही थी, और जाकर टेबल पर पड़ा फोन उठाती है।
अर्चना
(फोन उठाकर)
हैलो, कौन?
12. इंटीरियर- गुंजन का घर- सेम टाइम
गुंजन बेड पर बैठी हुई हैं और उसके हाथ में फोन है। वो फोन पर बात करती है।
गुंजन
हां अर्चना, मैं गुंजन बोल रही हूं।
इंटरकट बिटवीन सीन 11A एंड 12
अर्चना
अच्छा गुंजन। अच्छा हुआ जो तूने फोन लगा लिया, मैं भी फ्री होकर तुझे ही फोन करने वाली थी।
गुंजन
अच्छा, अर्चना, मैं पूछ रही थी कि फिर तूने क्या सोचा उसके बारे में जो मैंने तुझे कल कहा था।
अर्चना
हां, मैं वहीं बताने के लिए फोन करने वाली थी। मेरी श्रुति के पापा से बात हो गई है, वो कह रहे थे कि हम कल ही लड़के वालों से मिल लेंगे। क्या तुम कल उन्हें बुलवा सकती हो?
गुंजन
मेरा काम तो बात करवाना है। तुम जब कहो, मैं लड़के वालों को उसी समय बुला लूंगी।
अर्चना
मैं कह रही थी कि कल ही लड़के वालों से मिल लेते हैं, और फिर श्रुति के पापा की भी यही राय है।
गुंजन
ठीक है, अर्चना। मैं कल दोपहर तक लड़के वालों को लेकर तुम्हारे घर आ जाऊंगी। तुम तैयार रहना।
अर्चना
ठीक है, गुंजन बहन। मैं फोन रखती हूं।
इतना कहकर अर्चना फोन रख देती है, और उधर गुंजन भी फोन काट देती है।
इंटरकट ओवर
सीन 11A कंटिन्यू
तभी वहां श्रुति आती है।
श्रुति
मम्मी किसका फोन था?
अर्चना
तुम्हारी गुंजन आंटी का, याद है वो कल लड़के के बारे में बात कर रही थी जो बैंक में क्लर्क लगा है।
श्रुति
मम्मी अब आप ये मत कहना कि पापा भी लड़का देखने के लिए मान गए हैं।
अर्चना
हां, तुम्हारे पापा मान गए हैं और कल लड़के वाले हमारे घर आ रहे हैं।
श्रुति
मम्मी, आप तो जानती हैं न कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती, मैं आगे पढ़ना चाहती हूं और अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं।
अर्चना
देख श्रुति, बेटियां तो पराया धन होती हैं, एक न एक दिन तो तुझे शादी करनी ही पड़ेगी। कब तक हम तुझे घर में बिठाकर रखेंगे? और रही बात पढ़ाई की, तो वो तेरे ससुराल वाले देखेंगे कि तुझे आगे पढ़ाना है या नहीं। एक बार शादी कर ले, उसके बाद चाहे पैरों पर खड़ी होना, चाहे सिर पर खड़ी होना, वो तुम्हारी मर्ज़ी।
श्रुति
शादी के बाद कौन मुझे पढ़ाएगा? यहां आप कह रही हो लड़कियां पराया धन होती हैं, वहां ससुराल वाले भी यही कहेंगे। शादी के बाद सिर्फ जिम्मेदारियां बढ़ती हैं और कुछ नहीं। क्या आप चाहती हैं कि जैसे आपको पापा के आगे हाथ फैलाने पड़ते हैं, वैसे ही मुझे भी किसी के आगे हाथ फैलाने पड़े?
अर्चना
ऐसा नहीं, मुझे तुम्हारे पापा के आगे हाथ इसलिए फैलाने पड़ते हैं क्योंकि हमारे घर की हालत ठीक नहीं है। लेकिन यहां हम तेरे रिश्ते की बात कर रहे हैं, वहां ऐसा नहीं है। वो लोग खाते-पीते परिवार के हैं, वहां तुझे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
श्रुति
मैं भी जानती हूं और आप भी अच्छी तरह से जानती हैं कि ऐसा कुछ नहीं होगा।
इतना बोलकर श्रुति नाराज़ होकर अपने कमरे में चली जाती है।
11B. इंटीरियर - श्रुति का घर - रूम - सेम टाइम
श्रुति अपने कमरे में आकर इधर-उधर टहलने लगती है। और टहलते-टहलते अपने आप से कहती है।
श्रुति
(अपने आप से)
ये रूल पता नहीं किसने बनाया है कि अगर लड़की 18 साल की हो जाए तो बस उसकी शादी कर दो, उसके फ्यूचर का कुछ अता-पता नहीं।
कट टू
11C. इंटीरियर - श्रुति का घर - आंगन - अगले दिन
यशपाल और अर्चना लड़के वालों के आने से पहले घर की थोड़ी बहुत सफाई कर रहे हैं। अर्चना आंगन में रखी चारपाई साफ कर रही है, तभी यशपाल अपने कमरे से कुछ कुर्सियां लेकर आता है।
यशपाल
(चारपाई के पास कुर्सियां रखते हुए)
ये लो कुर्सियां, इनको भी साफ कर दो।
अर्चना
(चारपाई पर कपड़ा मारते हुए)
हां, कर देती हूं।
यशपाल
अजुनी कहां है?
अर्चना (कंटीन्यू)
(चारपाई साफ करने के बाद कुर्सी पर कपड़ा मारते हुए)
मैंने उसे चाय बनाने के लिए कहा है। लड़के वाले आते ही होंगे।
यशपाल
मैं भी यही बोलने वाला था कि चाय पानी का इंतजाम पहले से ही करके रखो, लड़के वालों का क्या पता कब आ जाएं।
तभी अजुनी अर्चना के पास आकर।
अजुनी
मम्मी, चाय पानी तो तैयार हो गया।
अर्चना
ठीक है।
अजुनी
(इधर-उधर देखकर)
मम्मी, सिरजना कहां है, दिखाई नहीं दे रही।
अर्चना
वो अंदर कमरे में श्रुति को तैयार कर रही है। एक काम कर, तू भी जाकर उसकी थोड़ी मदद कर दे, जल्दी हो जाएगा।
सिरजना
(हां में सिर हिलाकर)
ठीक है।
सिरजना जाने ही वाली होती है कि तभी गुंजन लड़के वालों को लेकर श्रुति के घर पहुंच जाती है। जिसमें लड़का (वरुण), लड़के की मां (गायत्री) और पिता (नरेश) हैं।
और सिरजना उनको देखकर रुक जाती है।
यशपाल
(लड़के वालों की ओर हाथ करके)
ये लो, लड़के वाले तो आ भी गए।
यशपाल
(लड़के वालों से)
अरे, आप आइए आइए! अंदर आइए।
लड़के वाले अंदर आते हैं।
अर्चना लड़के वालों से:
अर्चना
जी नमस्ते।
लड़के वाले
(हाथ जोड़कर)
नमस्ते।
अर्चना
(कुर्सियों की ओर हाथ करके)
आइए, आइए बैठिए।
अर्चना (कंटीन्यू)
(गुंजन को गले लगाकर)
और कैसी हो गुंजन?
गुंजन
मैं ठीक हूं, तुम बताओ तुम कैसी हो?
अर्चना
मैं भी ठीक हूं।
अर्चना (कंटीन्यू)
आओ, तुम भी बैठो।
गुंजन
(हां, मैं सिर हिलाकर)
हां।
लड़के वाले इधर-उधर देखने लगते हैं।
उनको देखकर गुंजन अर्चना से।
गुंजन
अर्चना, श्रुति कहां है, नज़र नहीं आ रही?
यशपाल
(गुंजन से)
अरे बहन जी, पहले आप चाय-पानी तो पी लो, श्रुति भी आ जाएगी।
गुंजन
जी।
अर्चना गुंजन और बाकी सब को चाय देने के बाद सिरजना को
अर्चना
(सिरजना के कान के पास)
सिरजना, देख तो जरा, श्रुति तैयार हुई है या नहीं।
सिरजना
हां, देखती हूं।
इतना बोलकर सिरजना श्रुति को देखने चली जाती है।
गायत्री
(पास ही में बैठी गुंजन के कान में)
ये लोग अपनी बेटी को दहेज तो देंगे ना? (आस-पास देखकर) इनके घर को देखकर तो लग रहा है ये कुछ नहीं देंगे।
गुंजन
(धीरे से फुसफुसाते हुए)
गायत्री बहन, आप चिंता न करो, ये लोग अपनी बेटी को घर में इस्तेमाल होने वाली छोटी से छोटी चीज देंगे।
अर्चना
(दोनों को फुसफुसाते हुए देखकर)
क्या हुआ, गायत्री बहन? आप लोग कुछ कहना चाहती हैं?
गुंजन
कुछ नहीं, अर्चना, बस वो गायत्री बहन कह रही थी कि श्रुति अभी तक नहीं आई।
अर्चना
हां, बस वो आती ही होगी।
लेटर
सिरजना और अजूनी श्रुति को लेकर आती हैं। श्रुति ने सिंपल सा सूट पहना है। वो कुछ परेशान सी लग रही है। अर्चना श्रुति को देखकर।
अर्चना
लो, श्रुति भी आ गई। (श्रुति के पास जाकर) आओ, श्रुति, हम अभी तुम्हारे बारे में ही बात कर रहे थे।
गायत्री
आओ, बेटा श्रुति, मेरे पास आकर बैठो।
अर्चना
(गायत्री की ओर इशारा करके)
जाओ श्रुति बहन जी के पास जाकर बैठ जाओ।
श्रुति गायत्री के पास जाकर बैठ जाती है।
गायत्री
(श्रुति का हाथ अपने हाथों में लेकर)
बस हमें अपने वरुण के लिए ऐसी ही लड़की चाहिए थी जो पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ सुंदर और सुशील हो, जो घर की चार दीवारी में रहे और थोड़ा कम बोले। वैसे इसे घर के सभी काम तो आते हैं ना?
गुंजन
गायत्री बहन, आप टेंशन फ्री हो जाओ क्योंकि श्रुति को घर के सारे काम अच्छी तरह से आते हैं।
गायत्री
ये तो बहुत अच्छी बात है। श्रुति, तुम्हारी कोई डिमांड तो नहीं है ना? जैसे बहुत लड़कियां कहती हैं कि वो शादी के बाद अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहनेंगी, या अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखेंगी, नौकरी करेंगी वगैरा। देखो, अगर ऐसी कोई बात है तो बता दो?
श्रुति से क्या पूछना, हमें ये रिश्ता मंजूर है।
सभी खुश हो जाते हैं।
इसके बाद वरुण और श्रुति को कुर्सी पर बैठाकर कुछ रीति-रिवाज किए जाते हैं।
गायत्री, श्रुति के ऊपर दुपट्टा देती है और उसकी झोली में कुछ कपड़े और शगुन के रूप में कुछ पैसे डालती है।
और इसके साथ उनका विवाह संपन्न हो जाता है।
फिर श्रुति की विदाई होती है।
कट टू