Sarvesh...
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जिज्ञासु, भावुक, आत्म विवंचित और घुमक्कड़ प्रवृत्ति।
महाभिनिष्क्रमण
महाभिनिष्क्रमण: महज शब्द नहीं है, बल्कि इसमें छिपी अंतर्मन की आसक्ति है, जिससे बहिष्कृत हो कहीं अनंत में घुल जाने की उत्कंठा निहित है। इस पुस्तक (डायरी) का उद्देश्य अपने विचार थोपना नहीं, अपितु एकात्म को परिष्कृत कर ब्रह्मांड में नतमस्तक होना है।
महाभिनिष्क्रमण
महाभिनिष्क्रमण: महज शब्द नहीं है, बल्कि इसमें छिपी अंतर्मन की आसक्ति है, जिससे बहिष्कृत हो कहीं अनंत में घुल जाने की उत्कंठा निहित है। इस पुस्तक (डायरी) का उद्देश्य अपने विचार थोपना नहीं, अपितु एकात्म को परिष्कृत कर ब्रह्मांड में नतमस्तक होना है।