दोहे वादा पर वादा अब हो गए ज्यादा। कहाँ कहाँ आरक्षण दे क्या है इरादा।। पहले बहुत सताया था लो अब भुगत। मंदिर मस्जिद ठुकराया था कैसा लगा जुगत।। उसी का नतीजा कहर बरस रहा है। जनरल पानी को
न्यायोचित जो लगे तुम्हें , तुम न्याय देश में कर डालो। सामाजिक स्तर जांच परख कर , विभक्तिकरण को तुम डालो। सामाजिक न्याय कितना है , आत्मसम्मान से क्या ये जीते हैं। क्या आज भी दलित , आदिवासी , उ
फिर से तेरी यादें मेरे दिल के दरवाजे पर खड़ी हैंवही मौसम, वही हवा, वही बारिश की झड़ी है
आरक्षण की यह व्यवस्था,समाज में लाती है सविधा।SC, ST के हक की बात,समानता की होती है चाहतगांव की गली से नगर के चौक,हर वर्ग में,सबको दें हक सौंप।न्यायी आभास ,बंटने की राह,समाज में हो एकता,न हो आह।शिक्षा
समाज की धारा में जब बँटने लगे छाँव,आरक्षण की नीति , प्रगति की राह गांव।SC,ST की मांग, कड़ी मेहनत की कहानीअधिकार की लड़ाई में,नयेपन की निशानी।सदियों की उपेक्षा ने, सामाजिक बंधन तोड़ा आरक्षण का बंट