समाज की धारा में जब बँटने लगे छाँव,
आरक्षण की नीति , प्रगति की राह गांव।
SC,ST की मांग, कड़ी मेहनत की कहानी
अधिकार की लड़ाई में,नयेपन की निशानी।
सदियों की उपेक्षा ने, सामाजिक बंधन तोड़ा
आरक्षण का बंटवारा,न्यायपूर्ण प्रस्तावी बेड़ा
धारा में तकरार न हो,न्याय की चमक साज
समानता के पथ पर,चलें सभी वर्ग बेआवाज
बंटवारे की बातें, दुख और विवाद ही लाती हैं,
हर वर्ग के हक की रक्षा, जिम्मेदारी निभाती हैं।
संविधान की छांव तले, हरेक को मिले सम्मान,
सामाजिक बंटवारे में भी, न्याय अटल वरदान।
एससी,एसटी आज भी समाज के जरूरी अंग
समानता की दिशा में,ये आरक्षण की राह रंग
हर वर्ग की आवाज को, गूंजे एक साथ हर ओर,
संविधान की किताब में, बंधे फिर से नयी डोर