कलम शोर मचाती नहींशब्द गुनगुनाते नहींकिताबें पड़ी हैं मगर,किसी से पढ़ी जाती नहीं।लेखक हो मशहूरखर्चा पाते नहींलिखावट से इबादत कीमहक अब आती नहीं।कलम दुनिया बदल देंऐसा अब होता नहींप्रेमचंद लिए नए जूतेइसीलिए रोता नहीं।' सत्य ' स्वयं गुरूर मेंकलम चुभोता नहींअंतः कविता पेश हैकवि का भरोसा नहीं।
सितम्बर का महीना था. गर्मी जा चुकी थी और जाड़ा अभी आया नहीं था. हम सब अपने ऑफिस में बैठे इस उधेड़बुन में लगे थे की कुछ नया किया जाये। तो फिर भाई क्या नया किया जाये? थोड़ा सोचे तो समझ में आया कि हिन्दी से सम्बंधित कुछ करते हैं. आखिरकार, उत्तर भारत विश्व के सर्वाधिक सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक